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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जनमत :- कुण्डलिया जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप । इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।। मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा । छोड़ रहे सब साथ , दलों का वारा न्यारा ।। ऊब गये थे लोग , देखकर तेरी हरकत । अब तुम देखो स्वप्न , मिले फिर हमको जनमत ।। जनमत का हक आपने , खाकर लिया डकार । कभी पलट बाँटा नही , जनता में वह प्यार ।। जनता में वह प्यार , न थी कोई मजबूरी । रखा स्वार्थ भर चाव , यही कारण है दूरी ।। और बताते आज , यहाँ पर हमको हिकमत । जाओ बाबू आप , फैसला है ये जनमत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जनमत :- जनमत की बाते कभी , सुने नहीं थे आप । इसीलिए तो आपको , मिला आज संताप ।। मिला आज संताप , दोष ये रहा तुम्हारा ।
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर तो आदमी क्या चीज है ।२ हौसलों ने पाल रख़्खा हो जिसे इस दौर में । पूछियेगा फिर न उससे कीमती क्या चीज है ।।३ गर्दिशो से उठ के ऊपर फैसले जिसने लिए । ज़िन्दगी उनको सिखाती लाज़मी क्या चीज है ।।४ ठोकरें खाकर सँभलता जो यहाँ इंसान अब । जानता वो ही यहाँ पर ज़िन्दगी क्या चीज है ।।५ लूटकर घर भर लिए हैं देख लो खादिम यहाँ । अब नहीं तुम कह सकोगे की कमी क्या चीज है ।।६ प्यार गर दिल से प्रखर तो भूल जा ये दर्द भी । यार जो हँसकर मिलें तो ये नमी क्या चीज है ।।७ २०/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर
दक्ष आर्यन
कौन से रंग की तुम्हे जरूरत सब रंग यहां पर मिलते है अपना हो या गैर हो कोई यहाँ सब ही रंग बदलते है ©दक्ष आर्यन #Holi यहाँ सब ही रंग बदलते है
Nojoto
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Rajni Kant Dixit
Red sands and spectacular sandstone rock formations अपने पन का नामो निशा नही अब यहाँ.. अपनो को छोड़ दूसरे पर यकी अब यहाँ.. ©Rajni Kant Dixit #Sands #hindi_poem #Sitapurpoetry #अपने पन का नामो निशा नही अब यहाँ..
Andy Mann
इन सारे झमेलों से मैं वाक़िफ़ हूँ अज़ल से दिखला न मुझे हिज्र की ये कश्फ़-ओ-करामात ये पेड़ तिरी याद से सरसब्ज़ हुआ है झड़ सकते नहीं इस के किसी तौर कभी पात ©Andy Mann #पर तिरी
mithilani.@
कभी पढ़ तो सही....❤️ मेरे आँखों को .... यहाँ दरिया बहता है ..... तेरी मोहब्बत का....😍 ©mithilani.@ कभी पढ़ तो सही....मेरे आँखों को यहाँ दरिया बहता है तेरी मोहब्बत का....
अमित कुमार
White इंसान अगर बांध ना बनाए,वो नदियों के जलधारा को मोड़ेगा कैसे । दूसरों से ज्यादा खुद पर भरोशा हो,और कोई अपना दिल तोड़ेगा कैसे।। ©Amit खुद पर भरोशा