Find the Latest Status about आखिरी भाग महाभारत का from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आखिरी भाग महाभारत का.
Shalini Nigam
अगर करा सकता है, तो उसे रोक भी सकता है, तय आपको करना है कि "कहां बोलना है कहां चुप रहना" ©Shalini Nigam #मौन #महाभारत #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine #thought #Shayari
#मौन #महाभारत #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine #thought Shayari #मोटिवेशनल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- ज़िन्दगी का हमारी सफ़र आखिरी । और उनकी पड़ी हैं नज़र आखिरी ।। इक दफ़ा देख ले आज हम आपको । कल मिलेगी हमारी खबर आखिरी ।। हम तुम्हें छोड़कर जिस तरफ जा रहे । वो हमारे लिए है डगर आखिरी ।। गीत संगीत से दिल बहलता नहीं । पर तुम्हारे यही हमसफ़र आखिरी ।। हाथ ऐसे प्रखर भी छुड़ाता नहीं । गर न होता बुलावा अगर आखिरी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ज़िन्दगी का हमारी सफ़र आखिरी । और उनकी पड़ी हैं नज़र आखिरी ।। इक दफ़ा देख ले आज हम आपको । कल मिलेगी हमारी खबर आखिरी ।। हम तुम्हें छोड़कर
ग़ज़ल :- ज़िन्दगी का हमारी सफ़र आखिरी । और उनकी पड़ी हैं नज़र आखिरी ।। इक दफ़ा देख ले आज हम आपको । कल मिलेगी हमारी खबर आखिरी ।। हम तुम्हें छोड़कर #शायरी
read moreKhan Sahab
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है, मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है...! ©Khan Sahab #गजल आखिरी है
#गजल आखिरी है
read moreArora PR
White एक बार फिर सुनाई पढ़ने लगी है आतत्ताई कोरवो की दहाड़े...... लगता है एक नया महाभरत फिर जन्म लें रहा है लेकिन हथियार दोनों पक्षों के ( तल वार भाले बंदूके और तिर्कमान ) आदि क़ो तो जंग लग चुका है लगता है अब तो केवल रसायनिक हथियारों से ही युद्ध लड़ना पड़ेगा जो सक्षम है आदमी और उसकी आने वाली नस्लों का संहार करने में और ये भी संभावना नही रही कि इस युद्ध में कृष्ण भी आकर भाग लेंगे क्योंकि उनका सुदर्शन चकर भी जंग खाकर तिथि बाहय हो चुका है ©Arora PR महाभारत द्वितीय
महाभारत द्वितीय #कविता
read morerahul_the_adrito_
वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ? जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया। जब विघ्न सामने आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं, मन को मरोड़ते हैं पल-पल, तन को झँझोरते हैं पल-पल। सत्पथ की ओर लगाकर ही, जाते हैं हमें जगाकर ही। वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं। वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड। वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं। कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर, विपदाएँ दूध पिलाती है लोरी आँधियाँ सुनाती हैं। जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं। बढ़कर विपत्तियों पर छा जा, मेरे किशोर! मेरे ताजा! जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे। तू स्वयं तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिनगारी है? ~ रामधारी सिंह दिनकर ©rahul_the_adrito_ #रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत
#रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत #कविता
read more