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꧁ARSHU꧂ارشد
अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते .. ©꧁ARSHU꧂ارشد अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते ... Manisha Keshav Ritu Tyagi Bandita Ishika NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अप
Ashutosh Mishra
White छल गया छलिया छल से मुझे,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जान कर भी अंजान रहा वो क्या जाने ,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,इस हार में भी जीत है मेरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #mountain छल गया छलिया छल से मुझे मैं जाकर भी अंजान रहा वो क्या जाने,,,,, इस हार मे भी जीत है मेरी। #छल #छलिया KRISHNA Vaibhav's Poetry R
karishma Gujjar motivation quote
कल मैंने सभी लेखकों को प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए एक मैल लिखा नोजोटो टीम को उसे आप नीचे Coptaion में पढ़ें और नोजोटो टीम की उस मैल पर प्रक्रिया बहुत ही सराहनीय रही पुरा लेख पढ़ें। ©karishma Gujjar motivation quote नमस्कार नोजोटो टीम में करिश्मा जो की आपके हमारे प्रिय नोजोटो ऐप पर लिखते https://nojoto.page.link/JfSNv हुये मुझे एक साल से ऊपर का समय कब
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
Anjali Singhal
Rajshi Raj
Men walking on dark street और फिर एक दिन वह अचानक सबकुछ छोड़कर चला गया । अचानक!नहीं ऐ सब अचानक तो नही हुआ, कुछ तो बात थी जो उसे परेशान कर रही थी और कही न कही मुझे भी नोटिस थी । ना तो उसने बताना आवश्यक समझा और ना ही मैंने पुछने की पहल की । और फिर एक दिन वह चला गया और मैंने जाने दिया, ह जाने दिया मगर ह ! मैंने इंतजार किया था कि वह पीछे मुडकर एक बार तो देखे , माना की ये सब उहके लिए भी असान नही था , मगर कुछ बोले बिना जाना भी तो सही नही था । ©Rajshi Raj #Emotional #और #फिर #वह #अचानक #चला #गया
Mehfuza
White कितना अजीब सा रिश्ता बन गया तुमसे। ना मोहब्बत हो रही है! ना नफरत हो रही है! ©Mehfuza #mountain कितना अजीब सा रिश्ता बन गया तुमसे। ना मोहब्बत हो रही है! ना नफरत हो रही है!
Devesh Dixit
किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लगातार मेरे कानों से, आकर अब भी टकरा रही थी। ढूँढा उसको मैंने, पर कहीं न पाया, आवाज़ ने उसकी, कहर बरसाया। ध्यान को केंद्रित भी नहीं कर पाया, इस कदर उसने मुझको भटकाया। ध्यान लगाया आवाज़ पर, तो पाया, हल्की सी दबी साँसों को सुन पाया। कहीं पर लगा था ढेर, किताबों का, जिस पर लगी धूल को मैं देख पाया। निकलने लगा मैं जब वहाँ से, बोली तभी किताब तपाक से। यूँ ही देख कर मुझे जा रहे हो, मुझे बिना सुने ही भाग रहे हो। सुन कर दुविधा में आ गया, रुका मैं इंसानियत के नाते। तब जाकर समझ में आया, कि किताबें करती हैं बातें। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लग
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना हमने उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया उनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो हैं कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७ प्रखर भाता नहीं बर्गर उन्हें भाता नहीं पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ते रोज़ लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द
Self Made Shayar
मुझे बताया गया कि सादगी पसंद है उसे, केवल दिल लिए पहुंचे हम पर वो तो शोहरत की दिवानी निकली। ©Self Made Shayar #मुझे बताया गया कि सादगी पसंद है उसे, केवल दिल लिए पहुंचे हम पर वो तो शोहरत की दिवानी निकली।