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Arora PR
एक बार तुम अपने यान की खिड़की खोल कर देखो तो तुम इस निष्कर्ष पर पहुँचोगे कि अंतरिक्ष कोई धरती और आसमान के बींच. की. जगह नहीं हैँ.... उसका कोई भौतिक अस्तित्व भी नहीं हैँ ©Arora PR अंतरिक्ष
Sachin Goswami
White कुछ ऐसा है उसका जीवन जैसे पानी में है दर्पन कुछ ऐसा है उसका जीवन ।। आँखें कुछ उसकी ऐसी हैं जैसे कि बोल पड़ेंगी वो कोयल सी कूक है बातों में सबके मन पीर हरेंगी वो वो तितली सी वो बुलबुल सी मेरे मन में है वो हलचल सी है भाव भरा उसका ये मन कुछ ऐसा है उसका जीवन।। ©Sachin Goswami # मेरा अंतर्मन
Richa Dhar
मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व तिमिर सा गहन होता जा रहा है एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ... ©Richa Dhar #samay अंतर्मन
Anuj Ray
अंतर्मन की सुनो" हाड़ मांस का पुतला है ये दिल, इससे भी जाने अनजाने में ,कभी गलतियां हो जाती हैं । ऐसा वक्त भी आता है, होश नहीं रहता दिल को पिघल के सांसें अग्नि शिखा में बह जाती हैं। ना कोई ग्लानि, न पश्चाताप, मधुर पलों की चिरस्थाई ,यादें बनकर बस हृदय में रह जाती हैं दोष नहीं होता उस क्षण का,अकस्मात की घटना, स्वीकारोक्ति कहती है "अंतर्मन की सुनो"। ©Anuj Ray # अंतर्मन की सुनो"
Amit Singhal "Aseemit"
ये जो हमारे अंतर्मन की बारिशें हैं, यही तो जगाती सैंकड़ों ख़्वाहिशें हैं। अगर अंतर्मन को संतुष्ट कर लेंगे, अपने जीवन को खुशियों से भर देंगे। ©Amit Singhal "Aseemit" #अंतर्मन #की #बारिशें
Anuj Ray
अंतर्मन के ज़ख्म " अंतर्मन के ज़ख्म, सूख गए रोते-रोते दिल के मिटे ना दाग़ आंसुओं से धोते-धोते । अब और किसी को दिखाने का मन नहीं करता, ऐसे निर्दयी बेदर्दी से काश!मिले ना होते। ©Anuj Ray # अंतर्मन के ज़ख्म "
Kanchan Mishra
कोई भी भाषा सार्थकता के पड़ाव को तब तक नहीं स्पर्श कर सकती जब तक वह संवेदनाओं को स्पर्श नहीं कर पाए। ©Kanchan Mishra #अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस