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Divyanshu Pathak
कृष्ण एक स्वास्थ्य का अभूतपूर्व स्वरूप (सिद्धांत रूप) देश को दे गए- “गाय का, बिलौवणे का,मक्खन खाओ, भले ही चुराकर खाना पड़े।” आज विज्ञान ने उसे भी विषाक्त कर दिया। अन्न को विष बना ड़ाला विदेशी खाद से,कीटनाशक से, उन्नत बीजों से। विज्ञान पैदा नहीं कर पाया शिव, नीलकण्ठ। विष्णु के क्षीर सागर का अमृत भी हो ग
Divyanshu Pathak
“पातंजल योग दर्शन” तो गीता के बाद का है। “योगवाशिष्ट” गीता से पूर्व काल का है किन्तु स्वयंभू सृष्टि आरम्भ है। धारणा-ध्यान-समाधि भी योग नहीं है। सर्वप्राचीन ऋग्वेद ने योग की सर्वप्रथम दृष्टि दी है, जो मूलत: योग का ऎसा स्वरूप है जो इह को पर से जोड़ता है, बाह्य से अन्तस् की यात्रा का सृजन करता है। : ऋषभं मा समानानां सपत्नानां विषासहिम्। हन्तारं शत्रूणां कृधि विराजं गोपितं गवाम्।। योग दिवस......😊 :💕🍉👨 हे शत्रुनाशनाभिमानी इन्द्र! मुझे मरे कुलवालों में समकक्ष व्यक्तियों के मध्य में वृषभ के समान श्रेष्ठ बनाओ तथा शत्रुओं क
Nisheeth pandey
संगीत -------------- जीवन एक संगीत है, जो चलता है- स्वरचित लय- ताल में, इसके स्वर होंगे , ये निर्भर होंगें, कर्म पर परिश्रम पर, सच्चाई के पगठण्डी पर, चलने वाले सोते अक्सर सकून की नींद, क्योंकि उनके जीवन से निकलने वाली मधुर लहरियाँ, देती हैं उन्हें सुकून, सुनिए महसूस कीजिए, परमात्मा के दिव्य संगीत को, अपनी हृदय में साँसों में, जिसके थमते ही, जीवन है अस्तित्वहीन, वो धड़कन संगीत नहीं तो और क्या है, कभी सुनने की कोशिश की है प्रकृति के संगीत, टप- टप करती बूँदों का, कल- कल करती नदियों का, झर- झर झरते झरने का, कुहू- कुहू करती कोयल का, गरजते बादलों का, रम्भाती गायों का, अदृष्य हवाओं का , वृक्ष के पत्तों का , चरमराती सूखे पत्तों का , फड़फड़ाहट पन्नों का , पटड़ी पे दौड़ती रेलगाड़ी के संगीत को क्या महसूस किया है, प्रन्नता ने ही नहीं , विरह में भी निकलता है संगीत, तभी तो मनभावन गीत सब भरे हैं दर्द से, जो सीधे हृदय में उतरते , प्रकृति की रोम रोम में, लय है, ताल है, संगीत है, बस अभेद सम्बंध बनाना होगा, प्रकृति के साथ, संगीत मानव ही नहीं ईश्वर तक प्रिय, तभी तो, भक्तों ने प्रार्थना की, संगीत के रस में घोल कर गुणगान, संगीत का प्रेम, जो समाई के प्रकृति के कण- कण में, जीवन के हर पहलू में, जीवन कुछ और नहीं, संगीत ही तो है, कभी सुन कर देखिए । संगीत में रम कर देखिये । #निशीथ ©Nisheeth pandey #worldmusicday जीवन एक संगीत है, जो चलता है- स्वरचित लय- ताल में, इसके स्वर होंगे , ये निर्भर होंगें, कर्म पर परिश्रम पर, सच्चाई के पगठण्डी
CalmKazi
कुछ सुबह की बातें चाय का ठेला लगता है हर नुक्कड़ पर पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग और गाय मदमस्त लेखक है एक कोने में सोता रात को कुछ थका सा था वहीँ दूसरी ओर लफंदर लौंडे ठिठोली करते हैं किसी अनसुनी बात पर कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी गिनी चुनी खाली थैलियाँ और कुछ प्लास्टिक के छोटे खिलोने बटोर रही वो बूढी अम्मा और कहीं दूर से घंटियों की टनटनाहट आती है मेरे कानो में सुबह की पूजा चल रही होगी उस घर में कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी (Read caption for full text) This would one of my favorite pieces I wrote long back when I was away from home. Its poignant and reminds me of everything I loved about my
CalmKazi
कुछ सुबह की बातें चाय का ठेला लगता है हर नुक्कड़ पर पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग और गाय मदमस्त लेखक है एक कोने में सोता रात को कुछ थका सा था वहीँ दूसरी ओर लफंदर लौंडे ठिठोली करते हैं किसी अनसुनी बात पर कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी गिनी चुनी खाली थैलियाँ और कुछ प्लास्टिक के छोटे खिलोने बटोर रही वो बूढी अम्मा और कहीं दूर से घंटियों की टनटनाहट आती है मेरे कानो में सुबह की पूजा चल रही होगी उस घर में कुछ ऐसी सुबह होती है मेरे शहर में जैसे रात का साया ही न रहा हो कभी (READ FULL POETRY BELOW) कुछ सुबह की बातें... चाय का ठेला, लगता है हर नुक्कड़ पर । पैदल सड़क पर घूमते हैं लोग, और गाय मदमस्त । लेखक है एक
Swatantra Yadav
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
स्वतन्त्र यादव
दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिए केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन (120 कुंटल)अनाज पर बहुत से लोग मज़ाक उड़ा रहे है। सोशल मीडिया पर केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा
Divyanshu Pathak
"बापा-रावल" ईडर के राजा नागादित्य की भीलों ने हत्या कर राज्य छीन लिया तो उनकी पत्नी अपने तीन साल के बच्चे को किसी भी तरह बचाकर बड़नगरा में रहने वाले उनके कुल पुरोहित नागर ब्राह्मण जिन्होंने गुहदत्त की रक्षा की थी के वंशज "वंशधर" जी के पास ले गई।जब ब्राह्मणों को भीलों से खतरा हुआ तो वे बच्चे को लेकर भाण्डेर दुर्ग के जंगल में "नागदा" के समीप 'पराशर' नामक स्थान पर लेजाकर निवास करने लगे।इसी जंगल में गाय चराने वाले एक ग्वाले को 'बप्पा' के रूप में जाना गया। एक मज़ेदार बात ये है कि अभी तक कोई इतिहासकार ये पता नहीं लगा पाया है कि "बप्पा" किसी राजा का नाम था या 'उपाधि' और अगर यह उपाधि थी तो किसकी? :
rock star
दुगो के बीच बातचीत शीर्षक :-गाँव और रोजगार का करब शहर में जाके, ना शुद्ध पानी मिली ना हावा । पैसा के थाह लाग जाई, किनत - किनत दावा ।। गाँव के प्यार शहर में ना मिली, नाही मिली उहवाँ हरियाली। एगो कमरा में बन्द भइल भइल उड़ जाई तोहरा होठ के लाली।। गाँव के चबूतरा प बैठ साँझली बेरा, हमनी सब जवन करीना जा बात। शहर मँ ई बतकही खातिर तू तरसब दिन-रात ।। एहि से कह तानी एगो बात, सुन ध्यान लगा के, गाँव में ही काहे न कुछ कइल जाव, एक दोसरा के तरफ हाथ बढ़ा के।। :-विवेकानंद उपाध्याय #गायों प्रेम
Ek villain
उत्तर प्रदेश विधानसभा समेत पांच राज्यों के चुनाव संपन्न विधानसभा चुनाव में परिणाम आ चुके उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में आई है निश्चित तौर पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश शासन प्रशासन के संचालन के व्यापक परिवर्तन हुआ है परिणाम स्वरूप लोगों ने एक बार फिर उन राज्यों की सत्ता सौंपी है परंतु उत्तर प्रदेश के किसानों में होने वाली परेशानी से कोई नई बात चुनाव के किसानों की समस्या दूर करने का मुद्दा राजनीतिक दलों ने उठाया 2 वर्ष पहले केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय ने यह गणना के आंकड़े पेश किए बेसहारा पशुओं की 50 लाख की सरकार नहीं है गौशाला हो सकता है ©Ek villain #बेसहारा गायों की समस्या का हल #adventure