Nojoto: Largest Storytelling Platform

New युग्म Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about युग्म from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, युग्म.

    LatestPopularVideo

Bhavana kmishra

#navratri #Hindi #viral #bhavanakmishra नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि. सेव्यमाना स #समाज

read more

KP EDUCATION HD

भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा मास है. चातुर्मास श्रावण मास से शुरू होकर कार्तिक मास में खत्म होता है. यह मास एक सितंबर से #astrologynormal

read more

दिनेश कुशभुवनपुरी

CM Chaitanyaa

ये जीवन कैसे जाए संभल, 
है कहीं अनिल है कहीं अनल...  #yqdidi #yqhindi #writinggyan #युग्मशब्द #air #fire #life #recoupment

Dr. Sumayya Hasan

Maut se bewfai to koi kar nhi saka 
Zindagi se wafa nibhao to jane 
Zindagi ko bahen faila karo qubool to jane  #युग्मशब्द 
#बिगबॉस 
#सोनेकीतैयारीहै 
#एकपलमें 
#प्यार 
#किस्मत 

  #YourQuoteAndMine

Aprasil mishra

मित्रता कौन जाने कैसी होती है. कभी मित्रता आदर्शों की सिरमौर होती है तो कभी अविश्वासों की उपन्यास. न जाने इस एक ही जि #SocialMedia #experience #Hindi #friends

read more
" हमारे सोशल मीडियाई लम्हें  ..... (०२) "

 
                      मित्रता कौन जाने कैसी होती है. कभी मित्रता आदर्शों की सिरमौर होती है तो कभी अविश्वासों की उपन्यास. न जाने इस एक ही जि

NK CLASSES 1411

युग्म अक्षर पर आधारित प्रश्न Reasoning 👉 please follow me 🙏🙏 #जानकारी

read more

vishnu prabhakar singh

यह वर्ग ही अलग है। सुबह सुबह लो शिव का नाम कर लो बंदे ये शुभ काम।। फोटो गोलची के सौजन्य से। #गोलची #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #yqhindi life #philosophy

read more
हे देवाधिदेव!
लय और प्रलय के स्वामी
कैलाश की रुपकता के फलक
शोभायमान चन्द्रमा के गणक
महाविषधारी,
नंदी के सवारी,
चेतना के अंतर्यामी,
भोले नाथ
आपकी आराधना का साहस
कोई युग्म ही करेगा
यथास्थान की प्रधानता होगी।
अनादि मानते हुए
शक्ति की उष्णता से
प्रकृति को एकत्रित रखने वाले
सदाशिव
मारक और धारक के निष्ठ
लय और प्रलय पर 
आपकी अधीनता का प्रसाद
ग्रहण भर करने वाला
कोई,
SHIVHOLIK
ही होगा। यह वर्ग ही अलग है।

सुबह सुबह लो शिव का नाम
कर लो बंदे ये शुभ काम।।
फोटो गोलची के सौजन्य से।

#गोलची #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #yqhindi #life

Alok Vishwakarma "आर्ष"

"Happy Birthday Dear Vanila" प्रखर जगती के हित अवकाश में, तिमिर अज के निमित आकाश में । पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में, उदय रश्मि सवित निशि न #testimonial

read more
जन्मदिन के शुभ अवसर पर
भेंट स्वरूप
108 पंक्तियों की
यह अनिर्वचनीय व अनुपम कविता "Happy Birthday Dear Vanila"

प्रखर जगती के हित अवकाश में,
तिमिर अज के निमित आकाश में ।
पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में,
उदय रश्मि सवित निशि न

Vikas Sharma Shivaaya'

श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र... ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालान #समाज

read more
श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र...

ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।

ॐ गुरवे नम:, ॐ श्रीकृष्णाय नम:, ॐ बलभद्राय नम:, ॐ श्रीरामाय नम:, ॐ हनुमते नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ जगन्नाथाय नम:, ॐ बदरीनारायणाय नम:, ॐ श्री दुर्गा-देव्यै नम:।।
ॐ सूर्याय नम:, ॐ चन्द्राय नम:, ॐ भौमाय नम:, ॐ बुधाय नम:, ॐ गुरवे नम:, ॐ भृगवे नम:, ॐ शनिश्चराय नम:, ॐ राहवे नम:, ॐ पुच्छानयकाय नम:, ॐ नव-ग्रह रक्षा कुरू कुरू नम:।।
 
ॐ मन्येवरं हरिहरादय एव दृष्ट्वा द्रष्टेषु येषु हृदयस्थं त्वयं तोषमेति विविक्षते न भवता भुवि येन नान्य कश्विन्मनो हरति नाथ भवान्तरेऽपि। ॐ नमो मणिभद्रे। जय-विजय-पराजिते! भद्रे! लभ्यं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्-सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। सर्व विघ्नं शांन्तं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दिर्घारिष्ट-विनाशाय नाना प्रकार भोग प्रदाय मम (यजमानस्य वा) सर्वरिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच, राज-द्वारे जयं कुरू कुरू, व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं, रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय, पूर्णा आयु: कुरू कुरू, स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू, हुम् फट् स्वाहा।।
 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:। ॐ नमो भगवते, विश्व-मूर्तये, नारायणाय, श्रीपुरुषोत्तमाय। रक्ष रक्ष, युग्मदधिकं प्रत्यक्षं परोक्षं वा अजीर्णं पच पच, विश्व-मूर्तिकान् हन हन, ऐकाह्निकं द्वाह्निकं त्राह्निकं चतुरह्निकं ज्वरं नाशय नाशय, चतुरग्नि वातान् अष्टादष-क्षयान् रांगान्, अष्टादश-कुष्ठान् हन हन, सर्व दोषं भंजय-भंजय, तत्-सर्वं नाशय-नाशय, शोषय-शोषय, आकर्षय-आकर्षय, मम शत्रुं मारय-मारय, उच्चाटय-उच्चाटय, विद्वेषय-विद्वेषय, स्तम्भय-स्तम्भय, निवारय-निवारय, विघ्नं हन हन, दह दह, पच पच, मथ मथ, विध्वंसय-विध्वंसय, विद्रावय-विद्रावय, चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ, चक्रेण हन हन, पा-विद्यां छेदय-छेदय, चौरासी-चेटकान् विस्फोटान् नाशय-नाशय, वात-शुष्क-दृष्टि-सर्प-सिंह-व्याघ्र-द्विपद-चतुष्पद अपरे बाह्यं ताराभि: भव्यन्तरिक्षं अन्यान्य-व्यापि-केचिद् देश-काल-स्थान सर्वान् हन हन, विद्युन्मेघ-नदी-पर्वत, अष्ट-व्याधि, सर्व-स्थानानि, रात्रि-दिनं, चौरान् वशय-वशय, सर्वोपद्रव-नाशनाय, पर-सैन्यं विदारय-विदारय, पर-चक्रं निवारय-निवारय, दह दह, रक्षां कुरू कुरू, ॐ नमो भगवते, ॐ नमो नारायणाय, हुं फट् स्वाहा।।
 
ठ: ठ: ॐ ह्रीं ह्रीं। ॐ ह्रीं क्लीं भुवनेश्वर्या: श्रीं ॐ भैरवाय नम:। हरि ॐ उच्छिष्ट-देव्यै नम:। डाकिनी-सुमुखी-देव्यै, महा-पिशाचिनी ॐ ऐं ठ: ठ:। ॐ चक्रिण्या अहं रक्षां कुरू कुरू, सर्व-व्याधि-हरणी-देव्यै नमो नम:। सर्व प्रकार बाधा शमनमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू फट्। श्रीं ॐ कुब्जिका देव्यै ह्रीं ठ: स्वाहा।।
 
शीघ्रमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू शाम्बरी क्रीं ठ: स्वाहा।।
 
शारिका भेदा महामाया पूर्णं आयु: कुरू। हेमवती मूलं रक्षा कुरू। चामुण्डायै देव्यै शीघ्रं विध्नं सर्वं वायु कफ पित्त रक्षां कुरू। मंत्र तंत्र यंत्र कवच ग्रह पीड़ा नडतर, पूर्व जन्म दोष नडतर, यस्य जन्म दोष नडतर, मातृदोष नडतर, पितृ दोष नडतर, मारण मोहन उच्चाटन वशीकरण स्तम्भन उन्मूलनं भूत प्रेत पिशाच जात जादू टोना शमनं कुरू। सन्ति सरस्वत्यै कण्ठिका देव्यै गल विस्फोटकायै विक्षिप्त शमनं महान् ज्वर क्षयं कुरू स्वाहा।।
 
सर्व सामग्री भोगं सप्त दिवसं देहि देहि, रक्षां कुरू क्षण क्षण अरिष्ट निवारणं, दिवस प्रति दिवस दु:ख हरणं मंगल करणं कार्य सिद्धिं कुरू कुरू। हरि ॐ श्रीरामचन्द्राय नम:। हरि ॐ भूर्भुव: स्व: चन्द्र तारा नव ग्रह शेषनाग पृथ्वी देव्यै आकाशस्य सर्वारिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीवासुदेवाय नम:, बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीविष्णु भगवान् मम अपराध क्षमा कुरू कुरू, सर्व विघ्नं विनाशय, मम कामना पूर्णं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा देवी रूद्राणी सहिता, रूद्र देवता काल भैरव सह, बटुक भैरवाय, हनुमान सह मकर ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व दोषक्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न विनाशाय मम शुभ मांगलिक कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा।।
 
एष विद्या माहात्म्यं च, पुरा मया प्रोक्तं ध्रुवं। शम क्रतो तु हन्त्येतान्, सर्वाश्च बलि दानवा:।। य पुमान् पठते नित्यं, एतत् स्तोत्रं नित्यात्मना। तस्य सर्वान् हि सन्ति, यत्र दृष्टि गतं विषं।। अन्य दृष्टि विषं चैव, न देयं संक्रमे ध्रुवम्। संग्रामे धारयेत्यम्बे, उत्पाता च विसंशय:।। सौभाग्यं जायते तस्य, परमं नात्र संशय:। द्रुतं सद्यं जयस्तस्य, विघ्नस्तस्य न जायते।। किमत्र बहुनोक्तेन, सर्व सौभाग्य सम्पदा। लभते नात्र सन्देहो, नान्यथा वचनं भवेत्।। ग्रहीतो यदि वा यत्नं, बालानां विविधैरपि। शीतं समुष्णतां याति, उष्ण: शीत मयो भवेत्।। नान्यथा श्रुतये विद्या, पठति कथितं मया। भोज पत्रे लिखेद् यंत्रं, गोरोचन मयेन च।। इमां विद्यां शिरो बध्वा, सर्व रक्षा करोतु मे। पुरुषस्याथवा नारी, हस्ते बध्वा विचक्षण:।। विद्रवन्ति प्रणश्यन्ति, धर्मस्तिष्ठति नित्यश:। सर्वशत्रुरधो यान्ति, शीघ्रं ते च पलायनम्।।

।। श्रीभृगु संहिता सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र सम्पूर्ण ।।

        🙏क्षमा प्रार्थना मन्त्र 🙏
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 478 से 489 नाम
478 सत् सत्यस्वरूप परब्रह्म
479 असत् प्रपंचरूप अपर ब्रह्म
480 क्षरम् सर्व भूत
481 अक्षरम् कूटस्थ
482 अविज्ञाता वासना को न जानने वाला
483 सहस्रांशुः जिनके तेज से प्रज्वल्लित होकर सूर्य तपता है
484 विधाता समस्त भूतों और पर्वतों को धारण करने वाले
485 कृतलक्षणः नित्यसिद्ध चैतन्यस्वरूप
486 गभस्तिनेमिः जो गभस्तियों (किरणों) के बीच में सूर्यरूप से स्थित हैं
487 सत्त्वस्थः जो समस्त प्राणियों में स्थित हैं
488 सिंहः जो सिंह के समान पराक्रमी हैं
489 भूतमहेश्वरः भूतों के महान इश्वर हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र...

ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालान
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile