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अज्ञात
शुभ घड़ियां आने लगी.. मंगल सगुन होने लगे... और शुभ मुहूर्त में हमारे दूल्हे राजा तैयार हो रहे हैं... छोटी छोटी चीजों के लिये बड़े बड़े रचनाकार दौड़ भाग कर रहे हैं... .(पढ़िये 👇) 🙍♂️-दूल्हे की ड्रेस कहां है, अर्रे वहाँ कहां रख दिये हो भाई.. उसकी साईनिंग खराब हो जायेगा कलगी कहां है, साफा कहां है.. दूल्हे की जूती कहां रखी है.. फटाफट लाओ.. दुपट्टा कहां है भई....! 💁♂️-कटार ठीक करो.🤦♂️ ये शेरवानी में फस जायेगी...! 🙋♂️-अरे कोई उनसे कहो पहले दूल्हे को महावर लगा दो फिर उन सबको लगाते रहना.. 🧏♂️-दूल्हा बिंदी कहाँ रख दिये याररर.. किसने लाया है इसमें गम कम है... दूसरी निकालो... हाँ हाँ.. 👍 ये ठीक है.. 🤭-अर्रे यार काजल बहुत आराम से लगाना फैले ना...! तुम हटो मुझे लगाने दो..! आगे कैप्शन में.., 🙏🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-80 कथाकार ने देखा बहुत ही तल्लीनता से सावधानी से दूल्हा सज रहा है..तब तक कथाकार बाहर के दृश्य देख रहा है.. मंडप के आगे
Motivational indar jeet group
रख दो दिल दहलीज़ पर बस जमाना यही चाहता तुम यों न इस कदर अकेले सड़को पर निकला करो जमाना नहीं है शरीफों का अपने ही आशियानमें अपने आपको महफूज समझा करो ©Indra jeet हर चौराहे पर तुम्हें गीध मिलेगें छुपे कंई पोशाकों में निकल चले हैं इंसानियत के दुश्मन अष्मत लुटने
Kulbhushan Arora
सुप्रभात🙏 एक संदेश अच्छे ख़्याल फ़कीर की तरह आते हैं, दरवाज़ा खटखटाते हैं, हम उन्हें देख कर मुंह बनाते हैं😏😏😏 सोच में कुछ क्षण गंवाते हैं ..... तब तक वो जा चु
Kulbhushan Arora
अच्छे ख़्याल फ़कीर की तरह आते हैं, दरवाज़ा खटखटाते हैं, हम उन्हें देख कर मुंह बनाते हैं😏😏😏 सोच में कुछ क्षण गंवाते हैं ..... तब तक वो जा चु
Kulbhushan Arora
अच्छे ख़्याल अच्छे ख़्याल फ़कीर की तरह आते हैं, दरवाज़ा खटखटाते हैं, हम उन्हें देख कर मुंह बनाते हैं😏😏😏 सोच में कुछ क्षण गंवाते हैं ..... तब तक वो जा चु
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"