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Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“31/5/2021”*📚 ✨ *“सोमवार”*🌟 #“व्यायाम” #“शरीर की मांसपेशियां” #“प्रयास” #“पुनः #“निराश” #“सृजन”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“31/5/2021”*📚
✨ *“सोमवार”*🌟

जब भी हम “व्यायाम” करते है 
तो हमारे “शरीर की मांसपेशियां” टुटती है,
पहले “टुटती” है फिर उनका “पुनः-निर्माण” होता है,
“और श्रेष्ठ” “और शक्तिशाली” 
मांसपेशियां हमें प्राप्त होती है,
अर्थात “व्यायाम” “सृजन का विज्ञान” है,
इस “जीवन” में यदि कुछ “टूट” जाए या “छुट” जाए,
तो “निराश” मत होइए,
“पुनः निर्माण” करने का “प्रयास” किजिए और 
ये “सीख” मिलेगी आपको किसी “पंछी(पक्षी)”  से,
जब “वर्षा” होती है,“आंधी” आती है तो “पंछी का घोसला” टूट जाता है,परन्तु वो “हार” नहीं मानते वो पुनः तिनका तिनका एकत्रित करते है 
और अपना “घोसला” बनाते है,
पुनः एक नये “जीवन को जन्म” देते है 
एक नये “परिवार को जन्म” देते है,
इसलिए “जीवन” में स्मरण रखिएगा यदि आप “निर्माण” करना चाहते है,“सृजन” करना चाहते है,तो इस “निर्माण” के लिए “टूटने का ज्ञान” अवश्य है,
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“31/5/2021”*📚
✨ *“सोमवार”*🌟

#“व्यायाम” 

#“शरीर की मांसपेशियां”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🧘‍♂️ *“21/6/2022”*🧎🏻‍♂️ 📖 *“मंगलवार”*🌟 #“योग 🧘‍♂️” #“मांसपेशियां” #Thoughts #“प्रयास” #“प्रसन्नता” #“पुनः #“निराश” #“जय #“टूटना” #“निर्माण”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🧘‍♂️ *“21/6/2022”*🧎🏻‍♂️
✨ *“मंगलवार”*🌟

जब भी हम “योग” करते है तो प्रारंभ में 
हमारे “शरीर की मांसपेशियों” में  खिंचाव होता है
पहले वे “टुटती” है फिर 
उनका “पुनः-निर्माण” होता है,
“और श्रेष्ठ” “और शक्तिशाली” 
मांसपेशियां हमें प्राप्त होती है,
“शरीर” में एक अलग “स्फूर्ति” का अनुभव होता है, 
अर्थात जो “योग” है वो “सृजन का विज्ञान” है,
इस “जीवन” में यदि कुछ “टूट” जाए या “छुट” जाए,तो “निराश” मत होइए,
“पुनः निर्माण” करने का “प्रयास” किजिए,इसलिए “जीवन” में स्मरण रखिएगा यदि आप “निर्माण” करना चाहते है,“सृजन” करना चाहते है,
तो इस “निर्माण” के लिए “टूटने का ज्ञान” अवश्य है,
“टूटने का अर्थ” “बिखरना” नहीं 
बल्कि “पुनः निर्माण” करना है, 
इसलिए “जीवन” में कभी टूटे नहीं, 
हरदम “मजबूत” बने रहिए... 
*“अतुल शर्मा”*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🧘‍♂️ *“21/6/2022”*🧎🏻‍♂️
📖 *“मंगलवार”*🌟

#“योग 🧘‍♂️” 

#“मांसपेशियां”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🧘‍♂️ *“21/6/2021”*🧎🏻‍♂️ ✨ *“सोमवार”*🌟 #“योग 🧘‍♂️” #“मांसपेशियां” #“प्रयास” #“प्रसन्नता” #“पुनः #“निराश” #“जय #“टूटना” #“निर्माण”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🧘‍♂️*“21/6/2021”*
✨ *“सोमवार”*🌟

जब भी हम “योग” करते है तो प्रारंभ में 
हमारे “शरीर की मांसपेशियों” में  खिंचाव होता है
पहले वे “टुटती” है फिर उनका 
“पुनः-निर्माण” होता है,
“और श्रेष्ठ” “और शक्तिशाली” 
मांसपेशियां हमें प्राप्त होती है,
“शरीर” में एक अलग “स्फूर्ति” का अनुभव होता है, 
अर्थात जो “योग” है वो “सृजन का विज्ञान” है,
इस “जीवन” में यदि कुछ “टूट” जाए या “छुट” जाए,तो “निराश” मत होइए,
“पुनः निर्माण” करने का “प्रयास” किजिए,इसलिए “जीवन” में स्मरण रखिएगा यदि आप “निर्माण” करना चाहते है,“सृजन” करना चाहते है,तो इस “निर्माण” के लिए “टूटने का ज्ञान” अवश्य है,“टूटने का अर्थ” “बिखरना” नहीं 
बल्कि “पुनः निर्माण” करना है... 
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🧘‍♂️ *“21/6/2021”*🧎🏻‍♂️
✨ *“सोमवार”*🌟

#“योग 🧘‍♂️” 

#“मांसपेशियां”

Tarun Vij भारतीय

चीख एक ध्वनि है, ध्वनि, जो वर्षों की पीड़ा से भरी है, जिसमें वेग है, संवेदनाएं है और जो उत्पन होती है एक वक्त की अशांति के बाद, जब पीड़ा इ #hindiwriters #kavita #hindikavita #कविता #Scream #yqhindi #tarunvijभारतीय

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     'चीख़'

(कविता अनुशीर्षक में पढ़े) 
 चीख एक ध्वनि है,
ध्वनि, जो वर्षों की पीड़ा से भरी है, 
जिसमें वेग है, संवेदनाएं है 
और जो उत्पन होती है एक वक्त की अशांति के बाद,
जब पीड़ा इ

मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"

#shatyagashi #labour #lockdowndiary बेबस विश्वकर्मा **************** हालात के मारे हुए हैं हम, छल-कपट में थोड़े कच्चे हैं। ठुकरा रह

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बेबस विश्वकर्मा
*******************
किसी को मंज़िल मिली और,
कोई मंज़िल से पहले हार गया।
कोई रोटी के लिए आज,
रोटी का जीवन वार गया।
*****************
👇
( Full in Caption ) #shatyagashi #labour #lockdowndiary  

       बेबस विश्वकर्मा
****************
हालात के मारे हुए हैं हम,
छल-कपट में थोड़े कच्चे हैं।
ठुकरा रह

Trapti

#yostowrimo #yqbaba #yqhindi #ShortStory डॉक्टर ने बोला है हाथों की मांसपेशियां कमजोर हैं.. इलाज करना पड़ेगा वर्ना ठीक नहीं होगा.. इलाज और

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#YoStoWriMo

#ShortStory






आपके हाथ कमजोर है...





Read in caption #yostowrimo #yqbaba #yqhindi #shortstory  डॉक्टर ने बोला है हाथों की मांसपेशियां कमजोर हैं.. इलाज करना पड़ेगा वर्ना ठीक नहीं होगा.. इलाज और

Nitesh Prajapati

📥 RKS Challenge :- ¥NSM-78 ✔️आप सभी अपनी इच्छानुसार शीर्षक का चयन कर अपनी रचना को संग्रहित करें..!! 📇 #rksQuotes 💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #YourQuoteAndMine #yourquotebaba #रचना_का_सार #ynsm_78

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जिंदगी का सफ़र,
ईश्वर की नियति के लेख से,
अवतार मिलता है मनुष्य का,
जन्म के साथ साथ जुड़ते कहीं रिश्तो से,
जिंदगी के नए सफ़र में,
जिंदगी का सफ़र शैशवास्था से शुरू होता है,
शरीर की मांसपेशियां, तंत्रिका विकसित होती है। 
आगे बढ़कर वहीं सफ़र बाल्यावस्था में पहुंचता है,
बाल्यावस्था हमारा अनोखा काल होता है,
परिपक्वता, बुद्धि विकास, खेल की आयु, 
निर्माण काल भी कहा जाता है। 
जिंदगी का सफर आगे बढ़कर,
 किशोरावस्था प्राप्त करता है, 
जिसमें मनुष्य मे सामाजिक, भावनात्मक, 
व्यवसायिक जीवन का असर रहता है। 
जीवन का अंतिम काल यानी कि वृद्धावस्था, 
वृद्धावस्था में हमारी शारीरिक और 
मानसिक स्थिति में गिरावट आती है, 
यह व्यवस्था जिंदगी के सफर की अवधि तय करता है, 
इस अवस्था के आगे मनुष्य मृत्यु पाम के 
पंचतत्व में विलीन हो जाता है। 


 📥 RKS Challenge :- ¥NSM-78
✔️आप सभी अपनी इच्छानुसार शीर्षक का चयन कर अपनी रचना को संग्रहित करें..!!

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💫रचना को शुद्ध एवं स्पष्ट

Priya Kumari Niharika

मुलायम हथेलियों के छाले, चोट खाई कोमल एड़ीयाँ, फटे हुए नाजुक होंठ, केश सूखे घास का मैदान, दूधिया सफेद बर्फ सी आंखें, मरुस्थल सा मासूम च #कविता

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मुलायम हथेलियों के छाले,
 चोट खाई कोमल एड़ीयाँ,
 फटे हुए नाजुक होंठ,
 केश सूखे घास का मैदान,
 दूधिया सफेद बर्फ सी आंखें,
 मरुस्थल सा मासूम चेहरा,
 के बावजूद प्रथम रश्मि सी मुस्कान,
 अभिनय नहीं,संकेत हैं,
 यथार्थ और जिजीविषा के समन्वय की,
 मटमैले, मलिन चिथड़ों में सवरा,
 अभावों से निर्मित पतली अस्थियों का ढांचा,
 कबाड़ का भार लादे महज सात साल की उम्र में,
 उम्र से आगे और बचपन से दूर,
 निकल पड़ा है, टुकड़ों की तलाश में,
 हालात और कुत्ते दोनों से लड़ने,
 पर मायूसी उसे छू ले, उसमें इतना साहस कहां,
 नन्हे नन्हे कदमों में जैसे पहिए लगे हों
 न थकते हैं, न रुकते है,
 और प्यारी प्यारी आंखें, इमारतों की ऊंचाई को आंकते हुए,
 न दुखते हैं न झुकते हैं,
 पर जाड़े और बरसात के दिनों, गुदड़ी पर लेटे हुए,
 बढ़ जाती है उसकी धड़कन,
 ठिठुर जाती है उसकी अस्थियां,
 कांपती है उसकी मांसपेशियां,
 और लड़खड़ा जाते हैं उसके शब्द,
 कभी ज्वर से पीड़ित, तो कभी क्षुधा से व्याकुल,
 अस्थिर निर्बल और बीमार जान पड़ती है उसकी काया,
 रूठना भी उसे कभी आया नहीं, जिद्द से उसने कभी कुछ पाया नहीं,
 हालात ने सिखाया जीवन जीने की कला, इसलिए संघर्ष से कभी वह घबराया नहीं
 कचरे से कल ही उसे एक कलम मिली थी,
 उसकी खुशी का तनिक भी ठिकाना न था
 नन्हें-नन्हें पलकों में सपने को संजोए,
 धरती पर लेट आसमा की गहराई में खोए
 साहेब लोगों की जेब में इसी कलम को तो देखा था उसने
 सड़क पर चलती गाड़ियों के भीतर
 आज स्याह रात में उसे जुगनू की रोशनी मिली है
 कल क्या पता, प्रभात का अर्क उसका हो

©Priya Kumari Niharika मुलायम हथेलियों के छाले,
 चोट खाई कोमल एड़ीयाँ,
 फटे हुए नाजुक होंठ,
 केश सूखे घास का मैदान,
 दूधिया सफेद बर्फ सी आंखें,
 मरुस्थल सा मासूम च

अशेष_शून्य

एक स्त्री मातृत्व को नौ माह तक अपने रक्त के एक एक कतरे से सींचती है। अपनी हड्डियों के एक एक टुकड़े को बिखेर देती है एक नए ढांचे के निर्माण #yqhindiquotes #अशेष_शून्य

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संसार की सबसे 
सशक्त स्त्रियां 
निभाती हैं 
एक पिता का किरदार।
 
वहीं संसार के
 सबसे कोमल पुरुष
हृदय से मां बन जाते हैं ।।
~©अंजली राय एक स्त्री मातृत्व को
नौ माह तक
अपने रक्त के एक एक
कतरे से सींचती है।
अपनी हड्डियों के एक एक
टुकड़े को बिखेर देती है 
एक नए ढांचे के निर्माण
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