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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल इश्क़ मुझको हुआ है बता क्या करें । खत उसे फिर लिखा अब खता क्या करें ।।१ खत लिखा आज पहला उसे याद कर । चूम खत को लिया तो दुआ क्या करें ।।२ आज किस्मत हमारी बदल ही गई । आ रहे वो यहाँ बोल क्या क्या करें ।।३ रख दिया पाँव जब इश्क़ दहलीज पर । पीर फिर जो उठे तो खुदा क्या करें ।।४ मुस्कराऊँ भला आज कैसे यहाँ । जान तन से अभी है जुदा क्या करें ।।५ फूल कैसे उसे आज उपहार दूँ । वह स्वयं मोगरा है चंपा क्या करें ।।६ रूठ मुझसे गई ज़िन्दगी जब प्रखर । मौत से फिर बता हम सुला क्या करे ।।७ ३१/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल इश्क़ मुझको हुआ है बता क्या करें । खत उसे फिर लिखा अब खता क्या करें ।।१
IND ARUN
Gyani202
हर दिन कुछ नया सीखने के लिए हमें फॉलो करें । ©Skstutas91 मेथी भिगोकर खाने का फायदा🥰🥰🥰#tranding #viral #story
Nisheeth pandey
मुझे देख के तुम्हारे चेहरे पे चंपा चमेली खिल जाती थी, और मैं तुम्हें देख के भँवरा बन जाता था.... #निशीथ ©Nisheeth pandey मुझे देख के तुम्हारे चेहरे पे चंपा चमेली खिल जाती थी, और मैं तुम्हें देख के भँवरा बन जाता था.... #lovequotes #streak #nojotostreak
Osho Jain
नानेरो री याद दिलावे हैं ... पर के करा मोटो होना रो डर सतावे हैं... पर कुछ भी कहो गोंद - गुड रो लाडू बडो ही चोखो लागे है.... 🌻 खम्मा घणी सा आज रो Collab घणो ही स्वाद रो है, क्योंकी आज रे Collab मांय मां दादी रे हाथ सूं बनयोडा़ लाडूआं री ओळूं है। स्याळा मांय चाव जे घर
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें . " दिलकशी ये अंदाज ठहरा और क्या वयान करें , छु के मुझको तुझमें हिफाजत दें तु कहीं मिलो तो सही , ये अंदाजेबयां अब भी कहीं काफ़िर ठहरा , तु मुझको खुद में शामिल कर तो सही , हसरतों का बज़्म तुझमें सिमट जाये तु कहीं मिल तो सही , चंपा - चंपा ये एहसास मुझमें ख़ामोश बैठा तु कहीं मिल तो सही , कोई ख्याल का ज़रा ख्याल कर ले तु कहीं मिल तो सही , दें तु मुझमें दस्तक की मेरे तसव्वुर को कोई पहचान मिले तु कहीं मिल तो सही , कर सकु तुझसे तपसिल तेरी मेरी बातें तु कहीं मिल तो सही . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com *** कविता *** *** तु कहीं मिल तो सही *** " छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा , दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे
Vandana
नीला सा आसमां हरी धरती और रंग बिरंगी मेरी ख्वाहिशे तितली के जैसा मन मेरा उड़ चलता है फूलों के शहर में यहां वहां पर फड़फड़ाता हुआ कभी जूही कभी चंपा कभी गेंदा कभी गुलाब कई तरह के फूल कई तरीके ख
Vandana
ये घर बहुत हसीन हैं हमारी चाहातो का घर,,, हमारी उम्मीदों का घर हर कोना कोना है खुशियों से भरा,,, किवाड़ खुलते ही नजर आयी हरी-भरी बगिया,, फूलों से खिली महकी महकी बागिया,, आती है खुशबू महकता घर आंगन ईश्वर तत्व का तिनके तिनके में जन्म,, ग