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Abeer Saifi
दौर-ए-मीना में लरज़ती हैं ज़बां, फ़िर कौन हैं वो जो पीते हैं पहचाने नहीं जाते اا दौर-ए-मीना - शराब का दौर, लरज़ती - काँपती क्या अब भी?... #अबभी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqquot
Abeer Saifi
दौर-ए-मीना में लरज़ती हैं ज़बां, फ़िर कौन हैं वो जो पीते हैं पहचाने नहीं जाते اا दौर-ए-मीना - शराब का दौर, लरज़ती - काँपती क्या अब भी?... #अबभी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqquot
love Bird
BAWA
Sant Prasad Maurya
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है ~ मौर्या जी ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ शाम होती है तो घर जा
Anita Saini
ऱूखे मह़ताब से जो नक़ाब उठाया मैनें मल्लिका ए हुस्न खुद नें सिमटने लगी..! लरज़ते ल़बों से ल़ब टकराए तो वो...टुटकर बाहों में बिखरने लगी...!! ऱूखे मह़ताब से जो नक़ाब उठाया मैनें मल्लिका ए हुस्न खुद नें सिमटने लगी..! लरज़ते ल़बों से ल़ब टकराए तो वो...टुटकर बाहों में बिखरने लगी...
alfazon_ki_diary
वो हंस कर देखती होती तो उससे बात करते, कोई उम्मीद भी होती तो उससे बात करते...! हम स्टेशन से बाहर आए इस अफ़सोस के साथ, वो अज़नबी होती तो उससे बात करते...! हमारे जाम आधी हौसला-अफ़ज़ाई कर पाए, अगर उसने भी पी होती तो उससे बात करते...! हम उसके झुमकों की लरज़िश पे अक्सर सोचते हैं, कि हवा से दोस्ती होती तो उससे बात करते...! ये खामोशी भी क्या है, बस गुफ़्तगू की इम्तेहां है, कोई बात अनकही होती तो उससे बात करते...! उसके दीदार की आरज़ू ने हमें जगा रखा है, अगर वो सो रही होती तो उससे बात करते...! उससे बात करना इतना मुश्किल भी नहीं था, पर किसी ने बात की होती तो उससे बात करते...! वो हंस कर देखती होती तो उससे बात करते, कोई उम्मीद भी होती तो उससे बात करते...! हम स्टेशन से बाहर आए इस अफ़सोस के साथ, वो अज़नबी होती तो उ
PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'
शाम ढ़लने को हैं तेरा अब भी इन्तेज़ार हैं फिर से मिलने को दिल अब भी बेकरार है प्यासी निगाहें तरसती हैं तेरे दीदार के लिए लरज़ते लबों पे नाम तेरा अब भी बरकरार हैं ©PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' लरज़ते लबों पे नाम #chaandsifarish #gazal #Shayari R K Mishra " सूर्य " Krishnadasi Sanatani AviS Balwinder Pal भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन R
Tarot Card Reader Neha Mathur
तेरा फ़ितूर मेरी रगों में बहता हुआ इक सैलाब सा तेरा नूर मेरे चेहरे पर परतव-ए-महताब सा, इश्क तेरा गुल-ए-तर गुलशन में शादाब सा तेरी हर ग़ज़ल का लफ्ज़ तराशा गौहर-ए-नायाब सा, तेरी दिवानगी जिस्म की लरजिशों पर बजता रुबाब सा मौहब्बत में तेरी तिश्नगी दशत-ओ-दरिया में सराब सा, जागती आंखो की तू है हकीकत या फिर एक ख्वाब सा शाम-ओ-सहर मेरी धड़कनों में धड़कता इज़्तिराब सा। उर्दू शब्दों के अर्थ:- 1.परतव-ए-महताब:- चांद का प्रतिबिंब 2.शादाब :- प्रफुल्लित 3. गौहर-ए-नायाब:- नायाब मोती 4. लरज़िशों:-तरंगों 5. रुबाब
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Alone वो जो मेरे बहुत चाहने वाले थे,अब गुज़र गए हैं,वो सब गुज़रने वाले थे//१ नई रुतों में गमजो के सिलसिले भी हुए नए तुने वो ज़ख़्म ताज़ा किए हैं जो भरने वाले थे //२ ये किस मरहले पे सूझी तुझे कतआ रहमी वालिदेन से, उनकी खिदमतो से हमारी आखिरत के दिन सँवरने वाले थे// शर्म भी नही आई बेशर्म तुझको रत्ती भर कि तेरी करतूतो से वो सरेआम बिखरने वाले थे//३ लरज़ते दस्त,सूनी निगाहें,न जाने कौनसी*वहशत में है"शमा ज़िंदगी गुज़र रही थी गफलत में,न जाने अब कौनसे दर्द मचलने वाले थे//४ शमीम अख्तर/शमा writes ✍️ ©IM binte hawwa shama write वो जो मेरे बहुत चाहने वाले थे,अब गुज़र गए हैं,वो सब गुज़रने वाले थे//१ नई रुतों में गमजो के भी सिलसिले हुए नए,तुने वो ज़ख़्म ताज़ा किए हैं