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कवि शिवा "अधूरा"
आज की नवेली दुल्हन के ख़यालात मायके से मां के प्यार का अपनापन न निकला, ससुराल में मां की डांट का भरम न निकला, और मैंने कई दफ़ा पूछा कि मेरी मां तेरी कौन है, सास के सिवा मुंह से दूजा शब्द न निकला । शिवा "अधूरा" आज की नई दुल्हन के ख़यालात
Dheerajs.Rajput💕
मीना जी आप आए कुलर लेके, फ्रीज को कौन लेके आएगा ! पुरानी तो बहुत है घर में, किसी से पूछो नई दुल्हन कौन लाएगा!!😊 !! dheeraj Chauhan !!✍️ #नई दुल्हन कौन लाएगा!!
Mudit sand
नई दुल्हन, नई उलझन नया सूरज, नये आँसू (@rytwriter(on insta) #Night नई दुल्हन, नई उलझन नया सूरज, नये आँसू by mudit sand
Dr SONI
एक दुल्हन जो सज के खड़ी थी, अवनि से मिलने अंबर थी आतुर, किरणों से शोभित डोली सजी, फूलों के गहनों से महक रही। पैरों में ऐसे बज रही थीं पायल, बागों में गुंजन कर रहा था भँवरा रंग बिरंगी तितली थी उड़ती, दुल्हन के वसन में रंग वो भरती। दुल्हन की मीठी बोली सुन सुन, कोयल भी कू- कू करती है संग, होठों की लाली दमक रही थी ऐसे, बागों में खिली गुलाब की कलियाँ जैसे। लाल सुर्ख जोड़े में चमक रही थी आभा ऐसे, सूर्य की लालिमा से चमक रहा हो अंबर जैसे, नए सपने, नई जिंदगी की ओर बढ़ रही है दुल्हन, नव प्रभात, नव बेला में जग रहे हैं सब। नई किरण, नई दुल्हन संग Zindagi Calling You Garima Grover PRATIK BHALA (pratik writes) J P Lodhi. Priya Gour
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कभी चूड़ी बजाती है कभी पायल बजाती है । नई दुल्हन सुनों अक्सर सभी के मन लुभाती है । मगर अन्जान है प्रियतम उसी झंकार से अब तक - जिसे निशिदिन इशारों में वही धड़कन सुनाती है ।। २०/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कभी चूड़ी बजाती है कभी पायल बजाती है । नई दुल्हन सुनों अक्सर सभी के मन लुभाती है । मगर अन्जान है प्रियतम उसी झंकार से अब तक - जिसे
अंकुश मीणा
✒गजल को आएना... ✒ ~•~○~•~○●~•~○~☆~○~•~○~•~●~○~•~○~ सुनो मेरे दोस्त .. गजल को आएना करने में वक्त लगता है, नई दुल्हन को संवरने में वक्त लगता है, 🔰 मरीज-ए-इश्क से कह दो "हाय हाय" ना करें... पुराना जख्म हैं, भरने में वक्त लगता हैं ...!! ~●~○~●~○~●~○~●☆●~●~○~●~○~●~○~ ✒अंकुश मीणा ✒ **:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::** #NojotoQuote ✒गजल को आएना... ✒ ~•~○~•~○●~•~○~☆~○~•~○~•~●~○~•~○~ सुन मेरे दोस्त .. गजल को आएना करने में वक्त लगता है, नई दुल्हन को संवरने में वक्त लगता ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- 1222×4 तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में । नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।। तुम्हें फिर से सजायेंगे..... वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल । यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।। हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में । तुम्हें फिर से सजायेंगे..... शिवा से माँग कर लाया , जिसे मैं हूँ दुआओं में । चलूँगा संग मैं तेरे , सुनो अब इन हवाओं में ।। बहक जाऊँ न मैं पाकर , तुम्हें मैं आज आँगन में । तुम्हें फिर से सजायेंगे ..... तुम्हें पाकर खुशी इतनी बयाँ मैं कर नहीं सकता । अधर से मैं हँसी अपनी , जुदा भी कर नहीं सकता ।। किसी को क्या बताऊँ मैं , कि तुम क्या आज जीवन में । तुम्हें फिर से सजायेंगे .... अधर पे जो तुम्हारे है , वही है रक्त सीने में । मजा ही आ गया है अब , तुम्हारे संग जीने में ।। मुझे अब साफ़ दिखती है , नहीं अब राह अड़चन में । तुम्हें फिर से सजायेंगे ..... तुम्हें फिर से सजायेंगे , सुनो इस बार सावन में । नई दुल्हन बनायेंगें , तुम्हें इस बार सावन में ।। ०४/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 1222×4 तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में । नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।। तुम्हें फिर से सजायेंगे.....
Ankit Tripathi
-ankittripathiofficial शिव के डमरू की सकल झंकार हिन्दी है, राधा और कृष्ण का अमर प्यार हिन्दी है। संस्कृत की महाप्राणी जो गर्भ से उपजी, हमारी संस्कृतियों की निधि उ
AB
तू दूधमूंही तो नहीं ... ( अनुशीर्षक ) दूधमूँही होती है वो बिटिया जो सासरे में ढूंढती घर के किसी कोने में आसरे को, पीहर में छोड़ जाती मां के आँचल में अपना बचपन खुले बालों के साथ
Anamika Nautiyal
दहेज की आग अनुशीर्षक में पढ़ें छोड़ बाबुल का घर अँगना चल दी वह संग सजना आँखों में संजोए एक सुखद भविष्य का सपना बनाने पराए घर को अपना दो दिन ससुराल में खूब आवभगत हुई फिर