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Shishpal Chauhan
Vishnu Bhagwan मिलता है सच्चा सुख भगवान तुम्हारे चरणों में, आशा की किरण जगह देते हो तुम पल भर में। दिल से सेवा जो करता है स्थान दे देते हो अपने चरणन में, मिल जाता है सब कुछ जो आ जाए तेरी शरण में। मिलता है सच्चा सुख भगवान तुम्हारे चरणों में, आप चाहो तो फूल खिला दो पत्थर में। जहां पड़े आपकी नजर दृश्य बदल जाए पल भर में, तुम बसे हो हर कण कण में, मानव ढूंढता फिरे मंदिर मस्जिद में। ©Shishpal Chauhan # भगवान बसे हैं कण कण में
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।। ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली । भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।। रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग । आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।। सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते । होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।। आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो । सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।। फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल । दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।। कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली । होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।। सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके । बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी । पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३ और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ । वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४ एक तेरे सिर्फ़ कहने से नहीं । है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५ दौड़ आयेगा हमारे पास तू । गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६ तुम कहो तो मान भी लें बात हम । बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७ बंद हो जायेगी तेरी बोलती जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८ हम सभी इंसान हैं तेरी तरह । खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९ इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१० आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर । तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११ १९/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क
Anjali Singhal
sonal Sharma
"Happy Valentine Day" कुछ नहीं चाहिए तुम्हारी एक मुस्कान ही काफी हैं तुम दिल में बसे रहो ये अरमान ही काफी हैं....! 🌹❤️❣️R.R.S. ©sonal Sharma #loversday "Happy Valentine Day" कुछ नहीं चाहिए तुम्हारी एक मुस्कान ही काफी हैं तुम दिल में बसे रहो ये अरमान ही काफी हैं....! 🌹❤️❣️R.R.S.
दूध नाथ वरुण
ram lala ayodhya mandir मेरे नस नस में प्रभु तुम हो बसे,मेरा मन हर क्षण तेरो नाम भजे। कब आओगे पथ दिन भर देखूं, तेरे दर्शन को मेरो आंख जगे।। ©दूध नाथ वरुण #मेरे नस नस में प्रभु राम बसे
Divya Joshi
कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्यक्ति छीनी है। उन्मुक्तताएँ लील गया ये। इस वक़्त ने हँसी छीनी है। इसने आत्मविश्वास छीना है। बुद्धिमत्ता से लेकर स्मरण शक्ति जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता थी, वो भी छीन ली। इसने जो रिक्तियां भरी हैं, कभी मिट नहीं पाएंगी। मैं जो लिखना चाहती थी वे शब्द, वे भाव इसने छीने और भर दी गहरी नीरसता, उदासी और अनिश्चितताएं। पर हाँ! इतनी नकारात्मकताओं के बावजूद इस वक्त ने मुझमें जो साहस पैदा किया उसके लिए इसकी आभारी हूँ। समर्पण का भाव मुझमें शुरू से रहा, लेकिन इस वक़्त ने मुझमें बसे उस समर्पण भाव को दुगुना किया। इसने रिश्तों की अहमियत बताई और अपने पराए का बोध कराया। इसी वक्त ने बताया कि मैं उतनी कमज़ोर नहीं हूँ, जितना मैं खुद को समझती हूँ। बल्कि हर आँसूं को पोंछ कर चट्टान की तरह हर मुसीबत के सामने खड़े रह जाने की काबिलियत भी है मुझमें। ये वक्त ही है जिसने मुझे बताया कि जितना...... नीचे कैप्शन में पढ़ें... ©Divya Joshi #Time मनकही: एहसान वक्त के कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द :- विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। पारिजात का पेड़ यहीं पर , बाराबंकी ओर । जो कहीं नहीं देख धरा पर , भटको मत हर छोर ।। नीमसार की पावन धरती , सुन लो इसी प्रदेश । जन-जन का कल्याण करो तुम , आता है संदेश ।। संगम विंध्याचल काशी है , कितने पावन धाम । मथुरा अपने कान्हा जन्में , अवध बसे श्री राम ।। लक्ष्मण नगरी आज बनी है , सुन प्रदेश की शान । है प्रसिद्ध यहाँ की रेवड़ी , दिलवाती सम्मान ।। काशी भोले की है नगरी , चौरासी है घाट । सबकी अपनी अलग महत्ता , सबके अपने ठाट ।। वीरों की ऐसी धरती का , करते कवि गुणगान । जो सत्य अहिंसा की खातिर , किए निछावर प्रान ।। फल के राजा का भी होता , सुनो बहुत ही नाम । मलहियाबाद भंडार भरा , खट्टे मीठे आम ।। २४/०१/२०२४ / महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द :- विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प