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Ashraf Fani【असर】
तू दरिया और मैं हूँ किनारा बीच मैं है बस प्रेम की धारा तू बाएं या दाएं जाए दोनों तरफ तू मुझे ही पाए ©Ashraf Fani【असर】 तू दरिया और मैं हूँ किनारा बीच मैं है बस प्रेम की धारा तू दाएं या बाएं जाए दोनों तरफ तू मुझे ही पाए #ashraffani
Yashpal singh gusain badal'
रिश्ते ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ बाएं, कुछ ऊपर उठ गए, कुछ नीचे छूट गए, कुछ बहुत ठंडे हो गए ऊंचाई पाकर, हिमाच्छादित चोटियों के तुल्य, जम चुकी है अभिमान की बर्फ उन पर , कुछ कुंठाग्रस्त होकर हो गए एकांकी, कुछ बैठे हैं स्थिल भावविहीन , निराश, आशा विहीन,अवसादग्रस्त, कुछ उद्विग्न, कुछ शंशय युक्त, कुछ ऊर्जावान भी हैं,प्रबुद्ध चेतना के साथ, जीवन को रसयुक्त बनाये हुए, मगर इन रिश्तों में एक रिक्तता है, जैसे एक तालविहीन गीत , लेकिन कौन प्राणमयी बनाये इन संबंधों को ! कौन मधुर सुर दे इन रिश्तों को ! कौन करे ऊर्जा संचरण ! कौन निराशा तोड़े ! कौन विश्वास जगाए ! कौन भगीरथ बन कर तप करे, शिव सा प्रेम जगाए ! कौन मंदरांचल बन मथनी बने ! जो निष्प्रह बीतराग गाये। कोई तो बहे प्राणरस बन , प्रेम का संचार करे ! भावविहीन संबंध नष्ट हो जाएंगे, प्रेम और उष्णता के बिना, कोई तो कृष्ण बने, मार्ग दिखाए, कोई तो नीलकंठ बन, समस्थ गरल पी जाए, कोई तो राम बने, जो विश्वास का प्रतिमान बन जाये, बने मरुत सुत सा सहचर , संकट हर जो हर कष्ट मिटाये । रचना-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ
यथार्थ गीता ज्ञान
Priyansh Sharma
वो जब कभी बनारस के घाट पर मद्धम मद्धम बारिस हो रही हो.. तुम्हारें दोनों हाथ मेरे दाएं हाथ की बाजू को पकड़े हो..। तुम्हारा सर मेरे कंधे पर हो और तुम्हारें कंगन की आवाज मानो पंछियों का कलरव हो...। और तब तुम्हारे साथ उन घाटो पर बैठकर बहती हुई गंगा को निहारते रहने का मन है मेरा..। ❣️ ©Priyansh Sharma _______________________________________ वो जब कभी बनारस के घाट पर मद्धम मद्धम बारिस हो रही हो.. तुम्हारें दोनों हाथ मेरे दाएं हाथ की बाजू क
Bhupendra Rawat
हालातों ने अक़्सर मुझे दबाए रखा मुद्दों को हमेशा मेरे खिलाफ बनाये रखा चुप था, यही सोचकर आजतक मैं,क्योंकि रूह ने भी जिस्म को भी दाएं-बाएं रखा भूपेंद्र रावत ©Bhupendra Rawat हालातों ने अक़्सर मुझे दबाए रखा मुद्दों को हमेशा मेरे खिलाफ बनाये रखा चुप था, यही सोचकर आजतक मैं,क्योंकि रूह ने भी जिस्म को भी दाएं-बाएं रखा
Shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
PARBHASH KMUAR
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ चन्द्रबदनी पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी । सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला । शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया । पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो । मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ धूप दीप फल मेवा, मां स्वीकार करो । ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॥ जय सरस्वती माता…॥ मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे । हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ ©parbhashrajbcnegmailcomm जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ चन्द्रबदनी पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।
Manmohan Dheer
लौट के आना होगा उस मोड़ पर तुमको कश्मकश में थे तुम कहाँ जाऊँ सोच के और दाएं मुड़ गए थे शायद बाएं जाना था दाएं बाएं
Yogesh Gaur
#OpenPoetry ये बिंदिया ये लाली ये काजल यूं ही जान मांग लेते इतना इंतजाम करने की क्या जरूरत थी *तेरी दाएं गाल का तिल