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Parasram Arora
White सोचा हैँ रुखा सूखा ख़ाकर भी जैसे. तैसे जिंदगी बसर कर लेगे और एक दिन हम भी परिंदो क़ी तरह तिनका तिनका जोड़ कर एक घरोदा भी परिवारके लीये खड़ा कर लेंगे ©Parasram Arora सोचा हैँ
सोचा हैँ
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी गुमराह हो चली जिंदगी होड़ में मस्ती मन की मर गयी सब कुछ पाने में खप गयी उमरे बेचैनी हर पल रहती है मिलाते है हाथ स्वार्थो के लिये लोग गर्मजोशी रिश्तों में कहाँ अब रहती है मदद के लिये उठते नही अब हाथ प्रतिस्पर्धा यहाँ हमेशा चलती है जुगाड़ में लगी रहती जिंदगी साधनों के साधने में खैर खबर दूसरो के प्रति रहती नही आते रहते वारेंट पर वारेंट मौत के मगर इच्छाओं के समुंदर कभी भरते नही प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #HandsOn इच्छाओं के समुंदर कभी भरते नही
#HandsOn इच्छाओं के समुंदर कभी भरते नही
read moreललित कुमार सुमन
White वह भी क्या दिन थे। सुबह सपनों से शुरू ओर रात ख्वाबों के साथ।। महीनों बाद भंवरे का गुलाब से मिलन होता।। सपना शून्य से अनंत तक का देखा।। निगाहों में हमेशा सपने संजोए। वक्त ने ऐसी करवट ली कि ।।सपने ओश की बूंद बन गए।। भंवरा बगीचा ही भूल गया।। अब न गुलाब याद आता ओर न महक ©lalit suman कभी हमें भी प्यार था
कभी हमें भी प्यार था
read moreRavendra Singh
White सोचा था कि आगे निकल जाऊंगा इस जमाने से, मगर देखा तो जमाना ही अब बहुत आगे निकल गया।। ©Ravendra Singh #love_shayari सोचा था कि आगे निकल जाऊंगा इस जमाने से, मगर देखा तो जमाना ही अब बहुत आगे निकल गया।।
#love_shayari सोचा था कि आगे निकल जाऊंगा इस जमाने से, मगर देखा तो जमाना ही अब बहुत आगे निकल गया।।
read moreलेखक 01Chauhan1
कभी-कभी आंखों से आसूं आ जाता है जिसे भुलाना चाहा वो याद आ जाता है दिल से उसे भुला चुके ख्याल उस का जाता है दिमाग कहता उसे याद करले दिल का क्या जाता है ©लेखक 01Chauhan1 कभी कभी
कभी कभी
read moreनवनीत ठाकुर
कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
#नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreनवनीत ठाकुर
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कभी कभी तलब में इज़ाफ़ा भी कर देती हैं महरूमियाँ एहसास प्यास का बढ़ जाता है सहरा देख कर ©हिमांशु Kulshreshtha कभी कभी...
कभी कभी...
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