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Sunil itawadiya
शर्ट के टूटे बटन से लेकर आदमी के टूटे हुए आत्मविश्वास को जोड़ने का हुनर रखती है स्त्री नारी के सम्मान में चंद लाइन
SARVENDRA SINGH
नारी सम्मान में 🤱🏻🤱🏻🤱🏻🤱🏻🤱🏻 न आना है अब दुबारा,मुझको इस संसार में, बड़ रही है रुची यहाँ पर हैवानों की बलात्कार में। जन्म न लूँगी मैं दुबारा, हमको है हैवानों ने मारा, दर्द न झेल सकूँगी अब मैं, यहाँ हद से ज्यादा है हत्यारा। मैंने जीवन की चाँह है छोड़ी,गई हैवानियत से हार मैं। औरत बन जन्मी हूँ मैं इसमें मेरा क्या दोष है, मानव दानव बन बैठा है बचा न उसको होश है, कलयुग में है कामवासना होगा क्या इसका नाशना? नारी बनकर हूँ मैं जन्मी होता मुझे अफसोश है। अशुरी हुई आत्मा इनकी वुद्धि विलीन अत्याचार में। न जाने कितनी प्रियंका, मन में करती हैं अब शंका, न जाने कब आ जाए रावण, अपनी छोड़छाड़ के लंका। हैं कलयुग के कामी रावण मेरे बैठी बात कपार में। वलात्कार को अब विराम दो, फाँसी इनको सरेआम दो बिनती करती है हर नारी बचे न एक भी वलत्कारी माँ-बेटी-बहू-बहिन को रामराज्य सा आवाम दो। कर दो बस इतना काम तुम मानूँगी आभार मैं। जब भी जाऊँ अकेली राहों में, देखूँ सबकी सम्मान निगाहों में, न मचले मन किसी मनचले का न सूखे पानी मेरे गले का न डर बैठे दिल में मेरे सूनसान जगाहों में। सुरक्षा घेरा हो अब मेरा लक्ष्मणरेखा की किनार में। लेखक सर्वेन्द्र सिहँ सनातनी 9927099136 ©SARVENDRA SINGH नारी सम्मान में
M. A. Khan
#Pehlealfaaz उस समाज में औरत को सम्मान कैसे मिल सकता है जिस समाज में हर बात पर गालियां माँ बहनों को दी जाती हैं #नारी सम्मान
Rajesh rajak
354आईपीसी के तहत, 03वर्ष की जेल,जुर्माना भी, ©Rajesh rajak नारी सम्मान,
M. A. Khan
इस रामराज्य से बेहतर तो रावण राज ही था कम से कम सीता राक्षसों के बीच सुरक्षित तो थी #नारी सम्मान
अभी_की_अभिव्यक्ति!
अभी,पता नहीं कैसे मोमबत्तियां पकड़नी सीख गए हम वरना नारी के सम्मान के लिए लंका दहन और महाभारत की परंपरा है हमारी। नारी सम्मान
पवन आर्य
मर्द हो तो तुम्हारी मर्दानगी का इतना रोब हो, कोई लड़की गुजरे क़रीब से तो वो बेख़ौफ़ हो, हवस और हैवानियत से उपर उठ कर देखिए, स्त्री से अच्छा दोस्त मिल जाए तो फिर कहिए, स्त्री का विश्वास होना, मर्द की असली पहचान हैं, किसी का आँचल फाड़ना, तो कुत्ते के निशान हैं, नारी को अबला समझकर, ज्यादा ना बाजा करो, वो जगतजननी हैं,उसे पवित्र शब्दों से नवाजा करो, दुनिया में लानेवाली से, ये कैसा गुनाह बड़ा किया, जिससे तेरी उपस्थिति, तूने उस पर प्रश्न खड़ा किया, ©पवन आर्य नारी सम्मान