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Mission for Passion to change to INDIA

मराठी गाणं पप्पी घेऊन आलो, तिला झप्पी देऊन आलो .... लेखक -संतोष राठौर रजिस्टर क्रमांक 32895

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अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹💐🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C3IEa2YtwUn/?igsh=MXZlc3B5dWgwOGJxag== #हिंदी #दूरध्वनी #दूरसंचार मोबा #Instagram #Facebook #मोबाइल #जानकारी #व्यवस्था #जिजीविषा #कोड #अदनासा

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Ramchandra Kundlik Waghmare

सारथी तंबाखू व्यसनमुक्ती प्रकल्प यशोगाथा क्रमांक ३ #storytelling

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Prathamesh Mohite

🚩 ❀ धर्मवीर बलिदानमास ❀ 🚩 श्री संभाजीसुर्यहृदय श्लोक क्रमांक - 9 #shivajimaharaj #sambajinagar #maharashtra #Independence #films

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सोपान ओव्हाळ.

(हसत रहा) हास्य चारोळी क्रमांक :-2

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तुझ्या प्रेमात किती घेतले कष्ट
विरहाने झालो किती मी सुस्त चोरले होते दोन कोंबडे भावनांचे
 खाऊन केले फस्त (हसत रहा)
हास्य चारोळी
 क्रमांक :-2

Nitesh Prajapati

"निर्झर"
दुर्गम पहाड़ों को चीरता हुआ,
अपनी मंज़िल का ख़्वाब लिये,
अपनी मस्ती में खड़खड़ बहता,
निकलता है स्नेह भरा निर्झर अपनी राहों पर।

मन में हौसला, दिल में उम्मीद लिए,
ना रूकता कही, ना झुकता कभी,
अपनी राह खुद चुनकर,
देता है पैग़ाम सबको निरंतर चलने का। 

ना कोई साथी उसका, ना ही हमराही, 
वह तो चला अकेले खुद पर भरोसा करके, 
अपने संघर्ष को अपना धर्म मानकर, 
बहता चला वह अपनी मंज़िल की ओर। 

बहता निर्झर लगता है बहुत ही खूबसूरत, 
जैसे लगता है प्रकृति का धरा से संगम, 
मिलो दूर से बहता अपनी मंज़िल की तलाश में, 
आखिर में वह सिमटता है तो सागर में ही। 

-Nitesh    Prajapati  रचना क्रमांक :-2

#निर्झर
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22

Nitesh Prajapati

सामाजिक दायरे (चिंतन)

          अगर समाज में रहना है हमें तो समाज के नीति नियम से जीना होगा। कुछ चीजें हमें समाज के दायरे में रहते ही करनी होगी। जैसे आजकल यह दुनिया टेक्नोलॉजी से बहुत ही आधुनिक हो गई है, फिर भी समाज में कुछ चीजें अच्छी नहीं लगती है। चाहे हमारे विचार कितने भी आधुनिक हो जाए लेकिन समाज में तो हमें समाज की विचारधारा से ही चलना होगा। 
          लेकिन आज की पीढ़ी विचारो से भी आधुनिक हो गई है, विदेशी संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति अपना रही है। माना कि आज के युग में सभी स्वतंत्र हैं अपने विचारों पर लेकिन समाज में यह सब संस्कृति का मिश्रण यह निंदनीय बाबत है। कोई सामाजिक समारोह में आप छोटे कपड़े पहन के जाओगे, या फिर कोई मर्द नशा करके वहां पहुंचता है, यह सारी चीजें समाज के दायरे से बाहर की होती है, जो समाज में अच्छी नहीं लगती है, समाज में रहकर आप अवैध संबंध के बारे में सोच भी नहीं सकते, ना ही कोई स्त्री को घरेलू हिंसा का शिकार बना सकते हैं, समाज हमेशा ही इन सभी चीजों को धिक्कारती है, सिर्फ स्वच्छ छवि और समाज के दायरे में रहने वाले इंसान को ही अपनाती है। 
           अपने शौक अपनी जगह है लेकिन वह हम तक ही सीमित है, समाज में तो हमें सामाजिक दायरे में ही रहकर जीना होगा चाहे हमारा मन हो या फिर ना हो। 
 रचना क्रमांक :-2

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc26
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

सदाचार (कविता)

सत्य की साधना करना,
अहिंसा की पगडंडी पर चलना,
मिली है यह जिंदगी खुदा की देन से,
तो सदाचार को अपना धर्म मानना।

बनना एक सहारा किसी का,
हो अगर कोई मुश्किल में तो,
जैसे बन सके उसकी मदद करना,
और मनुष्य होने का अपना फर्ज निभाना।

सदाचार तो होता है खून में,
जो देता है एक मांँ-बाप हमको संस्कार मे,
किसी की मदद करो या ना करो,
किसी आदमी का आदर करो,
वह भी तो एक सदाचार ही है।

व्यवहार में अपने रखना मीठी वाणी तू,
खींचना सबको अपनी तरफ हृदय के नम्र भाव से,
सदाचारी जीवन ही देगा तुम्हें अमरत्व,
के मरने के बाद भी तुम जिंदा रहोगे सबके दिलों में। 

-Nitesh Prajapati 
 
 रचना क्रमांक :-3

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc26
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

इज़हार-ए-इश्क़ (ग़ज़ल)

इज़हार-ए-इश्क़ कुछ इस तरह बयां करूं में,
के तू चाह कर भी मेरे इज़हार को ठुकरा ना पाओ। 

ले जाएंगे तुझे दुनिया से दूर जहाँ सिर्फ हो हम और तुम, 
और गुलाब देकर करेंगे अपने प्यार की पेशकश के तुम ना ही ना बोल पाओ। 

हाथों में तेरा हाथ लेकर देंगे तुझे एक अटूट वादा के, 
तुम कभी मेरी जिंदगी बनने के लिए इन्कार ना कर पाओ। 

इज़हार-ए-इश्क़ करके तेरे दिल में यूंँ बस जाएंगे, 
के तु चाह कर भी कभी मुझसे दूर ना रह पाए। 

इज़हार-ए-इश्क़ से जुड़ जाएगा हमारे बीच एक ऐसा रिश्ता के, 
चाह कर भी दुनिया वाले हमारे विश्वास को कभी तोड़ ना पाए।

-Nitesh Prajapati 

 रचना क्रमांक :-4

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