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Priyanka Jaiswal
नामकरण घरामध्ये आनंदाची उधळण झाली, १५ ऑगस्टला घरामध्ये लक्ष्मी आली... बघुनी तिचे सुंदर रूप, घरामध्ये सर्वांना आनंद झाला खूप... पहिल्यांदा बघतांना तिला, आईच्या डोळ्यात आले पाणी.. कुशीत घेऊन तिचे बाबा म्हणाले, किती सुंदर आहे माझी राणी... सजवला गेला पाळणा आज, नटल्या सर्वजणी...... काय नाव ठेवायचे बाळाचे, विचार करत होत्या सर्व मनी... बनऊनी घुघऱ्या आज, पळण्याखली ठेवण्यात आल्या वाट्या.. नाव ठेवायला बाळाचे आता, उठल्या तिच्या आत्या... ठेऊनी बाळाचे छान नाव, फुंकर मारली आत्याने बाळाच्या कानात.. ऐकुनी आपले छान नाव, बाळपण हसले क्षणात.... आज बाळाला स्वतःचे असे नाव मिळाले सुंदर नामकरणाची विधी पूर्ण होताच, हसले सर्वजण मणभर... ©Priyanka Jaiswal #नामकरण
Rupali Jadhav
"सर्वज्ञ" बुध्द जन्म हि एका नव्या मंगल सूष्टीची उद्घोषणा असते.म्हणून त्यांचा जन्म झाला की सर्व दिशा आपोआप स्वच्छ होतात.आकाश निरभ्र होउन चमकू लागते.बुध्दांचा जन्म सुखदायक असतो.'सुखो बुध्दानं उप्पादो " बुध्द जन्म मानवाच्या कल्याणासाठी झालेला असतो.सिध्दार्थचा अर्थ अभिलाषा पुर्ण होणे. बुध्दाचा अर्थ होतो ज्ञानसंपन्न , जागृत (Enlightenend and Awakened ) अमरकोशात भगवान बुद्धांची १८ नावे दिली आहेत.त्यामध्ये सर्वज्ञ हे पहिले नांव.सर्वज्ञ म्हणजे सर्वज्ञानी.सुष्टीचा कानाकोपरा पाहिलेला,सत्याला जाणलेला. #DawnSun #नामकरण
Hasan Videos
رب کا شکر ادا کر بھائی करके नामकरण दूसरों का तरक्की कहा से लाओगे ।। आखिर कब तक अपने देश में नफ़रत फैलाओगे ।। झूठ, फरेब, और मक्कारी रह जाती है यहीं पर...... दुत्कार दिया जो उस रब ने अपमान न सह पाओगे ।। ©Hasan Videos करके नामकरण दूसरों का तरक्की कहा से लाओगे ||
ittu Sa
मिठ्ठी Diduuuuu का नामकरण। हुआ हैं diduuu का नामकरण,रखा हैं diduuu का nick name। उन्हीं की तरह ,उन्हीं के जैसा। मिठास से भरा,रास में डूब। खासियत है
करिश्मा ताब
गुलामी से आजादी ©करिश्मा ताब क्रूरता की निशानी रहे जो गुलामी के दौर में विदेशी आक्रमणकारी जिन्होंने नामकरण किये शहर, चौक- चौराहे अपनी विजय के नाम उन स्थानों के नाम भारती
yogesh atmaram ambawale
तुझ्या प्रेमात... माझे अनेकदा बारसे झाले, कुणी प्रेमवेडा तर कुणी मजनू, कुणी रांझा तर कुणी वासू.. असे अनेक नामकरण केले. 😉😆😉 शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे: तुझ्या प्रेमात... #तुझ्याप्रेमात हा विषय Gayatri Patil यांचा आहे.
N S Yadav GoldMine
श्रीकृष्ण द्वारा राजा परीक्षित का नामकरण तथा पाण्डवों का हस्तिनापुर के समीप आगमन पढ़िए महाभारत !! 👑👑 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: :- आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व) सप्ततितम अध्याय: श्लोक 1-21 श्रीकृष्ण द्वारा राजा परीक्षित का नामकरण तथा पाण्डवों का हस्तिनापुर के समीप आगमन 🎇 वैशम्पायनजी कहते है- राजन! भगवान श्रीकृष्ण ने जब ब्रह्मास्त्र को शान्त कर दिया, उस समय वह सूतिकागृह तुम्हारे पिता के तेज से देदीप्यमान होने लगा। फिर तो बालकों का विनाश करने वाले समस्त राक्षस उस घर को छोड़कर भाग गये। इसी समय आकाशवाणी हुई- केशव! तुम्हें साधुवाद! तुमने बहुत अच्छा कार्य किया। साथ ही वह प्रज्वलित ब्रह्मास्त्र ब्रह्मलोक को चला गया। 🎇 नरेश्वर! इस तरह तुम्हारे पिता को पुनर्जीवन प्राप्त हुआ। राजन्! उत्तरा का वह बालक अपने उत्साह और बल के अनुसार हाथ-पैर हिलाने लगा, यह देख भरतवंश की उन सभी स्त्रियों को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से ब्राह्मणों द्वारा स्वस्तिवाचन कराया। 🎇 फिर वे सब आनन्दमग्न होकर श्रीकृष्ण के गुण गाने लगीं। जैसे नदी के पार जाने वाले मनुष्यों को नाव पाकर बड़ी खुशी होती है, उसी प्रकार भरतवंशी वीरों की वे स्त्रियां-कुन्ती, द्रौपदी, सुभद्रा, उत्तरा एवं नर वीरों की स्त्रियां उस बालक के जीवित होने से मन–ही–मन बहुत प्रसन्न हुईं। भरतश्रेष्ठ! तदनन्तर मल्ल, नट,ज्योतिषी, सुख का समाचार पूछने वाले सेवक तथा सूतों और मागधों के समुदाय कुरुवंश की स्तुति और आशीर्वाद के साथ भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान करने लगे। 🎇 भरतनन्दन! फिर प्रसन्न हुई उत्तरा यथासमय उठकर पुत्र को गोद में लिये हुए यदुनन्दन श्रीकृष्ण के समीप आयी और उन्हें प्रणाम किया। भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर उस बालक को बहुत से रत्न उपहार में दिये। फिर अन्य यदुवंशियों ने भी नाना प्रकार की वस्तुएं भेंट की। 🎇 महाराज! इसके बाद सत्यप्रतिज्ञ भगवान श्रीकृष्ण ने तुम्हारे पिता का इस प्रकार नामकरण किया। कुरुकुल के परिक्षीण हो जाने पर यह अभिमन्यु का बालक उत्पन्न हुआ है। इसलिये इसका नाम परीक्षित होना चाहिये।ऐसा भगवान ने कहा। नरेश्वर! इस प्रकार नामकरण हो जाने के बाद तुम्हारे पिता परीक्षित कालक्रम से बड़े होने लगे। भारत! वे सब लोगों के मन को आनन्दमग्न किये रहते थे। 🎇 वीर भरतनन्दन! जब तुम्हारे पिता की अवस्था एक महीने की हो गयी, उस समय पाण्डव लोग बहुत सी रत्नराशि लेकर हस्तिनापुर को लौटे। वृष्णिवंश के प्रमुख वीरों ने जब सुना कि पाण्डव लोग नगर के समीप आ गये हैं, तब वे उनकी अगवानी के लिये बाहर निकले। पुरवासी मनुष्यों ने फूलों की मालाओं, वन्दनवारों, भांति–भांति की ध्वजाओं तथा विचित्र–विचित्र पताकाओं से हस्तिनापुर को सजाया था। 🎇 नरेश्वर! नागरिकों ने अपने–अपने घरों की सजावट की थी। विदुरजी ने पाण्डवों का प्रिय करने की इच्छा से देवमन्दिरों में विविध प्रकार से पूजा करने की आज्ञा दी। हस्तिनापुर के सभी राजमार्ग फूलों से अलंकृत किये गये थे। ©N S Yadav GoldMine #lonely श्रीकृष्ण द्वारा राजा परीक्षित का नामकरण तथा पाण्डवों का हस्तिनापुर के समीप आगमन पढ़िए महाभारत !! 👑👑 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभा