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Manmohan Dheer
लौट के आना होगा उस मोड़ पर तुमको कश्मकश में थे तुम कहाँ जाऊँ सोच के और दाएं मुड़ गए थे शायद बाएं जाना था दाएं बाएं
Yogesh Gaur
#OpenPoetry ये बिंदिया ये लाली ये काजल यूं ही जान मांग लेते इतना इंतजाम करने की क्या जरूरत थी *तेरी दाएं गाल का तिल
Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात)
नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे मिलती शराब है-२ हर शख्स थामे हाथ मे इसे कहता खराब है.. नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे शामें तो रोशन चाँद से ए जानिब रात भर,-२ शर्मोहया के प्यालो में ढलता आफताब है.. नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे प्यालो की पगड़ी थामता गमों में है शहर -2 खुशियों के अधूरे दौर में हकीकत अज़ाब हैं नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे आकड़ो के खेल में हम उलझे ही रह गए -2 हिसाब करके मेरा चला गया जो खुद बेहिसाब है.. नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे छीन लेने के फिराक में घूमता है ये शहर, आंखों में जो पल रहे मेरे नन्हे से ख्वाब है.. नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे ©Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात) नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे मिलती शराब है-२ हर शख्स थामे हाथ मे इसे कहता खराब है.. नुक्कड़ के दाएं मोड़ पे शामें तो रोशन चाँद से ए जानिब रात भर,-२
Dr.Ras Bihari Trivedi
स्वयं गलती करके दूसरे को दोषी ठहराने वाला आदमी अधमाधम होता है। सरल होना आसान नहीं होता है। इसमें आगे, पीछे,दाएं,बाएं कोई मात्रा नहीं है।बस जस का तस। रास बिहारी त्रिवेदी
यथार्थ गीता ज्ञान
Ashraf Fani【असर】
तू दरिया और मैं हूँ किनारा बीच मैं है बस प्रेम की धारा तू बाएं या दाएं जाए दोनों तरफ तू मुझे ही पाए ©Ashraf Fani【असर】 तू दरिया और मैं हूँ किनारा बीच मैं है बस प्रेम की धारा तू दाएं या बाएं जाए दोनों तरफ तू मुझे ही पाए #ashraffani
Bhupendra Rawat
हालातों ने अक़्सर मुझे दबाए रखा मुद्दों को हमेशा मेरे खिलाफ बनाये रखा चुप था, यही सोचकर आजतक मैं,क्योंकि रूह ने भी जिस्म को भी दाएं-बाएं रखा भूपेंद्र रावत ©Bhupendra Rawat हालातों ने अक़्सर मुझे दबाए रखा मुद्दों को हमेशा मेरे खिलाफ बनाये रखा चुप था, यही सोचकर आजतक मैं,क्योंकि रूह ने भी जिस्म को भी दाएं-बाएं रखा
Kulbhushan Arora
मन को सिखाना चाहिए मन को खुशियां देखना सिखाओ, खुशी क्या है, मन को वास्तविकता समझाओ खुशी देखना मन जब सीख जाता है खुशी में खुशियों के प्रतबिंब भी पाता है
The Urban Rishi
मेरे स्टडी रूम की अलमारी में रखी, दाएं से सातवी डायरी, अब तुम्हारा नया पता है, तुम्हारा दिया वो फूल अब सुख चुका है, पर यादें बिल्कुल ताजी है, जब भी तुमसे मिलने की चाह होती है, मैं खोल लेता हूं वो सातवीं डायरी और खो जाता हूँ, तुम्हारी यादों की तन्हाई में। ©The Urban Rishi मेरे स्टडी रूम की अलमारी में रखी, दाएं से सातवी डायरी, अब तुम्हारा नया पता है, तुम्हारा दिया वो फूल अब सुख चुका है, पर यादें बिल्कुल ताजी है