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Shayar Priyankur Shukla
ऐलान-ए-जंग कुछ भेड़िए घुस आए फ़िर शेरों की मांद में, मंसूबे नाप़ाक....लगाने ग्रहण हमारे चांद में। कब तक करोगे छुप छुप के वार अरे! कायरों, हिम्मत है! करो ऐलान-ए-जंग और आ जाओ मैदान में। "ऐलान-ए-जंग" #india #Poetry #Quote #nojotohindi #nojotodelhi #satyaprem sir_jii
ittu Sa
इत्तु सा_-` आ गयी युद्ध की घड़ी, ऐलान ए जंग की घड़ी। सेना तैयार हैं बरसने को, बिजली तैयार हैं कड़कने को। @j_$tyle coming soon... इत्तु सा पैग़ाम युद्ध की तैयारी के नाम। #nojoto #war #nojotohindi #hindi #poetry #poet #poem #quote #quotes #write #writer आ गयी युद्ध की घ
ittu Sa
इत्तु सा_-` आ गयी युद्ध की घड़ी, ऐलान ए जंग की घड़ी। सेना तैयार हैं बरसने को, बिजली तैयार हैं कड़कने को। वर्षा की बारात आई, तूफान ने विद्रोहो की चिंगारी फूँकी। @j_$tyle read more line's... इत्तु सा पैग़ाम युद्ध के नाम। #nojoto #nojotohindi #hindi #post #poetry #poem #poet #quote #quotes #thought #thoughts #writer #writing #war #
Harish Pandey
Republic day quotes in hindi "यही चाहता हिन्दूस्तान" बहुत हो गया जाहिल गद्दारों जो ली तुमने सारी जान, अब तुमको दिखलाएंगे हम अपनी असली पहचान "यही चाहता हिन्दूस्तान" ख़ून से सनी धरती का ना जाने देंगे शान, मारेंगे हर गलियों में तुमको, बना देंगे तेरे घर को शमशान. "यही चाहता हिन्दूस्तान" मा तेरे बच्चो का खाली ना जाने देंगे बलिदान, भाई का हर बदला अब लेगा पूरा हिन्दूस्तान. "यही चाहता हिन्दूस्तान" मौत का डर हमको नहीं चाहे जाएं हमारी जान, अब नक्शे से खत्म करेंगे पूरा का पूरा पाकिस्तान. "यही चाहता हिन्दूस्तान" "हरीश भारत" #NojotoQuote जंग ए ऐलान "हरीश तन्हा"
Ayush kumar gautam
मैदान ए जंग में उतरने लिये हौंसलों के साथ हथियार चाहिये होते हैं लेकिन कठिन हालातों से लड़ने के लिये केवल हौंसला चाहिये हौंसला नहीं है आपके पास तो खुद पर यकीन रखें यकीन नहीं है तो शब्र रखें शब्र भी नहींं है तो आप उम्मीद तो कायम रख ही सकते हैं ये तो आपको करना ही पडे़गा और साथ में अपने चरित्र को और बेहतर बनाने में पूरी ताकत झोंक दें फिर आप आस्तिक हों या नास्तिक ईश्वर आपको रास्ता जरूर दिखायेगा क्यूंकि ईश्वर को अच्छे किरदार वाले लोग बेहद या यूं कह लो कि सर्वाधिक प्रिय हैं यह एक तथ्य भर ही नहीं वरन् मेरा व्यक्तिगत अनुभव भी है क्यूंकि मैं बहुत बुरा था खुद को अच्छा किया तो सबकुछ पहले से बहुत बेहतर होता जा रहा है लेखक आयुष कुमार गौतम की डायरी से मैदान ए जंग
Vikas sharma
नज़र के उस पार भी राह आसान नही है ये इल्ज़ाम तो सिर ना होगा कि.. हम लड़े नही है ©Vikas sharma मैदान ए जंग