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Rabindra Prasad Sinha
झूठ तुम तो झूठ हो तुम्हारी कलईदार चमक आज नहीं तो कल उतर जायेगी सच कलई का मोहताज नहीं उसकी आँखों में धूल झोंक कर उसकी आँखें बंद कर सकते हो पर उसकी आत्मा के सूरज का क्या करोगे सच तो तुम्हारी लगाई आग में और भी दमकेगा दूबकेगा नहीं ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
झूठ को हासिल यहाँ है कोठियाँ एक कमरा तक नहीं सच को यहाँ बंदरों ने बाँट लीं सब रोटियाँ ताकती हीं रह गयी .सब बिल्लियाँ कौरवों को ही बुरा हम क्यों कहें आज भी तो रो रहीं हैं बेटियाँ चाँद पर जाओगे तुम तुमको मुबारक हम हैं भूखे हम तो चाहें रोटियाँ सभ्यता से ये मिला है आदमी को भय गरीबी भूख निराशा सिसकियाँ ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White मंदिर तोड़ो मस्जिद तोड़ो जिसको चाहो उसको तोड़ो पर उस दिल को मत तोड़ो जिसमें रब है बसता ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White दरक रहें हैं पहाड़ दरक रही है आत्मा सूख रही है नदी सूख रहा है आँखों का पानी कट रहें हैं पेड़ कट रहीं हैं स्त्रियाँ जहरीली हो रही है हवा जहरीला हो रहा है आदमी लेकिन राजा ने कहा है घबड़ाओ मत बस थोड़े दिनों की बात है 2047 में आने वाले हैं अच्छे दिन ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White यह चुनाव का वक्त है दोस्त हमें साफ साफ तय करना है कि हम सच की तरफ हैं कि झूठ की तरफ हमें ईमानदार आवाज मेंं झूठे को झूठा कहना है और सच के साथ पूरी ताकत के साथ खड़ा होना है यह वक्त चुप बैठने का नहीं कारवाई करने का है नहीं तो हमारी जगह इतिहास के कूडेदान मेंं होगी ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
सुख को unlock करूँ दुख को block करूँ नफरत के काँटे जला प्रेम-पुष्प stock करूँ चाहत बस इतनी है दिल में तुम्हें lock करूँ चाँद मेरे छत पे आ दिल चाहे rock करूँ इशारा हो तेरा तो दिल पे तेरे knock करुँ ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
प्रेम करना समंदर से सीखो जाती हुई लहरों से कहता है, जाओ, खुश रहो लौटती हुई से कहता है, आओ, तुम्हारा स्वागत है प्रेम में संयोग वियोग कुछ नहीं होता सिर्फ स्वीकार होता है ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
हिमांशु Kulshreshtha
आ जाओ फिर से मेरे खयालो में ..... कुछ बातें करतें हैं..... कल जहाँ ख़तम हुई थी वहीं से शुरुआत करते हैं..... ©हिमांशु Kulshreshtha आ जाओ...
ek insan
इस घर के कोने कोने में मेरी यादें हैं, कोने कोने से मुझे प्यार था, मेरा हसना-मेरा रोना, मेरा खिलना, मेरा मुरझाना, तेरा पास आना, और दूर जाना, सपनों सा सजना और बिखर जाना.. ..पर सच है कि किराय के घर को कितना भी सजा लो.. वो अपना घर नहीं होता, मुझे जाना होगा.. सब कुछ छोड़ कर, तुम्हें छोड़ कर, अपनी यादों को छोड़ कर.. ©ek insan घर से दूर एक घर # vidai