Find the Latest Status about अर्द्धसम मात्रिक छंद है from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अर्द्धसम मात्रिक छंद है.
कवि राहुल पाल 🔵
((( विधा - कुण्डलिया=दोहा+रोला ))) *************** मानवता के नाम पर,है कुछ मानव शेष ! मानव अब दानव हुए,है यह बात विशेष !! है यह बात विशेष,पशु बेबस औ लाचार ! जीव दया कीजिये,अपनाये सद आचार ! जीवन महत्व सतोल,कर्म,धर्म व निष्पक्षता ! जीव-जीव आधार,मानव मूल मानवता !! ************** लेखक- कवि राहुल पाल पूर्णतया मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित ((( विधा के बारे में कैप्शन में पढ़े ))) ©कवि राहुल पाल विधा- कुण्डलिया विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे
विधा- कुण्डलिया विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे #nojotohindi #sahitya #nojotonews #साहित्य #KRP
read moreprajjval
राजनीति बसती हो जिनके दिलों में यँहा। उनके दिलों में अच्छे काम नही बसते। बसता है मोह लोभ कुर्सी पे जमने का। उनमें कभी भी ईमान नही बसते। धर्म जाती रंग रूप सब खेल खेलते हैं। दिल से कभी भी पुण्य कर्म नही बसते। कहते हैं कि खुद को जो राम जी का भक्त यँहा। उनके दिलों में श्री राम नही बसते। #NojotoQuote #छंद छंद
#छंद छंद
read moreGunjan Agarwal
शंका जैसे रोग का, न कोई समाधान। चिकित्सक सब हार गए, वैद्य और लुक़मान। वैद्य और लुक़मान, घोटकर नितदिन घुट्टी। खतरनाक यह रोग, करे रिश्तों की छुट्टी। "अनहद" देता पीर, बजाए बिन ही डंका। रिश्ते करता ढेर, करे जो अक्सर शंका। -अनहद गुंजन #छंद
vishnu thore
#DearZindagi पिवळ्या उन्हात पिवळी धामीन फुलांचा वाऱ्यावं गंध केवढी जीवाची जीवाला असोशी जडला रानाचा छंद - विष्णू छंद.......
छंद....... #DearZindagi
read moreDr A K Soni "Maulik"
=:कुण्डलिया:= लिखने वाले लिख रहे, अल्प लिखें या ढेर । मिलती मंज़िल है यहाँ, चाहे देर अबेर ।। चाहे देर अबेर, भरे है सबकी झोली । कौन सवाया सेर, बंद मुट्ठी जो खोली ।। कह"मौलिक"कविराय, हटा दो मन के जाले, बड़े़ वजन के शे'र, लिख रहे लिखने वाले ।। 🌹🌹 डाॅ. ए के सोनी *"मौलिक "* नरसिंहपुर (करेली) ©Dr A K Soni "Maulik" #छंद
सतीश तिवारी 'सरस'
तीन कुण्डलिया छंद (1) मन की कविता कीजिये,मन से भी कुछ आप. नींद न आये जब करें,राम नाम का जाप. राम नाम का जाप,प्रेम से कहें जानकी. जय लछिमन महाराज,करें रक्षा जो प्रान की. कह सतीश कविराय,जीत होवे जीवन की. करिये कविता आप,बैठकर कुछ तो मन की. (2) जो मन से लाचार हैं,लिख नइँ सकते गीत। लिखने के हित चाहिये,सद्भावों से प्रीत।। सद्भावों से प्रीत,साथ में बल समता का। भूल घृणा का भाव,चाहिये सँग ममता का।। कह सतीश कविराय,गूढ़ रिश्ता जीवन से। लिख सकता वह गीत,सबल होवे जो मन से।। (3) राखी के इस पर्व पर,सबको नम्र प्रणाम। महादेव रक्षा करें,रहें कृपारत् राम। रहें कृपारत् राम,नाम सब खूब कमायें। भरा रहे धनधान्य,ज़िन्दगी में सुख पायें।। कह सतीश कविराय,प्रफुल्लित हो मन-पाँखी। भ्रात रहे खुशहाल,सफल भगिनी की राखी।। *सतीश तिवारी 'सरस',नरसिंहपुर (म.प्र.) ©सतीश तिवारी 'सरस' #छंद
कवी - के. गणेश
छंदापाई वेडं होणे प्रत्येकाला जमत नाही.. ज्यांना ते जमतं त्यांना माणसामध्ये गमत नाही..! @kganesh छंद
छंद
read more