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आनन्द कुमार
छूट रही है सांसें, पर मन में एक उदगार चल रहा है, मारना है सब दुश्मनों को, बस यही विचार चल रहा है। उखड़ चुकी सांसों से भी वो सब खूब तांडव मचा रहे है, दुश्मनों को यमराज के पास चुन-चुन कर पहुंचा रहे हैं। जब खत्म हुई है गोलियां, तब निहत्थे ही भारी पड़ रहे हैं, संख्या में है वो थोडे, परन्तु असंख्य दुश्मनों से लड़ रहे हैं। मृत्यु का क्या है, वो तो किसी भी पल आ जानी है, मगर उससे पहले सभी दुश्मनों की अरथी सजानी है। ---------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #रण #युद्ध #Anand_Ghaziabadi
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read moreआनन्द कुमार
निश्चय किया है उन्होंने, कि तिरंगा हम ही फहरायेगे, दुश्मनों को नर्क के द्वार पर, हम स्वयंम पहुंचायेंगे। रणक्षेत्र में सभी बड़ी शान से विजय के झंडे गाड़ रहे है, दुश्मनों के सीने को चीर, वो शेर की तरह दहाड़ रहे है। न्यौछावर कर अपने प्राण, वो देश को महका रहे हैं, तिरंगे के साथ बहती हवाओं मे, वो कहकहा रहे हैं। देश की माटी का कर्ज तो बस संग्रामी ही चुका रहे है, सभी योद्धा तिरंगे में लिपट कर घर वापस आ रहे है। देश की नींव का पत्थर बनके वो हमेशा कुछ सीखाते रहे हैं, देवदूत बन हमेशा देश को दुश्मनों से लड़कर बचाते रहे हैं। -------------------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #रण #युद्ध
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read moreआनन्द कुमार
भारत माता की जय बोल के, वो दुश्मनों पर टूट पडे है, देख वीरों का रणकौशल, दुश्मनो के हौसले भी छूट पड़े है। शिकायत है, कि वो जल्दी वीरगति की राह मे बढ रहे है, मगर प्रसन्न है, कि मां भारती के चरणों मे चढ रहे है। दुश्मन के खेमे में जबरदस्त हाहाकार मचा रहे है, इतिहास को एक अलग ही अंदाज में रचा रहे है। मां भारती की जय बोल कर, वो दुश्मनों से लड़ रहे है, वीरगति के पथ पर वो सभी धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं। -------------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #रण #युद्ध #Anand_Ghaziabadi
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read moreआनन्द कुमार
मृत्यु के बादल समर में मंडरा रहे हैं, वीर रणभूमि में सहज ही मुस्कुरा रहे हैं। रणबांकुरे लड़-लड कर शीश कटा रहे हैं, आजादी का मूल्य अपने प्राणो से चुका रहे हैं। रणभूमि में लग रही है,हर-हर महादेव की बोलियां, चारों तरफ फट रहे हैं बम और चल रही है गोलियां। जिंदगी घुट-घुट कर धीमे-धीमे आहें भर रही है, मौत के आगोश में भी जाकर जिंदगी खूब लड़ रही है। ----------------आनन्द ©आनन्द #जिंदगी #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #युद्ध #रण
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میاں وہ دن گئے اب یہ حماقت کون کرتا ہے وہ کیا کہتے ہیں اس کوہاں محبت کون کرتا ہے کوئی غم سے پریشاں ہے کوئی جنت کا طالب ہے غرض سجدےکراتی ہے عبادت کون کرتا ہے प्यार अब नहीं होगा
प्यार अब नहीं होगा
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