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Manmohan Dheer
तमंचे बोकर फसल में बन्दूकें काटी गाँव में अब सिर्फ रसूखदार बचे हैं . धीर रसूखदार
DrLal Thadani
दहेज़ के लोभी दिल दिमाग़ से रोगी बहिष्कृत करो समाज से रसूखदार प्रतिष्ठित हों जो भी डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे दहेज़ के लोभी दिल दिमाग़ से रोगी बहिष्कृत करो समाज से रसूखदार प्रतिष्ठित हों जो भी डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे 07.12.2021
मुकेश सिंघानिया
gudiya
मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी है बेहोशी भी रहती है खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है सरकार के वादे, और प्रशाशन के दबे इरादे दिल ज़ख्मी कर चुके हैं रसूखदारों के कारनामें वीरान -सी ज़िन्दगी है किसका नतीज़ा कसर तो हमनें कहीं से न था छोड़ा दोष दे किसको किसपर फोड़े ठीकरा चोर- चोर यहाँ सब भाई मौसेरा अनगिनत डिग्रीयों के बाद भी ज़िंदगी हुई रैन बसेरा । मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें ©gudiya मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी
gudiya
#FourlinePoetry मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी है बेहोशी भी रहती है खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है सरकार के वादे, और प्रशाशन के दबे इरादे दिल ज़ख्मी कर चुके हैं रसूखदारों के कारनामें वीरान -सी ज़िन्दगी है किसका नतीज़ा कसर तो हमनें कहीं से न था छोड़ा दोष दे किसको किसपर फोड़े ठीकरा चोर- चोर यहाँ सब भाई मौसेरा अनगिनत डिग्रीयों के बाद भी ज़िंदगी हुई रैन बसेरा । मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें । ©gudiya मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी
MANJEET SINGH THAKRAL
देश के इतिहास में ये पहला ऐसा दौर है... जब रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की बात करने वालों को "#देशद्रोही" कहा जाने लगा है। अब देश की जनता को तय करना है कि "देशद्रोही" कौन है वो जो आपके के हको के लिए लड़ रहे है या वो जो देश को धर्म - जाति, नफरत के द्वारा बांट देना चाहते है और अंधत्व धारण करवा कर चंद पैसे वाले रसूखदार लोगो का गुलाम बना देना चाहते है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका इस पर भी लगाई जानी चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को ये अधिकार किसने दिया कि वो देश के किसी भी नागरिक की देशभक्ति और निष्ठा पर बिना वजह उंगली उठाये (वो भी केवल इसलिए क्योंकि वो सत्ता के गलत फैसलों और आम नागरिक के हितों के लिए आवाज़ उठा रहा है) और उसे "देशद्रोही" , "पाकिस्तानी", "खालिस्तानी", "आतंकवादी", "नक्सली" आदि जैसे शब्दों से संबोथित करे।। #जयहिंद #जयभारत।। ©MANJEET SINGH THAKRAL देश के इतिहास में ये पहला ऐसा दौर है... जब रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की बात करने वालों को "#देशद्रोही" कहा जाने लगा है। अब देश की जनता को
Archana Tiwari Tanuja
ज़िंदगी की शतरंज :- ज़िंदगी के पटल पर शतरंज की बिछी बिसात, कोई जीतेगा बाजी यहां तो कोई खायेगा मात। हार जीत का खेल सारा! आदमी लगा है दांव, द्वंद छिड़ा है खुद का खुद से! बिखरे ये हयात। कभी सियासत चाल है चलती कभी रसूखदार, सुकून-ओ-चैन कहां?दंगाई करते है खुराफात। खुद ही करें भ्रष्टाचार चेहरे पर डाले मुखौटा हैं, हाथ जोड़ सज्जनता का भेष धरे करें सिमात। किसी का किसी से न वास्ता! अलग है रास्ता, फिर भला कब कौन करें किसी से मुलाकात? पहले सी न रही दिलों में आपनेपन की बात, एक से हैं हालात बने क्या शहर क्या दिहात? भ्रमित है हर कोई वास्तविकता का भान नहीं, ज्ञान,गुणों की बात नहीं सब पूछे पहले जात। किसी का सुख किसी को कहां भाता "तनुजा" एक दूजे का कर रहे शिकार हैं लगा आघात। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja #Chess #NojoroHindi #NojotoFilms #myrhought #Zindagi_ki_shatranz 20/07/2023 ज़िंदगी की शतरंज :- ज़िंदगी के पटल पर शतरंज की बिछी बिसात,
Dr Upama Singh
“क़लम की करामात” अनुशीर्षक में://👇👇 क़लम की क्या बात सदियों से कर रही कमाल। इसने ही लिख डाले महाभारत, बाइबिल, गीत और क़ुरान। कितने गीत, गज़ल कथा कहानी लिख गई ये क़लम। आज़ भी भावनाओं को आवाज़ के लिए सबकी पहली पसंद। क़लम कल, आज़ और कल हर पीढ़ियों की बोली है। क़लम में इतनी ताक़त टूटे दिल को सहारा देती है। इश्क़ की दास्तां लिखती क़लम कुछ ऐसी है। सदियों से
Rajesh Verma
तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ? By राजेश वर्मा गुरुवार 05/08/2021 राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह मुहावरा सत्य साबित हो रहा है। शासन के द्वारा बनाये नियमो की धज्जियां सरे आम उड़ती हुई दिखाई दे रही है।जिम्मेदार आँख बंद कर मोन बैठे है वही सत्ता के सौदागर रोटियाँ सेक रहे है। तीसरी लहर का खोफ नही --- विश्व आज वैश्विक महामारी कॅरोना से लड़ रहा है , सरकार बार बार आगाह कर रही है कि तीसरी लहर खतरनाक साबित हो सकती है और कॅरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है फिर भी बिना माक्स के बाजारों में रौनक बढ़ रही है , वही सोसल डिस्टेडिंग का पालन नही किया जा रहा है।सड़क मार्ग पर चलने वाली यात्री बसों में भी क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाया जा रहा है । यहाँ तक कि चालक - परिचालक भी बिना माक्स के दिखाई दे रहै है।सरकार की बार बार चेतावनी के बाद भी महामारी को बहुत हल्के में ले रहे है और स्थिति अगर बिगड़ेगी तो सारा दोष सरकार ओर प्रशासन लगाने से सत्ता के सौदागर पीछे नही रहेंगे। दुकानों , बैंकों आदि स्थानों पर भी सोशल डिस्टेडिंग की सरे आम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सूचना के अधिकार की धज्जियां उड़ाता तंत्र --- सूचना के अधिकार कानून 2005 के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग सरदारपुर को दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील दिनाँक 28/09/2020 को की गई लेकिन जिम्मेदार आज तक मोन है । इसी प्रकार वन विभाग सरदारपुर को भी दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील 28/09/2020 को की गई । इसी प्रकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI-47 ) को भी दिनाँक 28/09/2020 को आवेदन दिया गया परन्तु भ्रष्ट तंत्र के कानों में जू तक नहीं रेकी आज तक । जिम्मेदार अगर जिम्मेदारी से भागने लगे और नियमों की इसी प्रकार धज्जियां उड़ाई जायेगी तो फिर नियम बनाये क्यो? समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन --- नगर में व्याप्त समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन? इसका अर्थ यह है कि समस्या का समाधान कोई चाहता ही नहीं । बारिस के चलते नगर की सड़कें कीचड़ से भरी पड़ी है क्योंकि पानी के निकासी की पर्याप्त सुविधा नही है । समय समय पर नालियो की सफाई नहीं हो पाने के कारण भी समस्या उत्पन्न होती हैं। ओटले बनने के कारण भी नालियों की सफाई में दिक्कत उत्पन्न होती है। रसूखदारों ने 05 से लेकर 10 फ़ीट तक के ओटले बना दिये है और यहाँ तक कि गलिया भी खत्म हो गई परन्तु मोन है? अवैध फिर भी मिलीभगत से सब सम्भव --- नगर में लगभग तीस से अधिक कालोनियां है जिससे सिर्फ तीन कालोनी ही नगर परिषद को हस्तांतरित की गई है लेकिन जिन्होंने अभी तक हस्तांतरित नही की वहाँ पर बिजली , पानी की व्यवस्था कैसे पहूंची , यह एक जांच का विषय है । समस्या उत्पन्न करते हे तंत्र मोन हे और जब कोई सख्त अधिकारी कार्यवाही करते हे तो वोटो के सौदागर सड़क पर उत्तर जाते हे , समस्या का समाधान करने की बजाय समस्या पैदा क्र देते हे /अगर नियम बनाने वाले ही नियमो की धज्जियां उड़ायेगे तो आम जन को न्याय कैसे मिलेगा ? प्रजा ओर तंत्र की मिलीभगत से समस्या उत्पन्न की जा सकती है परंतु समस्या का समाधान से राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रदस्त किया जा सकता है।जय हिंद ©Rajesh Verma तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ? By राजेश वर्मा गुरुवार 05/08/2021 राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह