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सुसि ग़ाफ़िल

रात के पहर में अंतरिम घड़ी में आवाज सुनने की बेताबी कानों में सुनो सुनो सुनो ! वो नशीली आवाज रात के पहर में तेरे आने वाले शहर में

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रात के पहर में अंतरिम घड़ी में
आवाज सुनने की बेताबी कानों में

सुनो सुनो सुनो ! 
वो नशीली आवाज 
रात के पहर में
तेरे आने वाले शहर में

एक अजनबी के 
साए की आहट
आहट ऐसी की 
मन में आए घबराहट

कानों में गूंजती हुई ध्वनियाँ
कहानी में आती हुई अजनबियां

सब पहला एहसास था
लगभग जग में खास था | रात के पहर में अंतरिम घड़ी में
आवाज सुनने की बेताबी कानों में

सुनो सुनो सुनो ! 
वो नशीली आवाज 
रात के पहर में
तेरे आने वाले शहर में

अशेष_शून्य

हो सकता है हर बार मुझसे ये कहना कि "तुमसे प्यार करता हूं" थोड़ा उबाऊ सा लगने लगे । लेकिन सफ़र के अंतरिम पायदान पर भी ; मेरे कांपते हाथों #yqbaba #yqdidi #yqlovequotes #yqaestheticthoughts #paidstory #hindisoul #अशेष_शून्य

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.... हो सकता है हर बार
मुझसे ये कहना कि 
"तुमसे प्यार करता हूं"
थोड़ा उबाऊ सा लगने लगे ।

लेकिन सफ़र के अंतरिम 
पायदान पर भी ;
मेरे कांपते हाथों

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

"सत्यमेव जयते",,,,,,,,,, हजारों यातनाओ समस्याओ व प्रताडनाओ आदि से ग्रसित व मेहनत शील कर्मठ प्राणी की अंतरिम विश्वास की शक्ति है,,,"सत्यमेव ज

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 "सत्यमेव जयते",,,,,,,,,, हजारों यातनाओ समस्याओ व प्रताडनाओ आदि से ग्रसित व मेहनत शील कर्मठ प्राणी की अंतरिम विश्वास की शक्ति है,,,"सत्यमेव ज

vishnu prabhakar singh

प्रेम में विवाद अस्थिरता का प्रतीक! प्रेम,सत्य पर रख,साथ संग को हो जाने दे स्वीकार परिचय दे अंतरिम अस्तित्व का,बिना किसी दीवार अक्षमता कैसे #lovequotes #yqbaba #yqdidi #yqhindi #विप्रणु

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प्रेम,सत्य पर रख,साथ संग को हो जाने दे स्वीकार
परिचय दे अंतरिम अस्तित्व का,बिना किसी दीवार
अक्षमता कैसे करेगी,शुद्ध परिपक्वता का प्रतिकार
मिलन लक्ष्य नहीं वहाँ, जहाँ परमेश्वर का हो संचार

प्रेम,प्रतिष्ठा का मार्ग मान,जिसके लिए गर जीता है
वचन बद्ध हो,अगर कोई तुम्हें पा जाने को मरता है
जहाँ मन वहाँआकर्षण,स्थिर हो केंद्रित ही रहता है
वचन भंगता नहीं,जहाँ ईश्वर मुख्यधारा में बहता है

प्रेम,प्रभुत्व की शैली में,सौंदर्य विभूति सहेज सरल
मनोकामना कर,प्रतिउत्तर मिले स्पष्ट मधुरतम तल
सान्निध्य मनोहर हो,पारस्परिक समाजिकता अटल
प्रेमरोग नहीं,सिद्धान्त जहाँ निर्णय बन जाये अचल
 प्रेम में विवाद अस्थिरता का प्रतीक!

प्रेम,सत्य पर रख,साथ संग को हो जाने दे स्वीकार
परिचय दे अंतरिम अस्तित्व का,बिना किसी दीवार
अक्षमता कैसे

Sunita D Prasad

#yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo # शिवोहम.... हर क्षण परिष्कृत होता प्रेम..। प्रेम जो ह्रदय में भर देता है भावों के उद्वेग। उद्वेग जो दिखते

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हर क्षण परिष्कृत होता प्रेम..।
प्रेम जो ह्रदय में 
भर देता है 
भावों के उद्वेग।
उद्वेग जो दिखते नहीं
महसूस किए जाते हैं।
महसूस भी..  
मन और आत्मा तक।
आत्मा के 
उस अंतरिम कोर पर ही
शनै: शनै: द्रवित हो 
देह में घुलने लगती है.. देह।
ये घुलनशीलता होती है 
दो अस्तित्वों के एकीकरण की।
एकीकरण भी ऐसा,
शिव के ..
अर्धनारीश्वर रूप जैसा।
ये अर्धनारीश्वर रूप ही 
एकमात्र सत्य है
स्त्री और पुरूष का।
सत्य ....
जहाँ अंततः ..
दो आत्माएँ जान जाती हैं 
अलौकिकता और 
शिवोहम का रहस्य।
ये रहस्य ही.. 
अंतिम सत्य है सृष्टि का
अत्यंत सुंदर है शिव-सा
और..अमर-अमिट है प्रेम -सा....।।
--सुनीता डी प्रसाद 💐  #yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo 
# शिवोहम....

हर क्षण परिष्कृत होता प्रेम..।
प्रेम जो ह्रदय में 
भर देता है 
भावों के उद्वेग।
उद्वेग जो दिखते

Mo. Asiph

#international_womens_day लेकिन 8 मार्च ही क्यों? ये सवाल तो आपके ज़हन में भी उठता ही होगा कि आख़िर 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस #story

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लेकिन 8 मार्च ही क्यों?

ये सवाल तो आपके ज़हन में भी उठता ही होगा कि आख़िर 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? दरअसल, क्लारा ज़ेटकिन ने महिला दिवस मनाने के लिए कोई तारीख़ पक्की नहीं की थी.

1917 में युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने 'ब्रेड एंड पीस' (यानी खाना और शांति) की मांग की. महिलाओं की हड़ताल ने वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया.

उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का प्रयोग होता था. जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी वो तारीख़ 23 फ़रवरी थी. ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा. #international_womens_day लेकिन 8 मार्च ही क्यों?

ये सवाल तो आपके ज़हन में भी उठता ही होगा कि आख़िर 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

vishnu prabhakar singh

अनैसर्गिक पहचान कमी और जीविका हत्या आंशुओ,अत्याचारों को लिए अकेला और अब असहज पुरुष प्रधान समाज का नारी कामयुक्ति करण अपारम्परिक और दबाब से #yqdidi

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'तीन तलाक'

सम्बन्ध विच्छेद के १४०० वर्ष 
अघाती,अमानवीय और अब असंवैधानिक 
अनैतिक यत्न का अभूतपूर्व अभ्यास 
असंतुलित पर जीवित और अब अन्याय 
राजतंत्र,समाजतन्त्र  और गणतंत्र की चुनौती
औचक,अडिग और अब अभद्र 
परिवारवाद पर मानव निर्मित प्रथम प्रलय 
आशाविहीन और अकाल्पनिक स्थिति और अब असंतोष

(अनुशीर्षक में जारी )
 अनैसर्गिक पहचान कमी और जीविका हत्या 
आंशुओ,अत्याचारों को लिए अकेला और अब असहज 
पुरुष प्रधान समाज का नारी कामयुक्ति करण
अपारम्परिक और दबाब से

अशेष_शून्य

मां रोटियां इसलिए गोल नहीं बनाती की उसे कोई और आकार देना नहीं आता; अपितु इसलिए बनाती है कि वो इस सृष्टि को एक ऐसी #LifeStory #yqhindiquotes #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य

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~©Anjali Rai मां रोटियां इसलिए
गोल नहीं बनाती की
 उसे कोई और 
आकार देना नहीं आता;

अपितु इसलिए 
बनाती है कि
वो इस सृष्टि को एक ऐसी

अशेष_शून्य

मैंने उन लम्हों को पुनर्जीवन देना चाहा जिसमें कभी तुम्हारे होने से जीवन था और आज ये प्रयास मुझे जीवन दे रहा पर गर तुम्हें लगने लगे #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #yqaestheticthoughts #paidstory #अशेष_शून्य #प्रेम_जीवन

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"मानव हूं मैं विरह मुझमें भी है
पर ये मेरे सृजन के आधार सा"

बेरंग मैं भी हूं 
पर इसलिए
ताकि जीवन के सारे रंग
 उतार सकूं ख़ुद में , तुम में 
इस आसमां सा...!!
       -Anjali Rai
(शेष अनुशीर्षक में) मैंने उन लम्हों
को पुनर्जीवन देना चाहा
जिसमें कभी तुम्हारे होने
से जीवन था 
और आज ये प्रयास 
मुझे जीवन दे रहा 

पर गर तुम्हें लगने लगे

अशेष_शून्य

कला के मध्य द्वंद रख कर एक कलाकार बन जाता है "रचयिता से विध्वंशकर्ता" और उसका हृदय एक "कुरूक्षेत्र" जहां वो एक एक कर के अपनी संवेदनाओं का #yqdidi #yqhindiquotes #yqastheticthoughts #अशेष_शून्य

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(शेष अनुशीर्षक में)
~©Anjali Rai कला के मध्य द्वंद रख कर
एक कलाकार बन जाता है
"रचयिता से विध्वंशकर्ता"
और उसका हृदय 
एक "कुरूक्षेत्र"
 
जहां वो एक एक कर के
अपनी संवेदनाओं का
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