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Divya Choudhary

नारी तुम नाज़ुक ज़रूर हो, नासमझ नहीं #Poetry

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Deepak "New Fly of Life"

शक्ति ए औरत #शायरी

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रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।
न जाने कहाँ से मिली,
इन्हें ये ताकत है,
जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं।
अगर पहचान लें ये,
और समझ लें,
खुद के अपने ज़ज़्बात को,
तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं।
रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।

©Deepak "New Fly of Life" शक्ति ए औरत

Pahadi Shayar Jd

person

भक्ति हैं शक्ति हैं जीवन की मुक्ति हैं #Bhakti

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person

भक्ति में शक्ति 🙏🚩 #Bhakti

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🙏 जय सियाराम सीताराम 
जय हनुमान जी की जय 🙏🚩

©person भक्ति में शक्ति 🙏🚩

Heer

#women_equality_day #नारी हूं मैं #Poetry

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White 
नारी हूं मैं......

जननी मैं, जीवन भी मैं, करूणा का सागर भी मैं,
माना जज्बातों पर जोर नहीं, मगर सशक्त हूं तलवार हूं मैं। 
हा नारी हूं मैं कमज़ोर नहीं मैं।

दर्पण मैं और अक्स भी मैं, झुक जाऊं ऐसी डाल नहीं मैं,
स्वाभिमान मुझे है प्यारा, आंखो का हूं में तारा। 
ऐसा कोई शख्स नहीं, जो टूट कर बिखर जाऊं मैं। 
हा नारी हूं मै आत्मनिर्भर भी हूं मैं। 

समझना ना मुझको अधूरी, मैं तो हूं खुद में पूरी, 
साथ अगर जो चलना हो तो, हाथ तभी तुम थामना,
पीछे हटना मुझे नहीं गवारा, एक बार पकड़ा हाथ जो। 
हा नारी हूं मैं अकेली नहीं।

©Heer #women_equality_day #नारी हूं मैं

Satish Kumar Meena

नारी शक्ति #विचार

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Sandeep L Guru

नारी है शक्ति, नारी है मान, समानता का हक़, नारी की पहचान। #sandeeplguru #viral #Poetry #women_equality_day poetry in hindi poetr

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Kiran Ahir

नारी #Poetry

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काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir नारी

'मनु' poetry -ek-khayaal

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