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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
आज के ज़माने में इसे पॉपकॉर्न के नाम से जाना जाता है। लग बड़े चाव से खाते हैं। आज इसकी कीमत सो रूपये तक मिल जाते होंगे यां इससे कम और ज्यादा भीं हों सकते है। पर हमारे ज़माने में यह होली के त्यौहार पर जब किसी बच्चें का जामना हुआ, ढूंढ हुआ, ऐसे में अगर यह नहीं हों तो त्यौहार अधूरा सा लगता था और हैं भीं.. यह केवल इसी काम ही नहीं जब हमे कभी सर्दी हों जाती थी तो हमारी मां हमें मिटटी की खेलडी ( मिट्टी का तवा) उस पर सेक कर देती थीं हम उसकी खुशबू को सुंघते थे। जब सिकाही होती थी। और उसको ख़ूब खाते थे। कभी मक्की के तो कभी बाजरे के फुले (पोर्पकोर्न) खाते थे। उस वक्त सोचते थे की बड़े हो जाएंगे तो इसी को बेचेंगे। और आज वाकई में बिक रहे हैं। और भीं कई चीजें थी जो उस ज़माने बनाते थे और खाते थे। आज हमारे बच्चों को नए तरीके से खिलाना पड़ता है। पहले पैसे इतने नहीं थे पर अधिकांश चीज़े घर पर ही बना कर खाते थे। आज वहीं चीज़ बाजार में महंगे दाम पर लेकर खाते हैं। क्या आपने भीं कभी ऐसा किया है। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #80, 90की मीठी यादें ( बचपन Again) आज के ज़माने में इसे पॉपकॉर्न के नाम से जाना जाता है। लग बड़े चाव से खाते हैं। आज इसकी कीमत सो रूपये तक म
Vedantika
जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुज़ारे सारी रात। इनको मिल जाती बैठे-बैठे गर्म रोटी की सौगात। नहीं है सरोकार इन्हें दुनिया से कोई और, ये लोग करते बस अपने मतलब की बात। एक बार जो खत्म रात हो जाती इनकी, छोड़ कर आगे बढ़ते जला तवा जूठी परात।— % & ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_409 👉 जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुज़ारे सारी रात लोकोक्ति का अर्थ - अवसरवादी होना या लालच में काम करना। ♥
AK__Alfaaz..
गली के नुक्कड़ से, चौराहे का चौथा मकान, चाहरदीवारी से घिरा, खिड़की इक, जो झाँकती है, जिंदगी की तलाश में, बेतहाशा दौड़ती सड़कों पर, तन्हाई में, दहलीज पर, दरवाजा शीशम की लकड़ी का मकान के लोगों का, है विश्वास बनकर, अरसे से खड़ा, मकान में है, तीन चारपाई,चार कुर्सियाँ और एक मेज, बिस्तर हैं चादरों संग, तकिए हैं गिलाफ़ ओढ़े सिरहानों पर मौन, पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे है.. #मेरा_मकान... गली के नुक्कड़ से, चौराहे का चौथा मकान, चाहरदीवारी से घिरा,
CK JOHNY
दुनिया का मेला मेरे लिए तो फिजूल रहा मैं तो बस अपने ही किरदार में मशगूल रहा। जैसे नचाया मेरे साहिब ने वैसे ही नाचा मैं अच्छा बुरा उसका दिया तोहफ़ा कबूल रहा। किसी ने दी गाली या फिर की तारीफ़ मेरी निंदा स्तुति से उपर उठने का मेरा असूल रहा। काँटे बिछाये जिसने भी राह में मेरी दोस्तो सच है उनके लिए भी मेरे हाथ में फूल रहा। दुनिया का मेला मेरे लिए तो फिजूल रहा मैं तो बस अपने ही किरदार में मशगूल रहा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ निर्लेप
alex akash
Read full in captions...... हां मुझे मुझसे ज़्यादा चाहती है, मां कभी इश्क़ करके नही जताती है...... हां मुझे मुझसे ज़्यादा चाहती है, मां कभी इश्क़ करके नही जताती है, आंसू अपने पोंछ के सारे ग़म पी जाती है, वो भूखे पेट रह कर हमें खाना खिलाती
Dr Upama Singh
जहांँ देखे तवा परात, वहांँ गुज़ारे सारी रात आज कल दल बदलू नेताओं का यही हाल देख जिधर फ़ायदा उधर ही लुड़क चले— % & ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_409 👉 जहाँ देखे तवा परात, वहाँ गुज़ारे सारी रात लोकोक्ति का अर्थ - अवसरवादी होना या लालच में काम करना। ♥
Vijay Tyagi
यूँ उनकी गली गुनाह है सर-ए-राह तमाशा पीकर के लड़खड़ाने को तो मयखाना अच्छा था कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई "निदा फ़ाज़ली" तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने
Arun Alone.!
ठुकरा के मेरा प्यार इंतकाम देखेगी, मैं उसके घर से तवा चुरा लाया हूं रोटी कैसे सेकेगी😂👈 ©Arun Alone.! #writer ठुकरा के मेरा प्यार इंतकाम देखेगी, मैं उसके घर से तवा चुरा लाया हूं रोटी कैसे सेकेगी😂👈 GM All Of U 🥰 Haste Rahiye मुस्कुराते रहिए,
yogesh atmaram ambawale
अरे संसार संसार, प्रपंचात तुझ्या सुख कमी दुःख फार. जगता हे जीवन कुण्या एकास होऊ नये त्रास फार, म्हणुनी ह्या संसारात दोघांनीही एकमेकास लावावा हातभार. दिवसभर राबतो,करतो सर्वांची चाकरी, लेकरांच्या पोटासाठी मिळण्या भाकरी. सतावते चिंता,मनी नुसतेच भास, लेकरांचे भविष्य व्हावे उज्वल ही एकच आस. सुप्रभात सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आज प्रसिद्ध कवयित्री बहिणाबाई चौधरी यांचा जन्मदिवस आहे. त्यानिमित्य त्यांच्याच कवितेचा एक वि