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गजब है! यहां इंसान ही इंसान का दर्द नहीं समझ रहे और जानवर का दर्द समझने लगे? #गजब_है! यहां #इंसान ही इंसान का #दर्द नहीं समझ रहे और #जानवर का दर्द समझने लगे? #मेरी_कलम #yqdidi #yqsnatni #myquotes
Ankit Singh
" शायद किसी जानवर का सबसे बड़ा उपहार इस बात की स्थायी याद दिलाना है कि हम वास्तव में कौन हैं।" ©Ankit Singh शायद किसी जानवर का सबसे बड़ा उपहार इस बात की स्थायी याद दिलाना है कि हम वास्तव में कौन हैं #animals
शायद किसी जानवर का सबसे बड़ा उपहार इस बात की स्थायी याद दिलाना है कि हम वास्तव में कौन हैं #Animals
read moremotivation life topics
इस जानवर का नाम सेही है और ये जीने के लिए क्या करता है #motivate #motavitonal #viral #short #Trending #Reels #Video #motivationlifetopics #Motivational
read moreइकराश़
सियारों की टोली में उस वक़्त मैं भी शामिल हो गया, इंसानी फितरत जब मुझपे, इस कदर हावी हो गई। मौकापरस्ती सियारों की फितरत है पर आजकल इंसानों में ज्यादा पायी जाती है। तो हम इंसानों में और सियारो में फर्क ज़रा कम हो गया है। आप ज़रूर इससे
मौकापरस्ती सियारों की फितरत है पर आजकल इंसानों में ज्यादा पायी जाती है। तो हम इंसानों में और सियारो में फर्क ज़रा कम हो गया है। आप ज़रूर इससे #yqbaba #yqdidi #fitrat #IkraashNaama
read moreRavikant Raut
प्रतिकार (The Revenge) प्रकृति का जिस तरह हम विनाश कर रहे हैं , हम भूल जाते हैं एक दिन वही विनाश की सुरसा बन कर हमें निगल जायेगी. यह फो
प्रतिकार (The Revenge) प्रकृति का जिस तरह हम विनाश कर रहे हैं , हम भूल जाते हैं एक दिन वही विनाश की सुरसा बन कर हमें निगल जायेगी. यह फो #Photogiri
read moreMamta Singh
क्या सच में हम कन्या पूजन करते है पर वही कन्या काेख में आये ताे कचड़े में फेंकते है... मित्राे अगर इस कन्या शिशु की जगह नवजात पुत्र हाेता ताे क्या वाे भी कचड़े में फेकां जाता.. शायद नहीं ,क्याेकि अवाँछित हाेने के बावजूद वह पुऱू
cornerpoetry words by wishdom
""मानवता आज रूंध सी गई, जब रोता हुआ मंज़र बस उस दर्द को कम करने के लिए दिखा"" ******इंसानियत का तो बस सेहरा लगा बैठे थे,गलती का पुतला भी तो हम ही हैं***** जानवर का होना लाइफ में एक बहुत बड़ी सीख हो सकता है सुना था अब तक आज मैंने अपने kitten को खो दिया और उसके जाने का गम मुझे कुछ भी करने से रोक
जानवर का होना लाइफ में एक बहुत बड़ी सीख हो सकता है सुना था अब तक आज मैंने अपने kitten को खो दिया और उसके जाने का गम मुझे कुछ भी करने से रोक #बात
read moreVandana
वैसे किसी को ज्ञान की बातें अच्छी लगती नहीं,, सब अपने ही एक्सपीरियंस पर चलते है,, पर फिर भी चलते फिरते एक ज्ञान बांट दू,,,, कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं। जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना अगर वह कांच किसी को
कभी-कभी हम अपनी छोटे-छोटे कर्मों से भी बहुत बड़े पाप कर देते हैं। जैसे घर में कभी कांच फूट जाए तो उसे खुले में फेंक देना अगर वह कांच किसी को #पुण्य #बुरे_है_कर्म
read moreVandana
सोलह सोमवार के व्रत रख के शिव में बेलपत्र चढ़ाकर जो मांगे अपने प्रियवर को वही सच्चा प्रेम कहलाए,,, घोर तपस्या कर अन्न जल के बगैर,,, मांगा आपने प्रियवर को मांगा त्रिलोक धारी शिव शंकर को,,,, प्रेम में लांगी सारी सीमाएं राजकुमारी सी सुकुमारी
घोर तपस्या कर अन्न जल के बगैर,,, मांगा आपने प्रियवर को मांगा त्रिलोक धारी शिव शंकर को,,,, प्रेम में लांगी सारी सीमाएं राजकुमारी सी सुकुमारी #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpictureprompt #rzpicprompt3168
read moreJuhi Grover
सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था, कि खुद भी खुद से शायद पराया होता जा रहा था। हो चुका था दूर वो अपनी ही इन्सानियत के रंग से, इन्सान हो कर भी इन्सान से दुश्मनी निभा कर के, जानवर का रंग उस पर खूब यों चढ़ता जा रहा था, कि जानवर से भी वो गया गुज़रा होता जा रहा था। कैसे कोई वाकिफ़ हो उस वक़्त की दुर्दशा के रंग से, जब इन्सान ही खुद सना हो यों इन्सान के ही रंग से, दौड़ में पैसों की क्यों अब ये अन्धा होता जा रहा है, कि क्यों खुद का ही वो क़त्ल होते देखता जा रहा है? क्यों निकलना नहीं चाहता बाहर इस अन्धी दौड़ से, क्यों इन्सानियत को ज़ख्मी कर अपने ही स्वार्थ से, क्यों धर्मान्धता की ओर स्वार्थवश बढ़ता जा रहा है, क्यों बिन सोचे समझे पुतला बन चलता जा रहा है? सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों क