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Dk Patil
Ak.writer_2.0
यूं मोहब्बत में मुझको तड़पाने से क्या मिला, ऐ शख्स तुझको मेरी जिंदगी से जाने से क्या मिला... जिसको किया था रोशन अपनी मोहब्बत से, तुझको वो दिया बुझाने से क्या मिला.... छोड़ा था जिस ज़माने के वास्ते मुझको, बता अब इनाम में उस ज़माने से क्या मिला..... पूछो जरा समंदर से जिसका सहारा था, वो उसको उस कश्ती को डूबाने से क्या मिला... ©Ak.writer_2.0 यूं मोहब्बत में मुझको तड़पाने से क्या मिला ऐ शख्स तुझको मेरी जिंदगी से जाने से क्या मिला.. #hunarbaaz #hindi_poetry #sad_emotional_shayries
डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
आंखें, रोने नहीं देती। सपने, सोने नहीं देते। कोई तो आ जाए, ख़ुद को हंसा लूं। कोई तो भा जाए, खुदी में गा लूं। क्यूं नींद हराम है? आंसू भी गुलाम है। अब तो हर सोच भी भारी है। जीने की ये कैसी लाचारी है? ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) @लाचारी
vinni.शायर
ये रोज रोज का मनाना मुझसे ना होगा.. तुझे हर बात बताना मुझसे ना होगा.. ओर मुझे तो वहां जाना है.. जहां कोई दीवाना ना होगा.. ना होगे दीवाने ना दिल की बाते होगी.. मेरा दिल बस मेरी तनहाई होगी.. ये बाते ये राते सब तुम लेजाओ... ये रोज रोज की लाचारी मुझसे ना होगी.. ©vinni.शायर लाचारी.. #Exploration
rahul Kushwaha
bench मे सारि खुशिया तुम पर निछावर कर देता पर इस तरह बदल जाओगि ये नाहि मालुम था ©Rajan Kumar Kushwaha Rajendra Kumar Kushwaha रिस ते भी दिल से निभाए जाते हे किसी की लाचारी देख कर नाही
Jupiter and its moon
पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य सब मान बचाने ना आए। वीर हुए कायरतम अबला आन बचाने ना आए।। केश पकड़ जब रजस्वला स्त्री पर अत्याचार हुआ। स्वजन बंधू सब मूक बने पंचाली संग व्यभिचार हुआ।। उपहास हुआ हर नारी का सब न्याय धर्म पर वार हुआ। निर्लज्ज सभा के भागी हर एक जन का तय संहार हुआ।। थे विकर्ण जैसे भी जिसने पाप सभा में सत्य कहे। विदुर सरीखे नितिकार सब सभा त्याग कर चले गए।। धृतराष्ट्र सम अंधा राजा दूर्योधन सा अत्याचारी। था पाखंड धर्म का या फिर थी पांडव की लाचारी।। जब जब वस्त्र हरण को कोई दुशासन आगे आए। तव आन मान अधिकारों पर जब जब अंधेरा छा जाए।। हे स्त्री! तुमको निज रक्षा के हेतु स्वयं जलना होगा। चंडी काली बनकर निशदिन महिषा मर्दन करना होगा। तुम जननी सब जग की भर्ता निज शंका का त्याग करो। वस्त्र हरण को बढ़ते हर दुशासन का तुम नाश करो।। कृष्ण नहीं आते हर युग में अबला आन बचाने को। सबला बन तुम स्वयं लड़ो निज आन और मान बचाने को।। ©Jupiter and its moon कृष्ण नहीं आते हर युग में! पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य
Swarn Deep Bogal
मासूम
"मैं गरीब" मेरे मन की वेदना कौन सुनें किससे मैं मन की बात कहूं सच होते ही नही वह सपने जो मैं अपने आंखों से देखूं मुझको भी है पढ़ना लिखना सपन संजोऊं या मैं पेट भरूं विद्या - भूख की तृष्णा लिए पथिकों की तरफ यूं ही देखूं ✍️अपर्णा त्रिपाठी "मासूम" ©मासूम मैं गरीब#गरीब #लाचारी
kavya soni
आज दिल में दर्द और जख्म गहरा धड़कनें खामोश सी सांसे भी जैसे हारी है मेरे प्यार के अहसास हो शायद बेकार तेरे लिए मगर तुम्हे बताना जरूरी है कर के रुसवा तन्हा छोड़ा मुझे मेरी बैचेनी का आया ख्याल तुझे नहीं फिर जान लो रात आंखों में बिताई तेरी खबर आयेगी सोचकर टकटकी मोबाइल के स्क्रीन पर थी लगाई जान ले मेरे दिल का हाल कोई मुस्कान झूठी थी लबों पर सजाई जहन में है छाई मायूसी आंखे खाली अब इन में बसी उदासी मुस्कान सच्ची अब ना लौट कर आए पलकें इतनी रोई ख्वाब फिर ना ये इश्क का सजाए हां है बेकार सी सारी बातें मगर तू जाने जरूरी है किस कदर तूने तोड़ा किसी का वजूद की सांसे भी अब तो हारी है तू किसी साथ भी न कभी पूरा होगा बेशक मैं तेरे बिन जानेमन हूं अधूरी मेरी मुहब्बत को किया बेजार बातें मेरी होगी सारी बेकार मगर तू जाने हाल मेरा ये जरूरी है दिल जख्मी मेरा सांसे भी हारी है पाकर खो दिया इश्क में कैसी ये लाचारी है ©kavya soni #kinaara #इश्क में कैसी #लाचारी है
Devesh Dixit
दौर (दोहे) कलयुग के इस दौर में, खूब लूटते लोग। मदिरा भी सेवन करें, और पालते रोग।। कैसा ये अब दौर है, टूट गई जो आस। लाचारी में जी रहे, नहीं रहा विश्वास।। डरा रहे सब को यही, लेकर वे हथियार। छीना-झपटी भी करें, भूल सभी संस्कार।। दहशत भी फैला रहे, खूब कमाते पाप। खोल पिटारा जुर्म का, छोड़ रहे हैं छाप।। तरह-तरह के जुर्म हैं, दिखा रहे शैतान। किस-किस की गणना करें, रहा नहीं अनुमान।। इन्हीं खबर से है भरा, पूरा ही अखबार। पनप रहा ये दौर अब, लेकर अत्याचार।। घबराया इंसान है, देखा जो शैतान। जीवन संकट में पड़ा, कृपा करो भगवान।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दौर #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi दौर (दोहे) कलयुग के इस दौर में, खूब लूटते लोग। मदिरा भी सेवन करें, और पालते रोग।। कैसा ये अब