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कवि राहुल पाल 🔵

विधा- कुण्डलिया विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे #nojotohindi #sahitya #nojotonews #साहित्य #KRP

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((( विधा - कुण्डलिया=दोहा+रोला )))
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मानवता के नाम पर,है कुछ मानव शेष !
मानव अब दानव हुए,है यह बात  विशेष !!
है यह बात विशेष,पशु बेबस औ लाचार !
जीव दया कीजिये,अपनाये सद आचार !
जीवन महत्व सतोल,कर्म,धर्म व निष्पक्षता !
जीव-जीव आधार,मानव मूल मानवता !!
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लेखक- कवि राहुल पाल 
पूर्णतया मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
((( विधा के बारे में कैप्शन में पढ़े )))

©कवि राहुल पाल विधा- कुण्डलिया 
विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे

ayushigupta

#छंद *है माता की

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prajjval

#छंद छंद

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राजनीति बसती हो जिनके दिलों में यँहा।
उनके दिलों में अच्छे काम  नही बसते।
बसता है मोह लोभ कुर्सी पे जमने का।
उनमें कभी भी ईमान नही बसते।
धर्म जाती रंग रूप सब खेल खेलते हैं।
दिल से कभी भी पुण्य कर्म नही बसते।
कहते हैं कि खुद को जो राम जी का भक्त यँहा।
उनके दिलों में श्री राम नही बसते। #NojotoQuote #छंद
छंद

SATYANARAYAN PATHIK

छंद #कविता

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somnath gawade

#छंद

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काहीजण
'फंदफितुरी'
करण्याचा
'छंद' बाळगून
असतात.
😂🤣 #छंद

Gunjan Agarwal

#छंद #poem

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शंका  जैसे   रोग   का, न   कोई   समाधान।
चिकित्सक सब हार गए, वैद्य और लुक़मान।
वैद्य  और  लुक़मान, घोटकर  नितदिन घुट्टी।
खतरनाक  यह  रोग, करे  रिश्तों  की  छुट्टी।
"अनहद" देता  पीर, बजाए  बिन  ही  डंका।
रिश्ते  करता  ढेर, करे  जो  अक्सर   शंका।
-अनहद गुंजन #छंद

vishnu thore

छंद....... #DearZindagi

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#DearZindagi पिवळ्या उन्हात पिवळी धामीन
फुलांचा वाऱ्यावं गंध
केवढी जीवाची जीवाला असोशी 
जडला रानाचा छंद
            - विष्णू छंद.......

Dr A K Soni "Maulik"

सतीश तिवारी 'सरस'

तीन कुण्डलिया छंद

(1)
मन की कविता कीजिये,मन से भी कुछ आप.
नींद न आये जब करें,राम नाम का जाप.
राम नाम का जाप,प्रेम से कहें जानकी.
जय लछिमन महाराज,करें रक्षा जो प्रान की.
कह सतीश कविराय,जीत होवे जीवन की.
करिये कविता आप,बैठकर कुछ तो मन की.
(2)
जो मन से लाचार हैं,लिख नइँ सकते गीत।
लिखने के हित चाहिये,सद्भावों से प्रीत।।
सद्भावों से प्रीत,साथ में बल समता का।
भूल घृणा का भाव,चाहिये सँग ममता का।।
कह सतीश कविराय,गूढ़ रिश्ता जीवन से।
लिख सकता वह गीत,सबल होवे जो मन से।।
(3)
राखी के इस पर्व पर,सबको नम्र प्रणाम।
महादेव रक्षा करें,रहें कृपारत् राम। 
रहें कृपारत् राम,नाम सब खूब कमायें।
भरा रहे धनधान्य,ज़िन्दगी में सुख पायें।।
कह सतीश कविराय,प्रफुल्लित हो मन-पाँखी।
भ्रात रहे खुशहाल,सफल भगिनी की राखी।।
*सतीश तिवारी 'सरस',नरसिंहपुर (म.प्र.)

©सतीश तिवारी 'सरस' #छंद

कवी - के. गणेश

छंद

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छंदापाई वेडं होणे
प्रत्येकाला जमत नाही..
ज्यांना ते जमतं त्यांना
माणसामध्ये गमत नाही..!

@kganesh छंद
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