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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Pankaj Kumar
सबसे बड़ा झूठ यह है, अगर कोई व्यक्ति कहता है कि मुझे प्रसिद्धि नही चाहिए वो झूठ बोलता है क्योंकि आजकल हर व्यक्ति अपने मनचाहे क्षेत्र में मशहूर होना चाहता है और इसके लिए दो काम करना पड़ता है - पढ़ने लायक कुछ ऐसा लिख दो, या लिखने लायक कुछ ऐसा कर दो,, अगर इन दोनो मे से अगर कोई व्यक्ति करता है तो उसे उस रास्ते में डर से मुलाकात या सामना होता है वो डर इतना उस व्यक्ति पर हाबी होता है या होने लगता है कि वह भुल जाता है कि सफल होने के बाद क्या मिलेगा बल्कि वह यह सोचता है कि असफल हो गया तो क्या क्या सुनने और देखने को मिलेगा इसलिए कोई व्यक्ति करना तो दूर सोचने से भी डरता है, लेकिन अगर उसे करना है तो उसे इन चार लाइन पढ़ने की जरूरत है - तालिम दी नही जाती परिंदों को उड़ जाने की, वो खुद ही तय करते है मंजिल आसमानों की,, जिनमें होता है कुछ कर जाने का हौसला, उन्हें फिक्र नही होती जमी पर गिर जाने की,, अगर व्यक्ति कुछ करना चाहता है तो उसे यह सोचने की जरूरत नहीं है कि मैं असफल हो गया तो, फेल हो गया तो, कही ऐसा न हो की "न घर का रहा ना घाट का रहा" फिर क्या होगा मेरा, और डर एक ऐसा दानव का नाम है कि उसे सही समय पर न रोका गया तो वह सफल होने की सारी सम्भावनाये को रोक देता है, डर क्या है ? (WHAT IS FEAR)... डर एक ऐसा झूठ है जो हमे सच जैसा लगता है असल में डर का वाजुद होता ही नहीं है वह तो हमारे (दिमाग) द्वारा बनाया गया एक ऐसा झूठ होता है जो हमे सच जैसा लगता है असल में कुछ कर जाने वाले के लिए ये REAL मे होता ही नहीं है, हमारे दिमाग में जितने भी डर होते है वह कही न कही से आये होते है अधिकतर डर हमारे घर और समाज से मिला होता है यह मत करो, वह मत करो तुम नही कर पाओगे इत्यादि यह बहुत सी बातें हमें बचपन में सिखाई जाती है जिससे की हमारे अंदर में डर बैठने लगता है, ऐसा वास्तव मे नही होता !! "कुछ करने वाले के लिए" पंकज कुमार ©Pankaj Kumar प्रसिद्धि और डर का तथ्य #ValentinesDay
Poetess-TR
उसको प्रसिद्धि मिलना तय था बदनामी एक जरिया थी जो जमाने द्वारा लगाया गया समियाना था। ©Poetess-TR #प्रसिद्धि
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Sabir Khan
प्रसिद्धि का मूल्यांकन धन-बल से नहीं अपितु योग्यता से होता है। #प्रसिद्धि
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
ajay jain अविराम
सस्ता उपलब्ध सोपान है पैसा भीड़ होना प्रधान है हुनर की जरूरत ही क्या पहनो प्रसिद्धि परिधान है अजय जैन अविराम प्रसिद्धि परिधान है
ajay jain अविराम
जिन चेहरों पर अखबार सादगी लेखा है सुंदरता चढ़ा मुल्लमा सत्य नही धोखा है झूठ गलित गड्ढे बदसूरत कालिख काली झूठा सौदा सारा बस प्रसिद्धि की रेखा है अजय जैन अविराम प्रसिद्धि फंडा है
Mahima Jain
•| पर्यायवाची कविता |• ' गर्व ' जिसको करना था, ' घमंड ' था उसने कर लिया। ' मान ' सम्मान सब मिट गया, ' अहंकार ' भी चकनाचूर हुआ।। मेरी पहली पर्यायवाची कविता। ❤️ शब्द - अहंकार पर्यायवाची - गर्व, घमंड, मान ____________________________________________ Challange done for -