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Parasram Arora
ऐक दिन रोओगे बहुत एक दिन पछताओगे बहुत एक दिन आँखों मे सिर्फ टूटे हुए इंद्रधनुष होंगे बिखरे सपने और आंसुओं क़े झरने होंगे. तब तुम कर कुछ न पाओगे क्योंकि वक़्त चुक गया होगा हाथों से रेत की तरह फिसल गया होगा परपंच तुमने किये बहुत उत्पात करते रहे बहुत उसका फल अब पश्चाताप बन क्रर रह गया है केवल.. क्योंकि अब तुम्हारे हाथ खाली है जीवन बासा है सुप्त है और अब रिक्तता तुम्हे सालती है पीड़ा देती है विषाद से तुम्हे भर देती है ©Parasram Arora विषाद
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
भावनाओं के अतिरेक मे किये गये निर्णय जीवनभर मन का विषाद देते हैं। ©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak) #विषाद
anamika
बिगड़ी बात फिर बन जायेगी हौसलों से कहो मायूस न हो रात विषाद की ढल जायेगी ©anamika #विषाद
Vikas Sharma Shivaaya'
सातों सबद जू बाजते घरि घरि होते राग । ते मंदिर खाली परे बैसन लागे काग । कबीर जी कहते हैं कि जिन घरों में सप्त स्वर गूंजते थे, पल पल उत्सव मनाए जाते थे, वे घर भी अब खाली पड़े हैं – उन पर कौए बैठने लगे हैं,समय हमेशा तो एक सा नहीं रहता -जहां खुशियाँ थी वहां गम छा जाता है जहां हर्ष था वहां विषाद डेरा डाल सकता है – यह इस संसार में होता रहता है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हर्ष विषाद
Parasram Arora
जिस लहर क़ो तुम सागर की छवि का आकर्षण कह रहे हो शायद तुमने अच्छी तरह से समझने की कोशिश नही की है कि वो लहर सागर का विषाद ग्रस्त उठा हुआ चेहरा है ज़ो सागर की विचलित हुई अंतरपीडा की वजह से. लहर बन कर सागर की सतह पर उभर आया है ©Parasram Arora विषाद ग्रस्त चेहरा.....
Arora PR
बिषाद के क्षणो मे एक कोमल स्वप्निल उड़ान भरे. या फिर एक पुरातन राग को नए स्वर देने की चेष्टा करें ©Arora PR विषाद के क्षण
Rajesh rajak
अपना था एक मित्र,हर्ष,जिससे सब करते थे प्यार, इक दिन घुस आया एक घुसपैठिया,,विषाद,, करके कपट पूर्ण व्यवहार, हर्ष बह गया जज्बातों में,फस गया विषाद की बातों में, छद्म भेष बनाकर,हम तक घुस आया गद्दार, घोंप दी उसने हर्ष की पींठ में विषाक्त एक कटार हो गई हर्ष,के हृदय के पार,हुआ दर्द असहनीय,और अपार, मच गया रोना,धोना,दुख आया है मीत बनके,नाम दिया,,करोना,, लेकिन हम सब को है विश्वास, हर्ष को होगा अपनी भूल का एहसास, बो पछताकर आ जाएगा हम लोगों के पास, तब तक संयम रखिए,न करिए किन्तु परंत, इक दिन हो जाएगा सभी दुखों का अंत, आओ हम सब मिलकर, रखें ईश्वर में आस्था, इस दुष्ट करोना का अंत करो,दिखाओ बाहर का रास्ता, हर्ष (सुख)विषाद(दुख)
बबलू सिंह "बेदर्दी "
आगाज दोस्ती का फिर से मुकम्मल करू पुराने जख्मों का निशा क्या है ,सियासत सीख रहा हूं उनके दरमियां के वरना "बेदर्दी "अपनी विषाद ही क्या है ! अपनी विषाद क्या है.... #shadesoflife
Prince Verma
हृदय और हृदय का करूण संवाद कैसा, एक अपूर्ण कहानी का अवसाद कैसा, अनुरागी बनूं या वैरागी बनूं निर्भर है मुझपे, तो उसका कोई वियोग कैसा और विषाद कैसा। वियोग कैसा और विषाद कैसा.. #hindi
Deepak Sisodia
सबको यहाँ, बस अपने ही, मतलब से मतलब हैं जो था यहाँ कल, आज हैं, और बस वहीं अब हैं मण्डी फकीरों की लगी , बिकता ख़ुदा देखा अब तो दुआओं में भी, उनके उनका मतलब हैं रिक्शे चलाने वाले भी , बाबा थे बचपन में बच्चों को भी क्या इल्म, के क्या अदब अब हैं दौलत की चम चम में, यहाँ सब चमचमाता हैं सिक्कों की ये आवाज़ हमदम , क्या गज़ब ढब हैं अब तो यहाँ हर बात में, बस आप दिखता हैं ख़ुद के ख़ुदा हम आप हैं, और आप ही रब हैं दीपक सिसोदिया मतलब ही मतलब....