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Rooh
किरदार की खुशबू महंकती रहे.. ये जिस्म तो मिट्टी का ढेला.. सतरंगी हो या बेरंग 'रूह'.. दो पल सफ़र का हैं खेला.. ©Rooh #Holi ##rooh#rooh#सतरंगी या बेरंग रूह#❤️वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें#❤️❤️
paritosh@run
sunset nature देते तेरे इश्क़ को कुछ सतरंगी सा नाम.. तेरे रूखे रवैये ने मेरे जज़्बात बदल दिए.. ©paritosh@run सतरंगी सा नाम ..
Amit Singhal "Aseemit"
मेरे जीवन में इन सात रंगों से है सुंदरता, निराली अनोखी है सतरंगी मेरी दुनिया। स्नेह, सम्मान, करुणा, निडरता, उदारता, निरंतर कर्मठता और ढेर सारी खुशियाँ। ©Amit Singhal "Aseemit" #सतरंगी #मेरी #दुनिया
Rimpy Ankur Leekha
काश! मैं पानी हो जाऊ हर रंग में रंग जाऊं हर सांचे में ढल जाऊं खुदा मुझ पर ये रहमत बरपाए काश मैं पानी हो जाउं कभी बारिश बन खुशियों की बोछर लाऊं कभी नहर बन दूर पहाड़ों में जाऊ कभी बन जाऊं झरना और प्रकृति की सुंदरता बढ़ाउं सब कुछ मैं खुद में समाती चली जाऊं काश मै पानी हो जाऊं चाहूं में खुशियों भारी आंखों में रहना दुख का समुंदर बन मुझको ना बहना हरा, लाल , नीला सुनहरा हो मेरा रंग कभी मैला न हो बादलों से मिलकर सतरंगी हो जाऊं काश मैं पानी हो जाऊं 🖋️ रिम्पी लीखा ©Rimpy Ankur Leekha #सतरंगी
ANIL KUMAR
जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।। सुख-दुःख जीवन के पहलू दो, मीठा-तीखा स्वाद रहे बस। दुनिया रूठे गर रूठे पर, अपनों का संग साथ रहे बस। सारी दुनिया एक तरफ़ है, एक तरफ़ परिवार हमारा। एक अमोल खज़ाना जग का,खिला-बसा संसार हमारा। हम सब कलियों का है प्यारा, ख़्वाब बसंती, बाग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ मात-पिता इक नींव हमारे, भाई-बहना और सहारे। जीवन-नैया धीरे-धीरे, लग जाती है एक किनारे। मानव-जीवन एक रहे ना, रात कभी तो भोर हुई है। शेर बना है गली का कुत्ता,धूल कभी सिरमौर हुई है। वक्त किसे कब राजा कर दे,घात बसंती,नाद बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ रोना हरदम ठीक नहीं है, कौन भला है सुखी यहाँ। छोटी-छोटी बातों को ले, रहते अक्सर हैं दुःखी यहाँ। छोटी-छोटी खुशियाँ ढूँढो, और प्रभु का ध्यान धरो। जीवन हँसते-हँसते गुजरे,साथ प्रभु-गुणगान करो। भव-सागर से बंधन छूटे,वात बसंती,त्याग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ अनिल कुमार ''निश्छल'' हमीरपुर, बुंदेलखंड उ०प्र० ©ANIL KUMAR #uskebina #अनिल #निश्छल #निश्छल जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।।
Vivek
मेरे ही ख्यालों को लिख रही होगी कहीं अपनी गुलाबी सी मुस्कान में या मेरी सतरंगी खुशी में वो...! ©Vivek #सतरंगी खुशी
Shubham Bhardwaj
सतरंगी रंगों से,कुदरत ने तेरा श्रंगार किया। तितली रानी कहलाती है तू,फूलों से तूने प्यार किया।। ©Shubham Bhardwaj #Butterfly #सतरंगी #रंग #से #कुदरत #ने #श्रंगार #किया
एक अजनबी
एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति, सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती। क्या एक स्त्री और पुरुष किसी और तरह नहीं बँध सकते आपस में ? और बँधें ही क्यों ? उन्मुक्त भी तो रह सकते हैं, समाज के बने बनाए एक ही तरह के खाके से जिसमें सदियों पुरानी एक सड़ांध सी है। एक स्त्री और पुरुष बौध्दिकता के स्तर पर भी एक हो सकते हैं उपन्यास, कविताएँ, कहानियों, ग़ज़लों पर विमर्श करना कहानियों की पौध रोपना क्या दैहिक सम्बन्धों की परिभाषाएँ लाँघता है ? एक स्त्री और पुरुष-घण्टों बातें कर सकते हैं फूल के रंगों के बारे में, तितलियों के पंखों के बारे में, समुद्र के दूधिया किनारों के बारे में, और ढलती शाम के सतरंगी आसमानों के बारे में, पत्तों पर थिरकती, बारिश की सुरलहरियों के बारे में; इनमें तो कहीं भी देह की महक नहीं, दूर - दूर तक नहीं। फिर दायरे, वही दायरे बाँध देते हैं दोनों को। एक स्त्री और पुरुष- आपस में बाँट सकते हैं - एक दूसरे का दुःख, ठोकरों से मिला अनुभव, कितनी ही गाँठें सुलझा सकते हैं, साथ में मन की। मगर, नहीं कर पाते, ......क्योंकि दोनों को कहीं न कहीं रोक देता है, उनका स्त्री और पुरुष होना। एक स्त्री और पुरुष - के आपसी सानिध्य की उत्कंठा - की दूसरी धुरी.. आवश्यक तो नहीं कि दैहिक खोज ही हो; मन के खाली कोठरों को सुन्दर विचारों से भरने में भी सहभागी हो सकते हैं - स्त्री और पुरुष। यूँ भी तो हो सकता है कि - उनके बीच कुछ ऐसा पनपने को उद्वेलित हो, जो देह से परे हो, प्रेम की पूर्व गढ़ित परिभाषाओं से भी अछूता हो, क्यों न दें इस नई परिभाषा को? स्त्री और पुरुष के बीच। ©एक अजनबी #एक_स्त्री_और_पुरुष #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 *एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति, सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती। क्या एक स्त्री और पुर
Mili Saha
// सतरंगी पल // वो सोंधी-सोंधी खुशबू गाँव की मिट्टी की, वो हरे भरे लहराते खेत और छाँव बरगद की, यादों की खिड़की से अक्सर दिल में झाँका करते हैं। वो चूल्हे पर बनी माँ के हाथों की रोटियाँ, अचार की खुशबू वो आँगन की किलकारियाँ, बेझिझक आकर दिल का दरवाजा खटखटाया करते हैं। गाँव की पगडंडी में खेलता वो बचपन, दोस्तों के संग खिलखिलाता मस्ती का चमन, मन के आँगन में आकर इंद्रधनुषी रंग बिखेरा करते हैं। वो सावन का झूला और गाँव का मेला, वो भीड़-भाड़ और खूब सारा हल्ला-गुल्ला, आज भी धीरे से कानों में आकर शोर मचाया करते हैं। वो मिट्टी से बने घरौंदे सजाकर खेलना, दोस्तों के साथ गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाना, आँखों के बंद पटल पर आकर अठखेलियांँ करते हैं। वो छप छपाक पानी में उछल कूद करना, वो रिमझिम बारिश में कागज़ की नाव बनाना, आज भी उन यादों के छींटें मन को भिगोया करते हैं। काकी, चाची-चाचा, ताऊ और ताई, गाँव भर से रिश्तों की वो प्यार से हुई बुनाई, एहसास बनकर आज भी प्यार से सहलाया करते हैं। इतने सारे खूबसूरत वो सुनहरे पल, छोड़ आए थे हम गाँव के आँगन में जो कल, वो सतरंगी पल अब तो बस यादों में ही बसा करते हैं। यही यादें तो खज़ाना है इस जीवन का, एक खूबसूरत, प्यारा सा एहसास है अपनेपन का, यादों में ही सही गाँव का वो सुकून महसूस तो करते हैं। ©Mili Saha सतरंगी पल #nojotohindi #nojotopoetry #Memories #Trending #nojotoapp #sahamili