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Divyanshu Pathak
हमारा देश सभ्यता और संस्कृतियों का अजायबघर है। यही हमारी विरासत के रूप में प्रतिष्ठित हैं। चीनी यात्री 'फ़ाह्यान' ने 399 ई. से 414 ई. तक भारत भ्रमण किया और यहाँ के वैभव ( दुर्ग महल स्मारकों ) को देख लिखा कि "इस लोक के मनुष्य तो इन्हें नहीं बना सकते ये देवताओं द्वारा बनवाए गए होंगे" प्रिय संस्कृति 💐💐💐💐 हमारा देश सभ्यता और संस्कृतियों का अजायबघर है। यही हमारी विरासत के रूप में प्रतिष्ठित हैं। चीनी यात्री 'फ़ाह्यान' ने 399
Poonam Suyal
दिल में सबके जो बस जाएँ, ये जीवन सफल उनका हो जाए। सुंदर तन का क्या करना गुमान, काला मन किसी को ना भाए। अच्छी करनी ही तारेगी हमको, बुरे कर्म कर क्यूँ पछताएँ। सबका दिन आता है इक रोज़, अपने आज पर क्यूँ इतराएँ। कोई नहीं रहा इस जग में सदा के लिए, अमर होने की इच्छा दिल में क्यूँ जगायी जाए। अपने लिए तो दुनिया में जीते हैं सभी, स्वार्थ छोड़ क्यूँ ना दूसरों के लिए जिया जाए। कोई गोरा कोई काला है, मगर हर रंग निराला है। किसी को घमंड धन का, लेक़िन ग़रीब वो मन का। यही ज़मीं है यही आसमाँ, एक ही बसेरा सबका यहाँ।
Mularam Bana
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर देशवासियों को पर्यावरण रक्षा व मानव कल्याण सेवा संघ कि तरफ से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान का अपनी समृ
AK__Alfaaz..
उसके प्रेम के, विरह की सर्दियों में, हृदय की भूमि पर, जमीं उम्मीद की बर्फ, उसकी, सुलगती देह के अलाव की, गर्माहट ढूंढ रहीं थीं, हथेलियां उसकी, कुछ शब्द, आहटों की चादर ओढ़, उस तक कभी नही आये, वो..मौन मे, रूपांतरित हो, दिल के अहाते मे लगी, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #कादंबरी उसके प्रेम के, विरह की सर्दियों में, हृदय की भूमि पर, जमीं उम्मीद की बर्फ,
AK__Alfaaz..
भोर भये, उसके नैनों की सीपियों से, झरे मोती, बिछौने पर पड़ी, सिलवटों की लहरों मे खो गयें उम्मीद के, बंद झरोखों की, दराजों से, झाँकती पूनम की रात, छूकर उसके, लाल महावर लगे पाँव, उसकी फटी ऐंड़ियों की, दरारों मे, तलाशती है, उसके खोये सपनों की राह, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #थोड़ी_सी_धूप भोर भये, उसके नैनों की सीपियों से, झरे मोती, बिछौने पर पड़ी, सिलवटों की लहरों मे खो गयें