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प्रतिहार
बारिश भी हो रही है, इक लौ भी जल रहा है, मेरे यार के शहर का मौसम बदल रहा है! ये धुप क्यूँ परोसा, मुझे रात में बुलाकर, ओले भी पड़ रहे हैं, बदन भी जल रहा है! बदल रहे तरीके, लहजा बदल रहा है, मैं शक नहीं करूंगा, पर कुछ तो चल रहा है! जो कर चुकी हो वो अब इन्कार क्यूँ करने में, हजार खुशियों में ये गम भी पल रहा है! वो भी समझ गई मै, नहीं हुं उसके काबिल, वो भी बदल रही है, दिल भी सम्भल रहा है! प्रतिहार प्रतिहार
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
प्रतिहार
मेरे यार के शहर से अब,कोई खबर नहीं आती, फिर मुझे क्यों निंद अब,रात भर नहीं आती! आंख लगती है जरा तो,आती है वो खाब में, मगर मुझे है रंज ख्वाब रात भर नहीं आती!! उनके शहर से आती है, मेरे शहर हवाएं भी, सुना है बस कि आती है, मै हुं जिधर नहीं आती! मै इश्क हुं भटक रहा, दर ब-दर तलाश में, वो हुस्न है, गुरुर है, वो दर ब-दर नहीं जाती! सुनता हूँ मैं वो आती है, मेरे शहर कभी कभी, अब आती होगी काम से, मेरे तो घर नहीं आती! प्रतिहार!! प्रतिहार
प्रतिहार
कब कहां कवना शहर में रह ब तहरा पता बा का, कब कहां केकरा नजर पे चढ़ ब तहरा पता बा का। तहरा जिगर में के रही अभीए से सोंच के बैठल बा र, तु कहां केकरा जिगर में रह ब तहरा पता बा का। एगो ठोकर लाग गईल त, छोड़ दिहला राह ई, कब कहां कवना डगर पे चल ब तहरा पता बा का। ह ज़हर कहके भरल ई छोड़ दिहला जाम तू, कब कहां कवना ज़हर से मर ब तहरा पता बा का। इ सफ़र के वादा तोहार कि उहे बनिहे हमसफ़र, कब कहां कवना सफ़र पे रह ब तहरा पता बा का। ✍️ प्रतिहार........ प्रतिहार
प्रतिहार
आंखों में भर के दरीया साथ,साहिल लिए फिरता हैं, वो शख्स अपने जुल्फो पर बादल लिए फिरता हैं। मै बात बताऊ नैनो कि वो नैन बड़े कजरारे है, बिन काजल हि नैनों में वो काजल लिए फिरता हैं। जरूरत क्या है खंजर कि मैं रोज डुब के मरता हूं, वैसे ही वो शख्स निगाहें कातिल लिए फिरता हैं। मैं कायल उसके नैनों का और नैनों पर ही अटक गया, होठो पर तो शायरो कि वो महफील लिए फिरता हैं। हर मजनू के मुंह से मै सुनता वो उनकी मंजिल है, जाने कितने प्रतिहारो कि वो मंजिल लिए फिरता हैं। प्रतिहार #प्रतिहार फॉलोव करें
प्रतिहार
आंखों में दरीया देखना, दिल में समंदर देखना, आसान नहीं है झांक कर किसी के अंदर देखना। मार्च में उसकी शादी है, मुझे जनवरी से पता है, बड़ा मुश्किल काम है ऐसे में कैलेंडर देखना। चिंथरी चिथरी जिंदगी को कब तक सी के जिना है, ऐ हाथ देखने वाले, मेरा मुक्कदर देखना। ना जाने क्यू सिने में अंगारे मेरे दहक रहे, इन लपटो में सिमट जाएगा ये शहर देखना। मरने वाली जगहो पर मुस्कुरा बैठा प्रतिहार, अरसों तक ना मिलेगा मुझ सा सिकंदर देखना। ✍️प्रतिहार। #प्रतिहार, फौलोव मी
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
प्रतिहार
अनंतानन सिमाओ वाले, आर्यवर्त कि शान हूं मैं, सुन अबला को हरने वाले,नारी का सम्मान हूं मैं, देवासुर संग्राम विजेता,दशरथ का संतान हूं मैं। ऐ लंका के राजा रावण,ब्रह्मांड विजेता राम हूं मैं। तु अग्नी का रौंद्र रूप,तो सागर का तुफान हुं मैं, सुन ग्रंथो के ज्ञाता ब्राह्मण, ग्रंथो का सब ज्ञान हूं मैं। सत्य का हुं मै पराकाष्ठ,और धर्म का एक पहचान हूं मैं। ऐ लंका के राजा रावण,ब्रह्मांड विजेता राम हूं मैं। तू धरा का नाशक है तो,देख जगत कल्याण हूं मैं। इक बाजु से शेषनाग, इक बाजू से हनुमान हूं मैं। तु बाली से हारा था, सौ बाली से बलवान हुं मैं। ऐ लंका के राजा रावण, ब्रह्मांड विजेता राम हूं मैं। तु समुद्र का तांडव है, सागर सोंखे वो बाण हूं मैं। सृष्टी का तु अंश मात्र है, सृष्टी का निर्माण हूं मैं। तु दश आनन पाने वाला,अनंत आनन भगवान हूं मैं। ऐ लंका के राजा रावण, ब्रह्मांड विजेता राम हूं मैं। तु शंभु का परम भक्त हैं, महाकाल समान हूं मैं। तेरे हि धरती पे मारे तुझको,वो प्रकांड हूं मैं। तु युद्ध का एक योद्धा ठहरा,स्वयं पुरा संग्राम हुं मैं। ऐ लंका के राजा रावण, ब्रह्मांड विजेता राम हूं मैं। ✍️ प्रतिहार #कविता #राम #प्रतिहार #इतिहास