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MANJEET SINGH THAKRAL
आज नहीं तो कल ये कोरोना चला जायेगा पर अपने पीछे जो सीखा जाएगा मित्रों उसे कभी मत भूलना कि हमारे इस देश को भव्य मूर्ति, मंदिर, मस्जिद की ज़रूर
~anshul
Happy Janmashtmi dear 😍 friends read in caption ⤵️ कृपया पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़े.... आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व है इस पर्व को पूरे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत मे भी हर्षोंउल
Divyanshu Pathak
मेरा सनम वही है, मेरा वही सनम है इस दिल के आसमां का वस चाँद तो वही है ! तीर ऐ नजऱ से जिसने हैरान कर दिया है सारे जहां से हमने उसको ही चुन लिया है ! हक़ इश्क़ के जिसने कि जऱ का असर किया है जिसने कि मेरा दामन खुशियों से भर दिया है ! :💕👨Good evening ji ☕☕☕☕😊🍎🍨💕👨🌱🍀🍧🍧🍫🍫🍫 उस शक़्स ऐ शातिर ने पैग़ामे ग़म सुनाया मेरे ज़िगर जहां ने वहदत का गीत गाया ! फ़िर ताब देके जिसने चमकाए कहकशा
Divyanshu Pathak
सत सत नमन... हमें शंकराचार्य को पढ़ना चाहिए। देवियों और सज्जनों, आज चर्चा विशेष प्रयोजन के साथ है। आज समाज में धर्म को लेकर एक संकीर्ण दृष्टिकोण देखने को मिल रहा है, कुछ लोग धर्म के मर्
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Ravendra
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"