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तरु_का_आशियाना(संस्कृत_लेखिका_मेरठी_कुड़ी)
शीर्षक अपने संग विधा स्वरचित कविता दिन है पिता दिवस का भाव दर्शाये हम कैसे करें मन भी आज बहुत व्यथित हैं, आज कलम भी हमारी डगमगा रही शब्द #Poetry #Trending #FathersDay #poetrycommunity #indianwriter #Emotional #nojotohindi #tarukikalam25
read moreShivkumar बेजुबान शायर
White अगर सच मे समझते हो तो , आज से मेरी ख़ामोशी समझना । आज से हम कुछ नहीं कहेंगे, हो सके तो बिन कहे अल्फ़ाजो को सुनना । हाथ थक चुके है अब एहसास लिख लिख के, पढ़ सको तो तुम अब इन कोरे काग़ज़ों को पढ़ना । धुँधली सी होने लगी है अब चेहरे की आभा, हो सके तो महसूस करना इन अश्को का छलकना । यूँ तो ये सब कुछ भी समझना जरूरी नही, पर समझ जाओ तो कम होगा इस दिल का तड़पना । दिल की ख्वाइशों का यूँ तो कोई अन्त नही, पर अब औऱ नही चाहती ये रूह भी भटकना । ©Shivkumar #sad_shayari #SAD अगर सच मे समझते हो तो , आज से मेरी #ख़ामोशी समझना । आज से हम कुछ नहीं कहेंगे,
Sarfaraj idrishi
सुनो लफ्ज़... अल्फ़ाज़... कागज़ या किताब... कहाँ कहाँ रक्खें हम.... यादों का हिसाब..!! ©Sarfaraj idrishi #NAPOWRIMO लफ्ज़... अल्फ़ाज़... कागज़ या किताब... कहाँ कहाँ रक्खें हम.... यादों का हिसाब..!!Anshu writer Ayesha Aarya Singh h m alam s GRHC~
#NAPOWRIMO लफ्ज़... अल्फ़ाज़... कागज़ या किताब... कहाँ कहाँ रक्खें हम.... यादों का हिसाब..!!Anshu writer Ayesha Aarya Singh h m alam s GRHC~ #Life
read moreआगाज़
White तुम मिले तो कई जन्म मेरी नब्ज़ में धड़के तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया तब मस्तक में कई काल पलट गए-- एक गुफा हुआ करती थी जहाँ मैं थी और एक योगी योगी ने जब बाजुओं में लेकर मेरी साँसों को छुआ तब अल्लाह क़सम! यही महक थी जो उसके होठों से आई थी-- यह कैसी माया कैसी लीला कि शायद तुम ही कभी वह योगी थे या वही योगी है-- जो तुम्हारी सूरत में मेरे पास आया है और वही मैं हूँ... और वही महक है... - अमृता प्रीतम ©आगाज़ #Moon #AmritaPritam ita प्रीतम Niaz (Harf) aditi the writer
#Moon #AmritaPritam ita प्रीतम Niaz (Harf) aditi the writer #कविता
read moreAnjali Singhal
"मन की उदासी और रात का सन्नाटा, हाल-ए-दिल किसी को सुना नहीं पाता। करवटें बदल-बदल अब रात बिताता, पर हाल-ए-बयाँ मैं कर नहीं पाता। दर्द-ए-दिल क #Poetry #AnjaliSinghal
read moreShivkumar बेजुबान शायर
White अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर , चलने में माहिर बन जाऊँगा । या तो मंजिल मिल जायेगी या , अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…। पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादें को , उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते…। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #शायरी #nojotohindi अच्छा #मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा #पथ पर , चलने में #माहिर बन जाऊँगा । या तो #मंजिल मिल ज
Road रोड शायरी nojotohindi अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर , चलने में माहिर बन जाऊँगा । या तो मंजिल मिल ज
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को मन में बसा ले, तो हमने वह सब कर लिया जो हम इस धरा पर करने आए हैं, नही तो यह जीवन हमारा व्यर्थ में चला गया समझो, हम भगवतभक्ति व भगवत्प्राप्ति के लिए चूक गये, अब फिर 84 लाख योनियों में भटकने के लिए बाध्य हो गए।। ©N S Yadav GoldMine #VoteForIndia {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को म
#VoteForIndia {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को म #भक्ति
read moreSangeeta G
😚👀🥰💞💟 जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी। 😚👀🥰💞💟 ©Sangeeta G 😚👀🥰💞💟 जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी। 😚👀🥰💞💟
😚👀🥰💞💟 जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी। 😚👀🥰💞💟 #शायरी
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की फिर उसी मोड़ पर आकर खड़े हों जाते हैं। कभी कभी तो लगता है अपने हाथ पैर मारना ही छोड़ दे ताकि कुछ पल सुकून के तो मिल सके पर यह भीं इसे मंजूर नहीं होता है, फिर कोई न कोई राह दिखा कर फिर उसी मोड़ पर ले आती है। ना यह चेन से जीने देती है और ना मरने देती है। जब तकलीफ़ का दौर देखा और अपने आप को कोसने लगे तो फिर इसे शख्स को सामने लाकर खड़ा कर देगी। जो हमसे भीं ज्यादा तकलीफ़ मे होगा, उसे देख कर और उनकी तकलीफ़ को सुनकर उनके लिए प्रार्थना करने के लिए अपने आप भगवान के आगे उठ जाते हैं। और आंखो में अश्रु भर जाते हैं। बस और बस केवल उनकी ही पीड़ा मन में रहती है। जब हाथ पकड़ कर कहती हूं सब ठीक हों जायेगा। तो वो जैसे ही ठीक हों जाता था। तो हमे भूल जाता है। और मन में एक ठीस सी उठती है। हमें दुःख किस बात का हुआ वो भूले इस कारण यां उनकी पीड़ा हमारे अंदर आ गई उसके कारण.. समझ नहीं आता की नियति क्या खेल खेलती है। हमारा मन एक कोरा कागज़ है उसपर हर तरह के रंग भर देती है। चाहें हमें पसंद हों यां नहीं। बस भरे जा रहीं हैं, भरे जा रही है। जो देखेगा तो उसका अलग ही मत होगा। कोई अपनी अलग ही राय कायम करेगा। पर इन सब के बीच में पिसता पेपर हैं। अगर रंग अच्छे भरे तो सुंदर चित्र उभर कर आयेगा और उसे साथ ले जायेगा। और किसी को पसंद नहीं आया तो कचरे के डिब्बे में फेका जायेगा, तब वो स्याही भीं ख़राब तो उस पेन की चुबन और वो पेपर भीं ख़राब हों जायेगा। और बाद में हमारी नियति भीं ख़राब बता दी जायेगी क्योंकि सबसे बड़ी कलाकार हमारी नियति है और हम वो प्लेन पेपर है, और दुःख, सुख, शांति, पीड़ा, संघर्ष रूपी कलम सभी हमारी नियति है। और शून्य से बढ़े तो शून्य में ही विलीन हों गए। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #aaina हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे