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Shishpal Chauhan

# भगवान बसे हैं कण कण में #कविता

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Shivkumar

#vishnubhagwan #विष्णु #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न #हरि #नारायण #महिमा #पौराणिककथा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । #कविता

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Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :-
होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ ।
सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।।
छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।
हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।।
ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली ।
भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।।

रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग ।
आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।।
सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते ।
होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।।
आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो ।
सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।।

फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल ।
दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।।
कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली ।
होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।।
सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके ।
बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।।
२२/०३/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ ।

सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।।

छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क #शायरी

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ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी ।
पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३
और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ ।
वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४
एक तेरे  सिर्फ़ कहने से नहीं ।
है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५
दौड़ आयेगा हमारे पास तू  ।
गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६
तुम कहो तो मान भी लें बात हम ।
बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७
बंद हो जायेगी तेरी बोलती
जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८
हम सभी इंसान हैं तेरी तरह ।
खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९
इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर 
जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१०
आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर ।
तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११
१९/०३/२०२४    -महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
आज बैठा मुँह  छुपाकर कौन है ।
दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।।
जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ ।
इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२
देख कण-क

Anjali Singhal

"आँखों में तुम जबसे बसे, काजल की ज़रूरत अब किसको पड़े! गले में तुम्हारी बाहों का हार पहने, हर बुरी बला से हम हैं बचे!!" #AnjaliSinghal n

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sonal Sharma

#loversday "Happy Valentine Day" कुछ नहीं चाहिए तुम्हारी एक मुस्कान ही काफी हैं तुम दिल में बसे रहो ये अरमान ही काफी हैं....! 🌹❤️❣️R.R.S. #ValentineDay

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दूध नाथ वरुण

#मेरे नस नस में प्रभु राम बसे #Ayodhya

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Divya Joshi

#Time मनकही: एहसान वक्त के कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्य #ज़िन्दगी

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नागेंद्र किशोर सिंह

# मन बसे अवधपुर धाम # मेरा स्वर,मेरी रचना।

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प #कविता

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सरसी छन्द :-  
विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी

मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।
कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।
पारिजात का पेड़ यहीं पर , बाराबंकी ओर ।
जो कहीं नहीं देख धरा पर ,  भटको मत हर छोर ।।

नीमसार की पावन धरती ,  सुन लो इसी प्रदेश ।
जन-जन का कल्याण करो तुम , आता है संदेश ।।
संगम विंध्याचल काशी है , कितने पावन धाम ।
मथुरा अपने कान्हा जन्में , अवध बसे श्री राम ।।

लक्ष्मण नगरी आज बनी है , सुन प्रदेश की शान ।
है प्रसिद्ध यहाँ की रेवड़ी , दिलवाती सम्मान ।।
काशी भोले की है नगरी , चौरासी है घाट ।
सबकी अपनी अलग महत्ता , सबके अपने ठाट ।।

वीरों की ऐसी धरती का , करते कवि गुणगान ।
जो सत्य अहिंसा की खातिर , किए निछावर प्रान ।।
फल के राजा का भी होता , सुनो बहुत ही नाम ।
मलहियाबाद भंडार भरा , खट्टे मीठे आम ।।

२४/०१/२०२४   /   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी


मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।

कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।

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