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#rzकाव्योगिता2 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone #रस:- 1:-रौद्र रस 2:-श्रृंगार रस 3:-वात्सल्य रस #अलंकार:-

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   काव्योगिता:-2
-------------------------------
नित नित मन मे उठी झंकार,
रौद्र रूप नारी ने किया दुश्मनों का संहार,
ममता की ये मूरत हैं,सबसे खूबसूरत  हैं,
लगाये बालों में गजरा,मानो लगती हैं कोई अप्सरा,

 
#rzकाव्योगिता2 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone

#रस:-
1:-रौद्र रस
2:-श्रृंगार रस
3:-वात्सल्य रस
#अलंकार:-

amar gupta

द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीतर कली का अंश था जो मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया? घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो, #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता2

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द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने,
वीरों की तलवार ने क्या कर लिया?
भर गई थी आँख और असहाय हो कर
कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया।

गर्भ के भीतर कली का अंश था जो
मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया?
घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो,
शोक और आक्रोश ने न जन्म लिया।

लंका नृप रावण को इक क्षण भूल जाओ,
उस सभा का आज से तुम दहन करो।
वर्ग की नारी का दिल भी न पसीजा,
' त्याग सीता का ' सभी ने प्रण लिया।

बेच देती हैं सभा नारी को अक्सर,
स्त्री भी क्रेता और पुरुष भी साथ देता।
बैर नारी की बनी नारी भी क्षण क्षण,
हाय! द्वेष ने ये तबाही क्यों किया?

नर ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया।
स्त्री ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया! द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने,
वीरों की तलवार ने क्या कर लिया?
भर गई थी आँख और असहाय हो कर
कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया।

गर्भ के भीतर कली का अंश था जो
मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया?
घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो,

Shruti Gupta

द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने, वीरों की तलवार ने क्या कर लिया? भर गई थी आँख और असहाय हो कर कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया। गर्भ के भीतर कली का अंश था जो मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया? घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो, #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता2

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द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने,
वीरों की तलवार ने क्या कर लिया?
भर गई थी आँख और असहाय हो कर
कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया।

गर्भ के भीतर कली का अंश था जो
मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया?
घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो,
शोक और आक्रोश ने न जन्म लिया।

लंका नृप रावण को इक क्षण भूल जाओ,
उस सभा का आज से तुम दहन करो।
वर्ग की नारी का दिल भी न पसीजा,
' त्याग सीता का ' सभी ने प्रण लिया।

बेच देती हैं सभा नारी को अक्सर,
स्त्री भी क्रेता और पुरुष भी साथ देता।
बैर नारी की बनी नारी भी क्षण क्षण,
हाय! द्वेष ने ये तबाही क्यों किया?

नर ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया।
स्त्री ने स्त्री के असहाय होने का लाभ लिया! द्रोपदी का हर लिया था मान जिन्होंने,
वीरों की तलवार ने क्या कर लिया?
भर गई थी आँख और असहाय हो कर
कृष्ण ने फिर ये तबाही हर लिया।

गर्भ के भीतर कली का अंश था जो
मृत किया अस्तित्व, किसने मृत किया?
घर की औरत के ही हांथो मर चुकी वो,

Sangeeta Patidar

👉 निसाब- Syllabus, ग़ुराब- Pride, इताब- Anger Rest Zone 'काव्योगिता', रस-लंकार प्रतियोगिता, पड़ाव - 2 अलंकार- अनुप्रास, यमक रस- शांत रस, करुण रस, विप्रलंभ शृंगार #sangeetapatidar #yqrestzone #rzhindi #ehsaasdilsedilkibaat #rzकाव्योगिता2

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मेरे मन! ये किसकी धुन में धुन लिए तूने भी ख़्वाब, 
तू ओढ़े बैठा घटा यादों की, देता वो घटा सा जवाब।

उसके लोग-ज़माने का राग देखूँ, कि  तेरा हाल सुनूँ,
तू बाँट देता है ख़ुशी अपनी,देता वो बँटा सा हिसाब।

वो बेवफ़ा तो नहीं, फिर भी करता नहीं तुझसे वफ़ा,
तू छाँट देता जज़्बात, और देता वो छँटा सा निसाब।

कोई बात नहीं, एहसास काफ़ी तेरी ज़िंदगी के लिए, 
तू ही पाट लेना दूरियाँ,  चाहे देता वो पटा सा ग़ुराब। 

तू 'धुन' का मन है, उसे भी समझना तू मुझ जैसा ही,
तू डाँट लेना मुझे,उसे देने दो जो देता डटा सा इताब। 
-संगीता पाटीदार 'धुन'  👉 निसाब- Syllabus, ग़ुराब- Pride, इताब- Anger

Rest Zone 'काव्योगिता', 
रस-लंकार प्रतियोगिता, पड़ाव - 2

अलंकार- अनुप्रास, यमक
रस- शांत रस, करुण रस, विप्रलंभ शृंगार

Anamika Nautiyal

नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के दूसरे पड़ाव के लिए?! हमारा दूसरे पड़ाव के लिए आपको एक कविता रचनी है जिसमें आपको रस और अलंकार का प्रयोग करना है। आपको अपकी कविता में कम से कम तीन रस और दो अलंकार का प्रयोग करना है। आपको अपने उपयोग किए गए अलंकार और रस अनुशीर्षक में दर्शाना अनवार्य है। #अनाम #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता2 #अनाम_ख़्याल

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छूता हूँ जब पोशाक अपनी भीतर पाता हूँ एक नया तूफ़ान 
भाव भावनाएँ भक्ति एक साथ लेती है नया उफान 
नववधू सज कर हो रही हो प्रणय बेला हेतु मानो तैयार 
करता हूँ युद्ध पूर्व मैं भी इसी भांँति अपना सिंगार 

एक -एक सिलवटों को हटाकर 
अंग अंग खाकी वस्त्र लगा कर
मानो कर रहा हूँ प्रियतमा का अंगीकार 
पोशाक पुकारे हे! स्वामी अब करो स्वीकार

ज्यों हिय से वर्दी को लगाता हूँ 
राष्ट्र की भक्ति में डूब जाता हूँ
वही माटी माता वही भगवान है
माँ मातृभूमि मालिक सब एक समान है

पूजता हूँ  निशदिन करके निज स्वेद अर्पण 
चाह है तेरी भक्ति में करूँ अपना सर्वस्व समर्पण
संसार से कर सदा के लिए आरति, आरती तेरी गाता हूँ
जब संजोता हूँ हृदय के भाव उत्साह उमंग उन्माद पाता हूँ

मैं धारण किए शर-शस्त्र ज्यों रणभूमि में जाता हूँ
मिले धाराएँ समुद्र में जिस प्रकार स्वयं को धारा सम पाता हूँ
साँसों की गति धीमी, रक्त स्पंदन को वश में कर 
शत्रु पक्ष से लोहा लेने को मैं उठाता हूँ अपने कर 

कर भुजाओं में सारा बल एकत्रित मातृभूमि पर प्राण लुटाऊँ
हे !जीवनदायिनी माँ तेरा कर भला कैसे चुका पाऊँ 
मेरा ये माटी का तन तेरी माटी में ही मिल जाए
है आख़िरी ख़्वाहिश तिरंगा बन कफन मुझसे लिपट जाए नमस्ते लेखकों❤

तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के दूसरे पड़ाव के लिए?! 

हमारा दूसरे पड़ाव के लिए आपको एक कविता रचनी है जिसमें आपको रस और अलंकार का प्रयोग करना है। आपको अपकी कविता में कम से कम तीन रस और दो अलंकार का प्रयोग करना है।
आपको अपने उपयोग किए गए अलंकार और रस अनुशीर्षक में दर्शाना अनवार्य है।

ujjwal pratap singh

रस:-भयानक,वीर,सृंगार,अदभुत,हास्य,शांत अलंकार:- यमक,रूपक,उत्प्रेक्षा •निम्नलिखित हैशटैग का प्रयोग करना अनवार्य है। #rzकाव्योगिता2 #rzकाव्योगिता #rzhindi #ghazal #gazal #urdu #ग़ज़ल #yqrestzone

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अपनी मर्जी से हम कहाँ तक जाएंगे
अपनो को अनसुना कर वहम तक जाएंगे

नई नई दुनिया बड़ी अच्छी लगेगी
गैरो से धोखा मिलने पर सहम तक जाएंगे

ये नजदीकी दोस्ती रखने का कोई फायदा नही यारा
तेरे सामने से तेरे सनम तक ले जाएंगे

जितनी दिमाग महबूबा को पटाने में लगाता है न
तुझसे दौलत, शोहरत, कमाया हुआ नाम तक ले जाएंगे

ये शायरी,ग़ज़ल,नज़्म लिखना तो ठीक है लेकिन
मगर कुछ उम्र के बाद तेरी ये कलम भी ले जाएंगे रस:-भयानक,वीर,सृंगार,अदभुत,हास्य,शांत
अलंकार:- यमक,रूपक,उत्प्रेक्षा


•निम्नलिखित हैशटैग का प्रयोग करना अनवार्य है।
#rzकाव्योगिता2
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