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ArshadAlamShah
आत्मनिर्भर भारत मार्च: कोरोना। अप्रैल: घर पे रहोना। मई: आत्मनिर्भर बनोना। जून: जिसको मरना है मरोना । जुलाई: हमारे लिए वोट करोना।✍️ अरशद आलम शाह #veins आत्मनिर्भर भारत मार्च: #कोरोना अप्रैल: घर पे रहोना मई: #आत्मनिर्भर बनोना जून: #जिसको मरना है मरोना । जुलाई: #हमारे लिए वोट करोना
#veins आत्मनिर्भर भारत मार्च: #कोरोना अप्रैल: घर पे रहोना मई: #आत्मनिर्भर बनोना जून: #जिसको मरना है मरोना । जुलाई: #हमारे लिए वोट करोना
read moreYash Jesus
Dharampal Shokinda
जनवरी फरवरी-मार्च अप्रैल गई माई और आ गई जून जालिम तूने अब तक मुझको किया नहीं टेली फू न #कहानी
read moreShahab
इस मोहब्बत की फरवरी में ताम झाम बहुत है तुम इश्क का रंग लेकर मार्च में आना... ©Shahab #मार्च
Amit Singhal "Aseemit"
बचपन के कोल्ड ड्रिंक्स और बर्फ़ का गोला, रंग बिरंगी टॉफ़ियाँ और आइसक्रीम याद आ गई। अब उनको देखकर भी कभी मन ना डोला, सभी को बहुत हँसाकर जाती है वह यादगार मई। ©Amit Singhal "Aseemit" #मई
Amit Singhal "Aseemit"
ईश्वर से दुआ करें कि अप्रैल माह में, न बीते किसी का दिन दुख की आह में। यह महीना रहे सबके लिए अनुकूल, खिलाए सबके चेहरों पर खुशी के फूल। ©Amit Singhal "Aseemit" #अप्रैल
Hidden _shayar21
बुराई के इस भिड़ में सच्चाई की फुर्सत नहीं। वैसे तो रोज़ ही उल्लू बने जा रहे हैं हम यू fool बनाने के लिए April की जरूरत नहीं 🥺 ©Dr.Pooja gaikwad #अप्रैल
Writer Vikas Aznabi
जनवरी गुजरी, फरवरी गुजरी, गुजरा मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई भी.... बिता अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर... नवंबर गुजरा तेरी यादों मे.... बात ना कर अब तू दिसंबर की आधा गुजरा ये भी..... आने को है अब फिर से जनवरी.... मेरे जीवन की राधा तुम कब आवोगी..... ~Vikas✍️ ©Writer Vikas aznabi #snowfall जनवरी गुजरी, फरवरी गुजरी, गुजरा मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई भी.... बिता अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर... नवंबर गुजरा तेरी यादों मे....
Amit Singhal "Aseemit"
धूप लू से बचते और पसीने से तर बतर हो जाते, ताज़े रसदार फल आइसक्रीम खाकर राहत पाते। घर में इनडोर गेम्स खेलकर मिलता बहुत सुकून, हँसते मुस्कुराते गुज़रता, जब आता हर्षमयी जून। ©Amit Singhal "Aseemit" #जून
Jalaj Dewda
जून में बरसते हो तो ही इश्क़ से लगते हो , ये अप्रैल में तुम्हे देखना बर्बादी सा लगता है । खिड़की से ताकते रहते हो आदत में बिगड़े से लगते हो , ऐसा छुप कर देखना तुम्हारा पहरेदारी सा लगता है। जाने का वक़्त तय ना हो तो ही अपने से लगते हो , ये थोड़ा थोड़ा तुमसे मिलना हिस्सेदारी सा लगता है। बिजली की तरह चमकते हो तो ही अच्छे लगते हो , ये बुझता हुआ तुम्हे देख बोहोत भारी सा लगता है । बादल ठहरा हुआ है तो ही इश्क़ में लगते हो , ऐसे बारिश में भीगना किसे समझदारी सा लगता है । जो कुछ कहना हो तो कह दो यू चुप चुप सदमे में लगते हो , ऐसे जाना तुम्हारा मौसम बदलने की तैयारी सा लगता है । जून में बरसते हो तो ही इश्क़ से लगते हो , ये अप्रैल में तुम्हे देखना बर्बादी सा लगता है । - Jalaj dewda जून ।
जून । #poem
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