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ਸੀਰਿਯਸ jatt
Anjali Singhal
A.j9h(9h.a.n)
Sethi Ji
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 🌼 जय माता दी 🌼 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 ना मैं आदि हूँ , ना मैं अनंत हूँ मैं सिर्फ़ माता रानी की सेवा करना वाला भक्त हूँ माता रानी की कृपा बनी रहे हम सबपर उनकी दया से आज मैं हर कार्य करने में सशक्त हूँ जो माता रानी की पूजा करता सच्चे मन से रोज़ाना उसको मिल जाता हिम्मत और साहस का अनमोल खज़ाना माता रानी की शक्ति और उत्त्पत्ति का क़र्ज़ हैं चुकाना हर दिन उनकी भक्ति में आप सब मेरे साथ अपना शीश झुकाना माता रानी के कोमल हृदय और प्रेम भावना का मैं जीता जागता अभिव्यक्त हूँ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ©Sethi Ji ♥️🌟 शुभ नवरात्रि 🌟♥️ नवदुर्गाओ में दूसरी दुर्गा का नाम ब्राह्मचारिणी हैं ।। मां ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती का अविवाहित रूप हैं ।। इस अवतार
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यही जलाया है ।।१ मातु दर्शन मिले खुशी होगी । बस यही शेष और आशा है ।।२ मातु अर्पण किया सुनो जब मन। पुष्प फिर और क्या चढ़ाना है ।।३ सुन लिया है कथा सती माँ की । नाथ पर प्राण देख लो वारा है ।।४ दुष्ट जब भी बढ़े धरा पर माँ । भक्त तुमको तभी पुकारा है ।।५ सिंह पर हो सवार आओ माँ । आपके बिन न अब गुजारा है ।।६ कर चमत्कार देख ले दुनिया । देख तुझको तनय निहारा है ।। आज अरदास सुन जगत जननी । मातु कहके प्रखर बुलाता है ।। ७ १४/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यही जलाया है ।।१ मातु दर्शन मिले खुशी होगी । बस यही शेष और आशा है ।।२ मातु अर्पण किया सुनो
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
Dt Sapna Nova
"अराध्य " तुम अराध्य और मैं आराधना बन जाऊ तुम राम और मैं सिया बन जाऊ, तुम कृष्ण और मैं राधा बन जाऊ, तुम शिव और मैं सती बन जाऊ, तुम प्रीत मैं प्रियतम बन जाऊ, तुम्हें छू कर मैं पावन बन जाऊ, तुम हो सरल स्वभाव के सदा से, तुझमें रम मैं भी चंचल बन जाऊ, तुम हो मुझे अत्यंत प्रिय, तुम भी मेरे पूरक बन जाओ, साथ निभाकर आजीवन, प्रेम की मिशाल बनाओ। ©Dt Sapna Nova "अराध्य " तुम अराध्य और मैं आराधना बन जाऊ, तुम राम और मैं सिया बन जाऊ, तुम कृष्ण और मैं राधा बन जाऊ, तुम शिव और मैं सती बन जाऊ, तुम प्र
चाँदनी
कवि का प्रेम शिव होता है जो हमेशा ध्यान मे लिन होता है आपने सती के लिए पर दुनिया को सिर्फ भ्रम दिखता है.... उसकी इन्द्रियां स्थापित होती है त्रिनेत्र मे ठीक भौव के बीचो बीच जहा सती का ज्वाला उसके पूरे बदन को बाँध देता है प्रेमपाश से.... तब अंत क्या और आरम्भ क्या ब्रहमांड... आकाशगंगा.... सब अधीन हो जाते है इस प्रेम के आगे आगे अनुशीर्षक मे पढ़े 👇 ©चाँदनी पता है कवि को एक अन्तराल के बाद कविता ना लिखना हो ना सही पर शब्दों को प्रेम के भाव से विभोर कर देना चाहिए...
Mili Saha
// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना आखिर उसका अस्तित्व ही क्या है? औरत उस वृक्ष के समान है जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ खड़ी रहकर राहगीरों को छाया प्रदान करता है। किंतु उसकी इस सहनशीलता और कोमलता को पुरुष प्रधान समाज उसकी कमज़ोरी समझ लेता है। ये समाज क्यों नहीं समझता कि नारी की सहनशीलता और कोमलता के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव ही नहीं। इस बात में किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि औरत ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक का कार्य करती है। संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय औरत को ही जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में औरतों के सम्मान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है किंतु वर्तमान में औरतों के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। एक नारी का अपमान अर्थात संसार का, समाज का नैतिक पतन है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का सम्मान दिया गया है। एक समय था जब औरत को उसके पति के देहांत के बाद उसे उसके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। ऐसी ही समाज की अनगिनत कुप्रथाओं के कारण औरत को हर युग में रीति-रिवाजों की बेडियो में बांँधकर समाजिक सुख सुविधा, गतिविधियों और शिक्षा से दूर रखा जाता था। किंतु इन सभी बंँधनों के बावजूद भी कितनी ही ऐसी महिलाएंँ हैं जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले से अपनी उपस्थिति को हर क्षेत्र में दर्ज़ करवाया है, इतिहास रचाया है, अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाया है। पूर्व काल से ही नारी अपने हक के लिए लड़ती आई है और आज भी लड़ रही है। इस हक की लड़ाई का ही परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने अपनी शक्ति और कौशल से कर दिखाया है कि वो किसी भी मायने में कमजोर नहीं, एक शक्ति है जो अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है। ©Mili Saha // अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वा