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Rajesh Sharma
नफरत के बाजारों में जोरदार उछाल छोटी, बड़ी अदालतों में मुकदमों की भरमार कोई न्याय को लड़ रहा कोई अन्याय से लड़ रहा भाई से भाई लड़ रहा साले से जवाई लड़ रहा अर्थ की बिसात पर ताकत का ये खेल चल रहा खत्म होते रिश्ते नाते नफरत की बलि चढ़ जाते महाभारत मची हुई परिवारों के अंदर खाते मन मस्तिक्ष को शांत करो प्रेम संबंधों का भान करो संभल सकते हो तो संभलो अपने रिश्तों का मान करो राजेश शर्मा 🖊️ ©Rajesh Sharma #SAD नफरत के बाजारों में जोरदार उछाल छोटी, बड़ी अदालतों में मुकदमों की भरमार राजेश शर्मा 🖊️
Vivek Chak
दुनिया में सबसे ज़्यादा सच शराबखानों में शराब पी कर बोला जाता है और सबसे ज़्यादा झूठ अदालतों में पवित्र ग्रंथ पर हाथ रखकर बोला जाता है। ©
Durga Bangari
जन्मदिवस :: मंटो(सहादत हसन मंटो) दुनिया में सबसे ज़्यादा सच शराबखानों में शराब पी कर बोला जाता है और सबसे ज़्यादा झूठ अदालतों में पवित्र ग्
Kulbhushan Arora
अच्छाई 🙏🙏 Testimonial for ,*अच्छाई* ऐसे तो हर दौर में ये लड़ाई चली है, अच्छाई को बुराई से टक्कर मिली है, मगर आज के दौर में जो हो रहा है बुराई की जय,ब
MR
अगर चोरी करने की सजा मिलती है तो दिल दुखाने की सजा भी तो मिलनी चाहिए अगर अदालतों में घर तोड़ने की सुनवाई की जाती है तो घर तबाह करने की सजा भी तो मिलनी चाहिए अगर अपने जेबों को पैसों से भरना गलत है तो किसी एक इंसान को देवता जैसे पूजना सही है क्या? अगर सियासत के नाम पर जंग करवाना सही है तो देश बेचने वालों को गलत कहना ग़लत क्यों? और अगर धर्म के नाम पर बंटवारा करवाना सही है तो आजादी के नाम पर नारे लगाना गलत क्यों? किसी एक इंसान से दिल खोलकर प्यार करना सही है तो जब वो किसी और से करता है तो मुझे सही क्यों नहीं लगता और वो सही है तो मैं गलत क्यों? ये सही और गलत के बीच में कुछ होता भी है क्या?? ©MR अगर चोरी करने की सजा मिलती है तो दिल दुखाने की सजा भी तो मिलनी चाहिए अगर अदालतों में घर तोड़ने की सुनवाई की जाती है तो घर तबाह करने की सजा
Ashok Mangal
जनहित की रामायण - 67 जनतंत्र का अपहरण हो गया इसकदर ! जन जन के हालात अब हो रहे दरबदर !! जर्जर भी नहीं रहे अब धराशायी हो गये ! चारों खंबे तोड़फोड़ हुकुम राजाशाही हो गये !! सर्वोच्च कह चुका वी वी पैट जरुरी है ! अर्थात ईवीएम में घालमेल की गुंजाईश पूरी है !! अब गिनती में आनाकानी मतलब दाल में है काला ! सर्वोच्च ने अपने मुंह पे क्यूं लगा रक्खा है ताला !! ( ...अनवरत अनुशीर्षक में ...) कार्यपालिका पे अंकुश में लोकपाल है कारगर ! कहाँ है लोकपाल आजकल नहीं कोई खोज खबर !! विधायिका में नृशंस अपराधियों की है अपार तादाद ! आखिर ऐसे
vibrant.writer
प्रिय कान्हा नमन, प्यार तो मैं भी तुमसे बहुत करता हूं, लेकिन एक रंज हमेशा रह जाता है, कि जो 'कुछ भी' करने को सक्षम है, वह अपनी प्रेयसी को यूं छोड़ कर कैसे जा सकता है ? ऐसे कैसे तुम राधा को अकेला छोड़ कर जा सकते हो? ऐसे कैसे तुम सालों का प्यार भुला सकते हो? बहाने हजार होते हैं प्यार से दूर जाने को एक ही बात काफी है - "हां मुझे रहना है साथ" प्यार में साथ जी जाने को.. तो आज अगर तुम पृथ्वी पर मौजूद होते कान्हा तो तुम्हें भारी पड़ गया होता राधा को साथ ना ले जाना। अदालतों में कारवाई चलती तुम पर भी और फिर जज सुनाता फैसला के कान्हा हर युग का लोकप्रिय व्यक्तित्व है। उसके अपनी प्रेयसी को छोड़कर जाने से, साथ ना निभाने से,बाकी सब भी यही करेंगे। बहुत से बहाने बताकर कई राधाओ को दुख के दोजख में डाल देंगे। इसीलिए कान्हा को राधा को साथ ही ले जाना होगा। प्यार कोई मजाक नहीं होता और अगर, भगवान ही प्यार को पूरा ना कर सके, तो वह भगवान नहीं होता। - राधा का वकील #radhekrishna प्रिय कान्हा नमन, प्यार तो मैं भी तुमसे बहुत करता हूं, लेकिन एक रंज हमेशा रह जाता है, कि जो 'कुछ भी' करने को सक्षम है, वह अप
Vishalkumar "Vishal"
"दाम्पत्य जीवन" वर्तमान समय में अधिकांश विवाह संबंधों का अदालतों में विच्छेद कराने उतर आना और दोनों पक्षो का एक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लगाना आज के दौर में प्रायः देखने में आता है। प्रश्न यह नहीं है कि तलाक मांगने पर उतारू हो गए, बल्कि सवाल यह है कि आख़िर ऐसी नोबत क्यों आईं है? दृश्य यह है कि- शादी में वर-वधु शादी कि सुनहरी यादें संजोने का पुरा प्रयास करतें हैं और दोनों परिवारों का भी हर संभव यही प्रयास होता है। फिर क्यों तलाक कि नोबत आ जाती है? वैवाहिक जोड़े जो- एक दूसरे के लिए व्रत उपवास रखतें, व्रत उपवास से लेकर वेलेंटाइन कि सारी रस्में भी निभाते हर अवसर पर उपहार देना और एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव दर्शाया जाता है तो फिर ऐसे साथ को छोड़ देने कि नोबत क्यों आ जाती है? आख़िर वर्तमान समय में वैवाहिक जीवन अस्थिर क्यों हुआ जा रहा है? इस विषय पर विचारों का मंथन अवश्य होना चाहिए। चर्चित व प्रसिद्ध चेहरों का विवाह बंधन में बंध जाना इतन महत्वपूर्ण विषय नहीं क्योंकि शादियां तो हर आम और खास के लिए भी समान महत्व ही रखती है। जो भी सोश्यल मंच है उसे समाज कि उन्नति कि एक मशाल लेकर अडिग खड़ा रहना चाहिए। एक क़दम- वैवाहिक संबंध को विच्छेद से बचाने के लिए दोनों पक्षो को अपने दैनिक जीवन पर स्वयं गहन अध्ययन करना चाहिए। ©Vishalkumar "Vishal" "दाम्पत्य जीवन" वर्तमान समय में अधिकांश विवाह संबंधों का अदालतों में विच्छेद कराने उतर आना और दोनों पक्षो का एक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लग
aman6.1
किसी के जिगर के टुकड़े को वेहशियों ने मास समझ के चबा डाला. हवस नशे में दुत्त ज़ालिमों ने ज़िन्दा फूल आग में जला डाला. ना डर ना कोई खौफ रह गया,,हैवानियत ने फिर इंसानियत को शर्मशार कर डाला. ना रहम ना डर इन ज़ालिमों को,,क्या बच्ची क्या बड़ी इनकी नियत ने कितनी औरतों का दामन नोच डाला. वो भी क्या तड़पी होगी जब होगा उसपे पेट्रोल डाला,,लोग मारते है घर के आगे खड़े जानवर को पत्थर नाजाने क्यों ऐसे दरिंदों को अबतक बख़्स डाला. read full post in mention⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ #Relationships #Heart #December #nojotohindi #nojotonews #hindipoetry #punjabipoetry #urdupoetry जिगर का टुकड़ा Tittle--जागो(awake)
Kulbhushan Arora
वकील साहब, आपका अपराधी, हाज़िर है Dedicating a #testimonial to _ हिमांशु एक कवि हृदय , जो वकील है.... एक अदालत ... जिसमे वकील ही न्यायधीश भी है, एक न्यायधीश.... जिसका हृदय,