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Sarita Shreyasi
Longstanding resentment, deep hurt, fear, anger .. & menifestation of all these is.. Cancer .. Sharing the stories of three simple lives.. strong smiling women.. I just peeped into their happy lives to find out the pain.. they themselves didn't know.. Read in caption.. छोटकी ईया छोटकी ईया इसी नाम से सब पुकारते थे उसे गाँव मोहल्ले में । सब के सुख-दुःख की साझेदार, समस्या में सलाहकार और विवाद के लिए सरपंच। पड़ोस का तीन
यशवंत कुमार
स्वार्थी मानव #yqquotes #yqnature #yqselfishpeople स्वार्थी मानव मानव बड़ा ही स्वार्थी है । उसने अपने फायदे के लिए ऐसे नियम और कानून बनाए हैं जो प्रकृति
Anupama Jha
अमर कविता (अनुशीर्षक में ) #worldpoetryday #yqdidi अमर,अजेय निर्भीक, निर्भय सब कालों में व्याप्त है कोई उसका पर्याय नहीं यह स्वयं पर्याप्त है, शब्द है यह,गाथा है
AB
छाया हो या काल्पनिक प्रतिबिम्ब कुंतल यामिनी प्रभुता का शरण -बिम्ब, अनिमेष ही देखता रहूँ तुम्हें कनखी -कनखी पाट-पाट सकल तुम्हारे अरुण कोपल मलिन, स्मृति पाथेय तुम मेरी स्मृतियों में मधुप जैसे अनंत नीलिमा अनुरागिनी, कंजकली शोभा -श्री हो कदाचित,! Dedicating a #testimonial to Kavita chaudhary💚 प्रकृति ने जीवन खिलाया हो जैसे, सुरंग सुधियाँ सुहावनी, मृगतृष्णा नहीं यह है यथार्थ ही,
अशेष_शून्य
// मेरा क्या ? // ~© अंजली राय आज बरसों से जिस कमरे में रह रही हूं उसकी दीवारों पर खींची एक एक लकीर पूछ रही है कि ये सब तुम्हारा है क्या । ये दरीचे ये खिड़कियों के किवा
अशेष_शून्य
~©Anjali Rai किसी के आने का सुख समझ आता है पर जाने का दुःख क्यूं? यहां हर आने वाले का जाना तय है। ये भी तो संभव है कि वो कभी आया या
दि कु पां
नोच खाया था किसी इंसानी कुत्ते ने उसे.. कुकर्मी बेधर्मी.. अपमान वो अपनी मां के कोख का कर गया था.. भीड़ भी बड़ी बेशरम थी.. आदमी जंगली थे माना किसी मां बहन के पास भी ना कोई कपड़े का टुकड़ा था.. जो ढाप देता उस शर्म से मरी औंधे मुंह पड़ी अबला का नग्न जिस्म 😓😓 वैन से उतरते ही मैं चकरा गई,,,, स्कूल के अन्दर बाहर ये भीड़ कैसे,मन आशंकित हो गया क्या हुआ है,,,,??? सब तरह-तरह की बातें कर रहे थे, पुलिस मी
amar gupta
द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीतर कली का अंश था जो मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया? घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो, शोक और आक्रोश ने न जन्म लिया। लंका नृप रावण को इक क्षण भूल जाओ, उस सभा का आज से तुम दहन करो। वर्ग की नारी का दिल भी न पसीजा, ' त्याग सीता का ' सभी ने प्रण लिया। बेच देती हैं सभा नारी को अक्सर, स्त्री भी क्रेता और पुरुष भी साथ देता। बैर नारी की बनी नारी भी क्षण क्षण, हाय! द्वेष ने ये तबाही क्यों किया? नर ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया। स्त्री ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया! द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीत
Shruti Gupta
द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीतर कली का अंश था जो मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया? घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो, शोक और आक्रोश ने न जन्म लिया। लंका नृप रावण को इक क्षण भूल जाओ, उस सभा का आज से तुम दहन करो। वर्ग की नारी का दिल भी न पसीजा, ' त्याग सीता का ' सभी ने प्रण लिया। बेच देती हैं सभा नारी को अक्सर, स्त्री भी क्रेता और पुरुष भी साथ देता। बैर नारी की बनी नारी भी क्षण क्षण, हाय! द्वेष ने ये तबाही क्यों किया? नर ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया। स्त्री ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया! द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीत
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🌷🌹 होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ 🌹🌷 🙏🌹🌷(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें)🌷🌹🙏 🌷होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ🌷 होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ, नकली चेहरों पर जो रंगों को लगाते हो। तुम्हारे कारनामों को