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journalistrajashrivastava
सुखिया सब आरक्षित है। सुविधा लेकर भी शोषित कहलाये। दुखिया सब अनारक्षित है। सुविधा खोकर भी अत्याचारी कहाये। #KalyugKaRawan👑😎🕉️🙏 #GoldDigger💰 #कलयुगकारावण सुखिया सब आरक्षित है। सुविधा लेकर भी शोषित कहलाये। दुखिया सब अनारक्षित है। सुविधा खोकर भी अत्याचारी कहाये। #KalyugKaRawan👑😎🕉️🙏 #GoldDigger💰
NAGENDRA MOHAN SHUKLA
Shravan Goud
कोई भी पुरणमासी का चंद्रमा नही होता सब के सब अधुरे। अधुरापन पुरा करने की आस में सारी जिंदगी कट जाती फिर भी पूर्ण जीवन नही जी पाते। तमाम जिंदगी पुरी जीने के लिए जी-जान लगा देते हैं फिर अधुरापन लगा रहता है। दुखिया सारा संसार।
Nain
जब नयनों में सूनापन था, जर्जर तन था, जर्जर मन था, तब तुम ही अवलम्ब हुए थे मेरे एकाकी जीवन के! जाओ कल्पित साथी मन के! सच, मैंने परमार्थ ना सीखा, लेकिन मैंने स्वार्थ ना सीखा, तुम जग के हो, रहो न बनकर बंदी मेरे भुज-बंधन के! जाओ कल्पित साथी मन के! जाओ जग में भुज फैलाए, जिसमें सारा विश्व समाए, साथी बनो जगत में जाकर मुझ-से अगणित दुखिया जन के! जाओ कल्पित साथी मन के! - हरिवंशराय बच्चन ©Nain जब नयनों में सूनापन था, जर्जर तन था, जर्जर मन था, तब तुम ही अवलम्ब हुए थे मेरे एकाकी जीवन के! जाओ कल्पित साथी मन के! सच, मैंने परमार्थ ना स
Pankaj Singh Chawla
कदे हरे-भरे दरख्त वांग हुंदे सी असी, हवा संग झुमदे सी असी, परिंदया वांग उड़दे सी असी, नाचढे टपदे दिन बिताउंडे सी असी, ज़िन्दगी ने इहो जेहा रुख बदलिया, सुक्खे पतेया वांग रूल गए आ, दर-दर दी ठोकर खा रहे आ, बेजान शाखा वांग रह गए आ हुन इको ही आस आ उस रब तो, ओह मिह बरसावेगा, सुखिया शाखावा विच जान पावेगा, ज़िन्दगी नु फिर तो खुशहाल बनावेगा, मेरी ज़िन्दगी विच फिर सावन लौट आवेगा, इह "पंकज" रब दा लख-लख शुकर मनावेगा।। दरख्त- पेड़ वांग-उसकी तरह मिह-बारिश कदे हरे-भरे दरख्त वांग हुंदे सी असी, हवा संग झुमदे सी असी, परिंदया वांग उड़दे सी असी, नाचढे टपदे दिन बिता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द १०, ८, ११ पर यति चरणांत गुरु लघु हे मातु भवानी ,अम्बे रानी , करो कृपा इस बार । मैं जग से हारा , आप सहारा , कर दो अब उपकार ।। अब शरण तुम्हारे , तुम्हें पुकारे , करो मातु उद्धार । माँ दर्शन देकर , विपदा हरकर , कर दो भव से पार ।। मैं मूरख प्राणी , उलटी वाणी , करूँ भूल स्वीकार । हे जगत विधाता , तुम ही दाता , तुम ही पालनहार ।। है नाम तुम्हारा , एक सहारा , दुखिया है संसार । अब तो दया करो , मत नीर भरो , पुन: लियो अवतार ।। १३/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द १०, ८, ११ पर यति चरणांत गुरु लघु हे मातु भवानी ,अम्बे रानी , करो कृपा इस बार । मैं जग से हारा , आप सहारा , कर दो अब उपकार
Sonu Jaat
Yashpal singh gusain badal'
तू मेरे मन की क्या कहे ; तू अपने मन की बोल ! क्यों मेरे मुख से चाहता ; अपने मन के बोल ? कांटे भी थे फूल भी ; इस जीवन के नाम । तुम फूलों के वास्ते ; सदा हुए बदनाम । गर तुझको इनकार था तो कर देते इनकार , बे मन क्यों ढोते रहे, मेरे मन का भार । तुझको पलकों में रखा हुई क्या हमसे भूल फूलों की उम्मीद थी तुम चुभा रहे थे शूल मन के अंदर जहर है बाहर है मुस्कान अंदर तो शैतान है बाहर से इंसान । सुख बस टीले से रहे , गम के बने पहाड़ , मन के जीते जीत है , मन के हारे हार । सोच बना ली आपने , दुखिया सब संसार, सुख दर्शन होंगे कहाँ, मन ही जब बीमार । ©Yashpal singh gusain badal' तू मेरे मन की क्या कहे ; तू अपने मन की बोल ! क्यों मेरे मुख से चाहता ; अपने मन के बोल ? कांटे भी थे फूल भी ; इस जीवन के नाम । तुम फूलों के
kavi manish mann
सारी सृष्टि के आधार, हे ईश्वर हे प्राणनाथ। संकट रहित करो संसार, विनय करूंँ मैं बारम्बार। जल में, थल में, नीलगगन में तुम, तुम ही हो निराकार। तेरे अनन्न भक्त हैं भगवान, कर दो भक्तों का उद्धार। हे जग के स्वामी अन्तर्यामी, तुम ही हो तारणहार। त्रुटियांँ सारी क्षमा करो प्रभु, विनय करे "मन" बारम्बार। बीच धार में नैया है प्रभु , इस पार करो या उस पार। अन्तिम आश आप पर भगवन, दुखिया जन की सुनो पुकार। आज अगर न सुना किसी की , दुनिया कहेगी निराधार। सारे जीव सुखमय हो जाएंँ, कर दो प्रभु कुछ चमत्कार। ईश्वर प्रार्थना Korona vaouras सारी सृष्टि के आधार, हे ईश्वर हे प्राणनाथ। संकट रहित करो संसार, विनय करूंँ मैं बारम्बार। जल में,