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    PopularLatestVideo

Mohan Sardarshahari

कितना अखरा #शायरी

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कभी वह ढूंढती थी 
मुझे गुफ्तगू के लिए
मैं था अपनी मस्ती में
वह कभी उकताई नहीं
बांधे पुल भरोसे के 
अब मैं हो गया मुट्ठी में
बल है उसकी भृकुटी में
यह कोई नया नखरा है
या सबूत है कि उसको
कभी कितना अखरा है।

©Mohan Sardarshahari कितना अखरा

Parasram Arora

निरमोही निरपक्ष.......

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उसने  नहीं मारा  जूता  किसी  बुरे को 
न उसने दिया सम्मान  किसी  भले को 
जो बुरा हैँ  बुरा ही  रहा  जो भला हैँ वो भला ही न उसने कभी निंदा  की हैँ किसी बुरे की 
न उसने  स्तुति  ही की हैँ  किसी भले की 
वो तो वैसा ही रहा   जस का तस 
निरमोही   निरपक्ष निरमोही  निरपक्ष.......

Dheeraj saini dheer

बदलने को तो साल भी बदल गया मगर तेरा बदलना दिल को बहुत अखरा #2021Wishes

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बदलने को तो साल भी बदल गया  
मगर तेरा बदलना दिल को बहुत अखरा...
        dheeraj saini dheer...

©Direct Dil se बदलने को तो साल भी बदल गया 
मगर तेरा बदलना दिल को बहुत अखरा

#2021Wishes

Harshita Dawar

#words #feelings #Meaning #depth #yqdidi #yqbaba Written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat मऩन कथंन चलन। व्यांकुल पमाद प्रताप। विचार निरमोही साकार

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Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
मऩन कथंन चलन।
व्यांकुल पमाद प्रताप।
विचार निरमोही साकार। #words #feelings #meaning #depth #yqdidi #yqbaba 
Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
मऩन कथंन चलन।
व्यांकुल पमाद प्रताप।
विचार निरमोही साकार

Rakesh Kumar Dogra

भीड़ तो बहुत थी महफिल में पर मेरे बगैर सन्नाटा पसरा होगा, वो मद्धम से चिरागों को कोने में पड़ा रूहानी अन्धेरा जब अखरा होगा।

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भीड़ तो बहुत थी महफिल में पर मेरे बगैर सन्नाटा पसरा होगा,
वो मद्धम से चिरागों को कोने में पड़ा रूहानी अन्धेरा जब अखरा होगा।

 #NojotoQuote भीड़ तो बहुत थी महफिल में पर मेरे बगैर सन्नाटा पसरा होगा,
वो मद्धम से चिरागों को कोने में पड़ा रूहानी अन्धेरा जब अखरा होगा।

Dheeraj saini dheer

मेरा इस तरह बेबाक होना तुम्हें अखरा तो जरूर होगा हु में शख्सियत कैसी परखा तो तुमने भी भरपुर होगा... क्या हूं मैं और कैसी है मेरी शख्सियत म #lostinthoughts

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मेरा इस तरह बेबाक होना तुम्हें अखरा तो जरूर होगा
 हु में शख्सियत कैसी परखा तो तुमने भी भरपुर होगा...
क्या हूं मैं और कैसी है मेरी शख्सियत बताओ
मेरे लिखे अल्फाजों में यह झलकता तो जरूर होगा...
                    धीरज सैनी धीर... मेरा इस तरह बेबाक होना तुम्हें अखरा तो जरूर होगा
 हु में शख्सियत कैसी परखा तो तुमने भी भरपुर होगा...
क्या हूं मैं और कैसी है मेरी शख्सियत 
म

Chetanya Jagarwad

#Reality of society #chetanyajagarwad #people #Relationship #Family #Goals life संतान वो पड़े रहें बिस्तरों में, संस्कारी बने निक्करों

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वो पड़े रहते हैं बिस्तरों में,

संस्कारी बने फिरते है निक्करों में।। #reality of #society #chetanyajagarwad #people #relationship #family #goals #life  

संतान

वो पड़े रहें बिस्तरों में,
संस्कारी बने निक्करों

Ujjwal Sharma

रात का आखरी आँसू और ये दूरी तुम्हें नही लगता ये ज़्याती है ? एक साल होने को आया है और एक तुम हो जो किसी निरमोही की तरह तटस्थ विलीन हो ब्रम्हा #yaadein #intezaar #raah #jharokha #Smriti #brokenwindow #milap #vireh

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रात का आखरी आँसू
और ये दूरी
तुम्हें नही लगता ये ज़्याती है ?
एक साल होने को आया है
और एक तुम हो
जो किसी निरमोही की तरह
तटस्थ विलीन हो
ब्रम्हांड के किसी कोने में
मैं शैलपुत्री तो नहीं
पर मीरा से कम कठिन जीवन नहीं है मेरा
कभी कभी लगता हैं
जैसे जीवन बीते है मेरे
इस झरोके पे 
देखते तुम्हारी राह
यहाँ से एक धुंदला सा साया तो दिखता हैं
पर तुम नहीं
मुझे याद है वो रात
लेकर मुझे अपनी बाजुओं में
तुमने मुझे रंगा था
वो रंग हल्का पड़ रहा हैं
मैं बेज़ान हो रही हूँ
आख़िर उस रंग से मिले
भी तो जन्म बीत चुके हैं
सुबह होने को आई हैं
पर मुझें इंतज़ार हैं
उस कस्तूरी की धीमी गंध का
जो तुम्हारे होंठो की मुस्कान से आती हैं
मैं तरस गई हूँ 
क्या करूँ 
भला तुम ऐसे ही याद जो आते हों
सुबह से अगली सुबह तक
बस ऐसी ही हर पहर पर
एक हिचकी तुम्हारी स्मृतियों के पन्ने पलटती हैं
और दे जाती हैं
मुझें ठंडक जिसकी हवा से
बन जाता हैं एक
आँसू और बह जाता हैं वो
तुम्हारी राह में।


उज्ज्वल~

©Ujjwal Sharma रात का आखरी आँसू
और ये दूरी
तुम्हें नही लगता ये ज़्याती है ?
एक साल होने को आया है
और एक तुम हो
जो किसी निरमोही की तरह
तटस्थ विलीन हो
ब्रम्हा

vasundhara pandey

आज तुमने सोचा है तुम हार गयी हाँ तुम हार गयी कठिन शिशिर में वो देवदार का वृक्ष अड़ा रहा! बिना पोषण के बर्फ की परत के नीचे, अपनी इक्षाशक्ति

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तुम कोमल दूर्वा सी कुम्हला गयी..
देवदार ने चुनौती मृत्यु को दी अपनी हार को दी 
वो निर्भीक था,  निरमोही था, प्रतिरोधी था! 
वो अड़ा रहा, खड़ा रहा!
 

"तुम फिर शकुंतला सी चंचल बन,मनमोहक नृत्य करोगी 
किसी दुष्यंत की बिरहा नहीं,अपितु भाग्यस्वामिनी बनोगी " आज तुमने सोचा है तुम हार गयी हाँ तुम हार गयी 
कठिन शिशिर में वो देवदार का वृक्ष अड़ा रहा!
बिना पोषण के बर्फ की परत के नीचे, 
अपनी इक्षाशक्ति

Harshita Dawar

गम या घाव गम था की वो हमेशा के लिए नहीं पर अधूरा छोड़ गया कुछ तो ऐसा जिंदगी में काम करता जो पूरा सा कर जाता अधूरे पड़े हर्फ कर्ज़ भी नहीं चु #lifelessons #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes

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गम या घाव
गम था की वो हमेशा के लिए नहीं
पर अधूरा छोड़ गया
कुछ तो ऐसा जिंदगी में काम करता जो पूरा सा कर जाता
अधूरे पड़े हर्फ कर्ज़ भी नहीं चुका पाए थे के एक सदमा देकर गया
उभार पाई हूं ख़ुद या सेमेटी सी कुछ अनकहे लफ्ज़ बिखर कर गया
सभी दराज़ो में जब तलाशी ली तो मिले अध जली तस्वीरों के टुकड़े हवा से राख उड़ता गया
जलजला उठ ता रहा बाहर मगर अंदर सब सिकुड़ता दिल छोड़ गया
सबके स्वालों में खड़ी एक जिंदा लाश को बदनुमा दाग़ अछूती बातों में कारावास छोड़ गया
जैसे तिल तिल कर एक बार जकड़ कर  दिल का दौरा बेइमतिहा दिल में दर्द कर जाता है वैसे ही किसी रिश्ते को त्यागना एक तरफा त्याग नहीं होता वो छोटी छोटी बातों को नज़र अंदाज़ करते जाना और आख़िरी में नहीं किसी एक को दोषी करार देकर गुनहगार ठराया जाना स्वालो में एक को खड़ा करना ऐसा किसी के दिल छननी को और जलाने के लिए छोड़ गया
निरमोही वो मगर बुद्ध नहीं की पूजा जायेगा  इस भूलेखे में त्याग तपस्या नहीं मैं का दामन थाम कर छोड़ गया
कोई पिता होकर बेगैरत पर हर पिता इतना खुशनसीब कहा होता है जिसके हिस्से बेटी होकर बेटी का प्यार होता है लाचार समझ ख़ुद को कमज़र पिता ना नाम देकर छोड़ गया  कोई मां होकर जिम्मेदारियों में पकती ख़ुद कांटो में काटा सवालों में छाटा पालती पोस्ती मज़बूत बनने के चक्कर में कभी हसीं के साथ ख़ुद आसूयो में भीगो लेती यूंही बिना सोचे छोड़ गया— % & गम या घाव
गम था की वो हमेशा के लिए नहीं
पर अधूरा छोड़ गया
कुछ तो ऐसा जिंदगी में काम करता जो पूरा सा कर जाता
अधूरे पड़े हर्फ कर्ज़ भी नहीं चु
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