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Internet Jockey

पत्ते पर पत्ता, कोई फर्क नहीं अलबत्ता #विचार

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पत्ते पर पत्ता, कोई फर्क नहीं अलबत्ता पत्ते पर पत्ता, कोई फर्क नहीं अलबत्ता

viJAY

आशियाँ - घर अलबत्ता - बेशक़ #alone #Like #share #Comment #follow #Love #Pain #vijaywrites #Shayari #hindishayari #शायरी

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उड़ जाने का कुछ इल्ज़ाम हम पर लगाया उसने,
वो परिंदा आशियाँ नहीं चाहता, उड़ते-उड़ते बताया उसने,
हम हवाओं के रुख़ से लड़ने को तैयार थे अलबत्ता,
कि ख़्वाबों को भी ख़ाक में मिलाया उसने।

धूप निकलने वाली है, इशारों में कहता चला गया,
सर्द मौसम के आने का ज़िक्र छुपाया उसने,
गिर गए, चोट खाकर अपनी ही नज़रों में,
यूँ ज़माने की नज़रों में काफ़ी हद तक उठाया उसने।

©viJAY आशियाँ - घर 
अलबत्ता - बेशक़

#alone #like #share #comment #follow #love #pain #vijaywrites #shayari #hindishayari

mustajaab Hasan

#Books भला किसे समझ आया मेरा अहल-ए-ज़ौक़ अलबत्ता औरों के फसाने तो फलसफे हो गए

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भला  किसे  समझ  आया  मेरा  अहल-ए-ज़ौक़
अलबत्ता औरों  के  फसाने तो फलसफे हो  गए

©mustajaab Hasan #Books भला  किसे  समझ  आया  मेरा  अहल-ए-ज़ौक़
अलबत्ता औरों  के  फसाने तो फलसफे हो  गए

Ravikant Raut

उज़ाला मेरे शहर का सुबह कैसी रही तुम्हारी कोई पूछता नहीं आजकल अलबत्ता वीकेंड कैसा रहा पूछने वाले बीसियों मिलेंगे सारा दिन मेहनत

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 उज़ाला मेरे 
शहर का 

सुबह कैसी रही तुम्हारी 
कोई पूछता नहीं आजकल 
अलबत्ता वीकेंड कैसा रहा 
पूछने वाले बीसियों मिलेंगे 
सारा दिन मेहनत

Vedantika

♥️ आइए लिखते हैं मुहावरेवालीरचना_482 👉 तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता लोकोक्ति का अर्थ - शेखी बघारना या झूठा दिखावा करना। ♥️ इस पोस

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तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता।
ज़िंदगी के इस खेल में डाले सत्ते पे सत्ता।

रहता है जो झोपड़ी में महल सा बताएँ।
दुनिया के सामने कपड़े के पैबंद छुपाएँ।

रंक होकर भी खुद से राजा बन जाता हैं।
जब इसके सामने कोई मंत्री आ जाता है।

ऐसे ही दिखावे में सारी उम्र गुजर जाती है।
एक वक़्त बाद उन्हें हक़ीक़त नज़र आती है।

कोई फर्क नही रहता फिर उसके पछताने में।
बर्बाद हो गया पास था जो सबसे छुपाने में। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_482

👉 तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता लोकोक्ति का अर्थ - शेखी बघारना या झूठा दिखावा करना।

♥️ इस पोस

Dr Upama Singh

♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_482 👉 तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता लोकोक्ति का अर्थ - शेखी बघारना या झूठा दिखावा करना। ♥️ इस पोस #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़

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तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता।
झूठी शान के लिए इंसान क्या क्या नहीं करता।

घर में खाने को ढाई सेर अनाज ना होता।
बाहर दिखावे में मक्खन मलाई काटता।

पहने को तन पर कपड़ा नहीं होता।
मुँह में सारे दिन पान चबाया जाता।

शेखी बघारना या झूठा दिखावा करना।
अपनी ही शान में ख़ुद कसीदे कसना।

वक्त फिसल जाती हाथ की मुट्ठी की रेत।
बाद में क्या होए पछताए जब चिड़िया चुग गई होती खेत। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_482

👉 तन पर नहीं है लत्ता पान खाया अलबत्ता लोकोक्ति का अर्थ - शेखी बघारना या झूठा दिखावा करना।

♥️ इस पोस

रजनीश "स्वच्छंद"

अपनी जमीं तलाशता।। मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ, पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ। पड़ा धूल हूँ फांक रहा, पर उसकी ही तो सत्ता हूँ। ओस की बूंदें गिर #Poetry #Quotes #Life #kavita #hindikavita #hindipoetry

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अपनी जमीं तलाशता।।

मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ,
पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ।
पड़ा धूल हूँ फांक रहा,
पर उसकी ही तो सत्ता हूँ।

ओस की बूंदें गिर मुझपर,
चमक चमक इठलातीं थीं।
मुझसे निकल किरणे भी,
मन ही मन इतराती थीं।

मैं पूजा की वेदी बैठूं,
कलश में मेरा मान रहा।
मेरे ही छिड़के जल से,
देवोँ का पुनीत स्नान रहा।

साख से टूट जमीं पे गिरा,
अब किसी के घर का हिस्सा हूँ।
दीवारें मिट्टी की चुनवा दी,
मैं भी छप्पर का हिस्सा हूँ।

अपनी चिंता कब थी मुझको,
अनायास जीये मैं जाता हूँ।
दे शीतलता औरों को,
लू की गर्मी पीए मैं जाता हूँ।

कब तुमसे पूछा मज़हब,
कब जात धर्म की बात कही।
किसकी ख़ातिर क्या है बदला,
दिन भी वही, वही रात रही।

जिस ओर पवन का शोर हुआ,
मैं उसके पीछे जाता हूँ।
जल बोरसी में ठंढ मिटाने,
खाट के नीचे आता हूँ।

एक कहानी गांठ बांध लो,
जिसका उदय, अस्त भी उसका।
कोई तुम्हे कंधा क्यूँ देगा,
जिसका दर्द, कष्ट भी उसका।

©रजनीश "स्वछंद" अपनी जमीं तलाशता।।

मैं डाल से टूटा पत्ता हूँ,
पर उसका हिस्सा अलबत्ता हूँ।
पड़ा धूल हूँ फांक रहा,
पर उसकी ही तो सत्ता हूँ।

ओस की बूंदें गिर

K2 Diary

9 साल पहले परिवार में शादी के जबरदस्त दबाव के चलते मुझे शादी के लिए एक सुंदर लड़की से मिलवाया गया... मिलने के बाद लड़की ने मेरी प्राईवेट नौकर #story #Hindi #read #nojotohindi #nojotostory

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#Read full story⏬ #NojotoQuote 9 साल पहले परिवार में शादी के जबरदस्त दबाव के चलते मुझे शादी के लिए एक सुंदर लड़की से मिलवाया गया...

मिलने के बाद लड़की ने मेरी प्राईवेट नौकर

Avinash Jha

दहेज़ डोली उसकी उठी थी एक पिता की अरमान सजी थी माँ का आँचल आज फिर गीली थी उनकी बेटी आज फिर रोई थी नाज़ों से पाला था जिसे

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दहेज़

डोली उसकी उठी थी
एक पिता की अरमान सजी थी
माँ का आँचल आज फिर गीली थी
उनकी बेटी आज फिर रोई थी

चंद सिक्को के लालच में
समाज आज फिर शर्मसार था
बेटी का घर बचाने में
एक बाप आज फिर रोया था

【 Please read the whole poem in Caption 】

Well this isn't just a poem, but a story of every other home. दहेज़

डोली उसकी उठी थी
एक पिता की अरमान सजी थी
माँ का आँचल आज फिर गीली थी
उनकी बेटी आज फिर रोई थी

नाज़ों से पाला था जिसे

lalitha sai

मालगुड़ी कथाएँ..😇 बहुत ही रोमांचक.. बहुत ही भावुक.. और बहुत ही ज्ञान से भरा.. एक अनोखी कथाएँ.. जिसे देखने से पता चले.. या उन कथाओं को पढ़ने स #MyThoughts #mydiary #myworld #RKNarayan #lalithasai #myalltimefavourite #myfevstorys

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R. K. Narayan sir..

Read caption.. 👇 मालगुड़ी कथाएँ..😇
बहुत ही रोमांचक..
बहुत ही भावुक..
और बहुत ही ज्ञान से भरा..
एक अनोखी कथाएँ..
जिसे देखने से पता चले..
या उन कथाओं को पढ़ने स
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