Find the Latest Status about निसर्गाचे वर्णन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, निसर्गाचे वर्णन.
Santosh Jangam
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Bhupendra Rawat
पहला श्लोक ( भगवत गीता ) कुरुछेत्र में कौरवों और पांडवो की सेना पहुंच जब महाराज धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा तब संजय ने श्री कृष्ण द्वारा दी गयी अपनी दिव्या दृष्टि का प्रयोग किया कुछ इस तरह संजय ने कुरुछेत्र में हुई संपूर्ण घटनाओ का वर्णन किया ©Bhupendra Rawat #Sukha पहला श्लोक ( भगवत गीता ) कुरुछेत्र में कौरवों और पांडवो की सेना पहुंच जब महाराज धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा तब संजय ने श्री कृष्ण द्व
স্বান্তির পথ
Anjali Singhal
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक व्यक्ति को उचित है, कि वह अपनी ऐसी धारणा बनाये कि मैं ही अर्जुन हूँ, और मुझमें में पाप, अपराध, अकम्र्यता, कर्तव्यहीनता, कायरता और दुर्बलता आदि जो भी दुर्गुण हैं, ईन सब को जिताने के लिए भगवान श्री कृष्ण जी मुझे ही उपदेश कर रहे हैं, श्री हरि मेरी ही आत्मा की अमर सत्ता को जगा रहे हैं, मेरे चेंतय्य स्वरूप का वर्णन कर रहे हैं।। जय श्री राधे कृष्ण जी ©N S Yadav GoldMine #kinaara {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक व्यक्ति को उचित है, कि वह अपनी ऐसी धारणा बनाये कि मैं ही अर्जुन हूँ, और मुझमें में पाप, अपराध, अकम
SURENDRA SINGH
Before Engineering After Engineering मैं इंजीनियरिंग कर सकता हूं। मुझे आत्महत्या करनी होगी। कृपया अनुशीर्षक अवश्य पड़ें। ©SURENDRA SINGH #surendra4004 राष्ट्रीय अभियंता दिवस सिकन्दर जब किसी देश में आक्रमण के उद्देश्य से प्रवेश करता था तो उस सेतु को नष्ट कर देता था जिससे वो
Ravi Shankar Kumar Akela
डगलस और हॉलैंड : 'पर्यावरण शब्द का प्रयोग समग्र रूप से उन सभी बाहरी शक्तियों, प्रभावों और स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो जीवित जीवों के जीवन, प्रकृति, व्यवहार और वृद्धि, विकास और परिपक्वता को प्रभावित करते हैं। 'सामान्यतः हमारे परिवेश को पर्यावरण कहा जाता है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #DiyaSalaai डगलस और हॉलैंड : 'पर्यावरण शब्द का प्रयोग समग्र रूप से उन सभी बाहरी शक्तियों, प्रभावों और स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जा
Gaurav Kumar
N S Yadav GoldMine
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा ये मंदिर पागल बाबा के नाम से प्रसिद्ध है आइये विस्तार से जानिए !! 🔆🔆{Bolo Ji Radhey Radhey} पागल बाबा मंदिर :- पागल बाबा मंदिर का रहस्य :- 🌊 मथुरा जिसे श्री कृष्ण की जन्म भूमि कहा जाता है। यहां कण-कण में भगवान का श्री कृष्ण वास है और इस भूमि पर अनगिनत मंदिर स्थापित हैं। यहां स्थापित हर भवन कान्हा और राधा रानी से जुड़ा है जिसमें उनकी लीलाओं का वर्णन अलग-अलग रूपों में देखने को मिलता है। कहा जाता है कि यहां के प्रत्येक मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है। दुनियाभर से लोग यहां भगवान के दर्शनों के लिए आते-जाते रहते हैं। 🌊 आप सभी ने ये तो सुना ही होगा कि जब-जब धरती पर पाप बड़ा है, तब-तब भगवान ने विश्व के कल्याण के लिए अवतार लिए हैं और जब भी किसी भक्त ने भगवान को पुकारा है तो वे स्वयं उसकी मदद करने आए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि श्री कृष्ण अपने किसी भक्त के लिए कोर्ट में भी पेश हुए हैं। जी हां, आज हम आपको बांके बिहारी के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं जिसका नाम और कहानी दोनों ही बेहद दिलचस्प है। तो आइए जानते हैं इस भव्य मंदिर के बारे में- 🌊 श्री कृष्ण से जुड़ा ये मंदिर पागल बाबा के नाम से प्रसिद्ध है, जो उनके एक भक्त को समर्पित है। आपको बता दें कि पागल बाबा मंदिर वृंदावन में स्थित है। इसके बारे में एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार एक गरीब ब्राह्मण जो श्री कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त था। वो पूरा दिन ठाकुर जी का नाम जपता रहता था। उसके पास जितना भी धन होता या यूं कहें कि जितना भी रूखा-सूखा उसे खाने को मिलता वे उसे भगवान की मर्ज़ी समझकर खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करता। 🌊 एक बार उसे कुछ पैसों की जरूरत पड़ी तो वो किसी साहुकार से पैसे लेने गया। साहुकार ने पैसे देते हुए कहा कि उसे जल्द ही पैसे लौटाने होंगे। उसकी बात मानकर वो पैसे लेकर घर आ गया। वे ब्राह्मण हर महीने किश्त के हिसाब से साहुकार के पैसे लौटा रहा था। आखिरी किश्त के थोड़े दिन पहले ही साहुकार ने पैसे न लौटाने का समन पत्र उसके घर भिजवा दिया। 🌊 ये देखकर ब्राह्मण बहुत परेशान हुआ और वो साहुकार से विनती करने लगा लेकिन साहुकार नहीं माना। कोर्ट में जाकर भी ब्राह्मण ने जज से यही बोला कि एक किश्त के अलावा मैने सारा कर्ज़ चुकाया है। ये साहुकार झुठ बोल रहा है। 🌊 ये सब सुनकर साहुकर ने ब्राह्मण से कहा कोई ग्वाह है जिसके सामने तुमने साहुकार को धन लौटाया हो। इतना सुनकर वो सोच में डूब गया कि ये तो मैंने सोचा ही नहीं कि जब मैंने साहुकार को पैसे वापिस लौटाए तब उसके अलावा तो किसी ने मुझे पैसे देते हुए देखा ही नहीं। 🌊 उसने इस बारे में बहुत सोचा और अंत में अपने भगवान को याद करते हुए उसने बांके बिहारी का नाम लिया। ये सुनकर पहले तो जज हैरान हुआ लेकिन बाद में उसने उनका पता मांगा। ब्राह्मण के कहने पर एक नोटिस बांके बिहारी के मंदिर में भिजवाया गया। पेशी की अगली तारीख पर एक बूढ़ा आदमी कोर्ट में पेश हुआ और ब्राह्मण की तरफ़ से गवाही देते हुए बोला कि जब ब्राह्मण साहुकार के पैसे लौटाता था तब मैं उसके साथ होता था। 🌊 बूढ़े आदमी ने रकम वापिस करने की हर तारीख को कोर्ट में बताया और साहुकार के खाते में बूढ़े आदमी द्वारा बताई गई रकम की तारीख़ भी सही निकली। साहुकार ने रकम तो दर्ज़ की थी लेकिन नाम फर्ज़ी लिखे थे। जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार दिया। लेकिन वो हैरान था कि इतना बूढ़ा आदमी इतनी तारीख़ कैसे याद रख सकता है। जज ने उसके बारे में उस ब्राह्मण से पूछा ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि वो सब जगह रहता है लोग उन्हें श्याम, कान्हा, कृष्ण आदि नामों से जानते हैं। इसके बाद जज ने दोबारा उससे पूछा बताओ वो बूढ़ा आदमी कौन था फिर ब्राह्मण ने कहा सच में मैं उनको नहीं जानता वो कौन थे। 🌊 जज को इस बात की बड़ी हैरानी हुई, उसके मन में सवाल पर सवाल आ रहे थे कि आख़िर वो आदमी था कौन। इसी पहेली को सुलजाने वो अगले दिन बांके बिहारी के मंदिर में पहुंच गया। वो जानना चाहता था कि आख़िर कल जो कोर्ट में आया था वो कौन है। मंदिर के पुजारी से जज ने जब बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी चिट्ठी-पत्र यहां आता है उसे भगवान के आगे रख दिया जाता है। जज ने उससे बूढ़े आदमी के बारे में भी पूछा लेकिन पूजारी ने कहा ऐसा कोई भी आदमी यहां नहीं रहता है। 🌊 यह सब बातें सुनने के बाद जज समझ ही गया कि वो साक्षात श्री कृष्ण ही कोर्ट में पेश हुए थे। इस घटना के बाद जज इतना हक्का-बक्का रह गया कि उसने अपने पद से अस्तीफा दे दिया और यहां तक कि उसने अपना घर-परिवार तक छोड़ दिया और फकीर बन गया। मान्यता के अनुसार बहुत सालों बाद वो जज पागल बाबा के नाम से वृंदावन वापिस आया और उसने बांके बिहारी के मंदिर का निर्माण करवाया। तब से ये मंदिर पागल बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 🌊 इस मंदिर के बारे में एक और मान्यता यह भी है कि जब जज को पता लगा कि उसके सामने साक्षात श्री कृष्ण कोर्ट में पेश हुए थे। तब वो सब कुछ छोड़ बांके बिहारी को ढूंढने लगा। इस बात ने उसे पागल सा कर दिया था। इसके बाद जब भी कभी किसी भंडारे में जाता वहां से पत्तलों की जूठन उठाता। 🌊 उसमें से आधा जूठन ठाकुर जी को अर्पित करता और आधा खुद खाता। उसे एेसा करते देखकर लोग उसके खिलाफ़ हो गए और लोगों ने उसे मारना पीटना शुरु कर दिया लेकिन वो नहीं सुधरा जूठन बटोर कर खाता और भगवान को खिलाता रहता। 🌊 उससे परेशान होकर लोगों ने एक बार उसके खिलाफ़ योजना बनाई। जिसके अनुसार लोगों ने भंडारे में अपनी पत्तलों में कुछ न छोड़ा ताकि ये पागल ठाकुर जी को जूठन न खिला सके। उसने फिर भी सभी पत्तलों को पोंछ-पोंछकर एक निवाला इकट्ठा किया और अपने मुख में डाल लिया, पर आज वो ठाकुर को खिलाना तो भूल ही गया। 🌊 लेकिन जैसे ही उसे इस बात का ख्याल आया कि उसने बिना भोग लगाए ही वो निवाला मुख में रखा है, तब उसने वो निवाला अन्दर न किया कि अगर पहले मैं खा लूंगा तो ठाकुर का अपमान हो जाएगा और अगर थूका तो अन्न का अपमान होगा। अब वो निवाला मुंह में लेकर ठाकुर जी के चरणों का ध्यान लगा रहा था। 🌊 तभी अचानक से बाल-गोपाल एक सुंदर से बालक के रुप में पागल जज के पास आए और बोला क्यों जज साहब आज मेरा भोजन कहां है। ये सुनकर जज की आंखें आंसुओं से भर आई और वो मन ही मन बोल रहा था कि ठाकुर जी बड़ी गलती हो गई, मुझे माफ़ करें। 🌊 ठाकुर जी भी मुस्कराते हुए बोले आज तक तो तूने मुझे लोगों का जूठा खिलाया है किंतु आज अपना ही जूठा खिला दें। जज की आंखों से अश्रु रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। रोते-रोते वो बाल-गोपाल के चरणों में गिर पड़ा और वहीं उसने अपने प्राण त्याग दिए। 🌊 आज भी उस जज को समर्पित पागल बाबा नाम का विशाल मंदिर वृन्दावन में स्थित है। कहा जाता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता। यहां भक्तोंं की हर मनोकामना पागल बाबा और कान्हा ज़रूर सुनते हैं। पागल बाबा का ये आश्रम बहुत ही चमत्कारिक है यहां आने वाले भक्तों को सकारात्मकता का अनुभव होता हैं।। ©N S Yadav GoldMine #yogaday भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा ये मंदिर पागल बाबा के नाम से प्रसिद्ध है आइये विस्तार से जानिए !! 🔆🔆{Bolo Ji Radhey Radhey} पागल बाबा मं