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Amit Singhal "Aseemit"
जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखते हैं, उस दृष्टि भ्रम को ही हम सब क्षितिज कहते हैं। उसी तरह अज्ञानी लोग अल्प परिश्रम करते है, तर्क से अधिक सुपरिणाम की अपेक्षा रखते हैं। ©Amit Singhal "Aseemit" #क्षितिज
'मनु' poetry -ek-khayaal
Amit Sir KUMAR
दूर झितिज में सुरज ढलता है आसमान में नारंगी रंग बिखरता है मौसम कुछ रूमानी सा हो गया है मोहब्बत का एक नया रंग चढ़ता है घुटनों के बल बैठकर इजहारे इशक मैं करता हूं महबूबा के जवाब के इंतजार में,मेरा दिल धड़कता है है दुआ रब से कबुल हो जाए मेरी मोहब्बत एक उसकी हां का इंतजार मैं करता हूं। ©Amit Sir KUMAR #tereliye दुर क्षितिज में सुरज ढलता है...