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Mohit Jagetiya
मेघों को मेरा निमंत्रण है मेघों को कोयल,पपिया,मोर, झरने,नदियों का निमंत्रण।। आ जाहो तुम उमड़,घुमड़ कर काले घनघोर मेघ तुम बरस जाहो प्यास मिठा कर अमृत बरसा दो मोर ,पपिया तुम्हारा गान कर रहें।। बैठी वो नायिका तुम्हारे इंतजार में तुम आहोगें तो उसका साजन घर आएगा। वो विरद विदेना में तड़प रही उसकी प्यास मिठाने मेघ तुम आजोहा। जब बिजलिया चमकेगी तो काले बादल छाएंगे तो,ये मन बेचन होगा,जब तुम्हारे आने की आस बड़ेगी मेघ तुम्हारे बरसने से मन की प्यार बुझेगी।। ये आँखे अब बरसने लगी है मेघ तुम आ जाहो भू धरा तरसने लगी है मेघ तुमको मेरा निमंत्रण है।। मेघों को मेरा निमंत्रण
vasundhara pandey
मौन ही यथार्थ है वहाँ जहाँ निष्कर्ष पूर्वनिश्चित है.. क्या शंखध्वनि दी जाये सावन के मेघों को बरसने को बने हैं क्यों बाढ़ दी जाये टोटकों (efforts) को
alex akash
ये हल्की-हल्की बारिशें और मेघों का यूं गर्जना, जैसे तेरी यादें आना और मेरे दिल का रोना। ये हल्की-हल्की बारिशें और मेघों का यूं गर्जना, जैसे तेरी यादें आना और मेरे दिल का रोना। #rainnyday #rainingtoday #rainspeaks #rain #alexcol
Deepa Kandpal
Ramona Singh
अगस्त का ये महीना महीन-महीन महीना है इस रेशमी जाल में फसे हैं मेघ इन मेघों का एक घंटा है ये बजा अब बजा अभी बजा बस देख, अभी बजेगा भडींग-भडींग तडींग-तडींग अरे! आवाज़ तो नहीं आयी! ज़रा झिंझोड़ इसे, ज़रा झकोल इसे, ज़रा-सा निचोड़ इसे, क्या पता बरसात निकल आये! मेघों का घंटा अगस्त का ये महीना महीन-महीन महीना है इस रेशमी जाल में फसे हैं मेघ इन मेघों
rupali yadav
तुम सूर्य किरण, मन मेरा काला मेघ बना बैठा तुम भंवरे से चंचल, मन मेरा ठहरा नीर बना बैठा तुम इंद्रधनुष के सातों रंग, मन मेरा बेरंग हुआ बैठा तुम ह्रदय में मेरे बसते हो, मन मेरा तुम्हें ह्रदय बसा बैठा मेरे ह्रदय पर जो काले मेघों ला घेरा था वो अब छंट चुका है मानो सूर्य की एक किरण पड़ी और काले बादल अदृश्य हो गए.. वो किरण हो तुम जो मेरे सारे अ
Sunita D Prasad
#अतिरिक्त.... मेघों ने.. अतिरिक्त जल बरसा दिया..! धरा ने भी, कुछ जल कर अवशोषित/संग्रहित.. अतिरिक्त, बहा दिया..। सागर सहर्ष समाहित करता रहा.... सबका अतिरिक्त..! और होता गया दिन-ब-दिन खारा..! तुम्हारे कंधों पर सिर टिकाते ही.. न जाने क्यों.. वही खारापन पाती हूँ ।। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अतिरिक्त.... मेघों ने.. अतिरिक्त जल बरसा दिया..! धरा ने भी, कुछ जल कर अवशोषित/संग्रहित..
*Nee₹
कुछ बारिश की बूंदें और मेघों की गड़़गड़ाहट कुछ परदेस के परींदे और पपीहे की चहचहाट कुछ कलियों के फीते और भवरों की गुनगुनाहट कुछ हवा के झोंके और पत्तों की सरसराहट कुछ सिसकता दिल मेरा और ज़रा सी ख़ामोशी.. #मौन #सेतु #भाषा #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal तेरे मेरे मौन के बीच कौन सी भाषा बनेगी सेतु ---------------
Acharya Chandramani Jha
तपिश तो मेरे दिल में थी , मगर उसने तो बस सूरज में देखा , रूदन तो मेरी आंखों में था , मगर उसने तो मेघों में समझा , आहें तो मेरी सांसों में थी , मगर उसने तो हवा के झोंके को माना , चाहते तो मेरी बस उसमें ही थी , मगर उसने तो मुझे बैगानों में ही जाना ....!! ✍️@आचार्य तपिश तो मेरे दिल में थी , मगर उसने तो बस सूरज में देखा , रूदन तो मेरी आंखों में था , मगर उसने तो मेघों में समझा , आहें तो मेरी सांसों में
AB
नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः। निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥ अर्थात- जिनका कण्ठ नवीन मेघों की घटाओं से परिपूर्ण अमावस्या की रात्रि के समान काला है, जो कि गज-चर्म, गंगा एवं बाल-चन्द्र द्वारा शोभायमान हैं तथा जो कि जगत का बोझ धारण करने वाले हैं, वे शिव जी हमें सभी प्रकार की सम्पन्नता प्रदान करें,! ll 🌸ll ॐ नमः शिवाय ll🌸ll ___________________________________________________ नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिश