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Shira
जो लोग मेरे दुख में मेरे साथ नही थे उन्हें अपनी खुशिओं में शरीक होने की मै इजाजत नहीं देती ।। #LightsInHand #सुख #दुख #का #साथी #मतलबी #लोग
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी गुम सुम,तेरा चेहरा कियो मुरझाया है कौन सा जख्म,तूने गले लगाया है मैं तेरे सुख दुख का साथी हूँ पलको पर तुझे बिठाया है तू मेरे उपवन की मल्लिका है तेरी महको से घर आँगन खिल खिलाना है रानी है तू मेरे दिलो की कोई गम और बोझ नही उठाना है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" मैं तेरे सुख दुख का साथी हूँ #nojitohindi
दिनेश
उसे अपने वक़्त पर कुछ इस कदर गुरूर हो गया , कि एक पल में एक उम्र का ख्वाब चकनाचूर ही गया । जो सोचता था कि वो पूरा घर चलाता है , आज एक कदम न चल पाया इतना मजबूर हो गया । कुछ आये अपनापन जताने उनके आने से आधा दर्द दूर हो गया , पर दुख में साथ देती है सिर्फ पत्नी ये अहसास जरूर हो गया। ©दिनेश #Raat सुख- दुख की साथी
Rajat g kanpur wale
दर्द की शाम हो या सुख का सवेरा। सब कुछ कबूल है अगर साथ हों तेरा। ©Rajat g kanpur wale #साथी #सुख #दुख #शाम #सवेरा #साथ #Love
@nil J@in R@J
सुख दुःख है क्या फल कर्मों का जैसी करनी वैसी भरनी सबसे बड़ी पूजा है माता पिता की सेवा किस्मत वालों को ही मिलता है ये मौक़ा हाथ से अपने खो मत देना मौक़ा ये खिदमत का जन्नत का दर खुल जाएगा तेरा किया आगे जाएगा ... चाहे न पूजे मूरत चाहे न तीरथ जाए मात पिता के तन में सारे देव समाए तू इनका दिल खुश रखे तो ईश्वर खुश हो जाए भगवान तुझको मिल जाएगा तेरा किया आगे जाएगा ... अपनों को जो अपनी दुनिया ठुकराती है जाने अनजाने में हाय निकल जाती है हाय लगे ना तुझको दुआ ये माँ देकर जाती है माँ का दिल माफ़ कर जाएगा तेरा किया आगे जाएगा ... #NojotoQuote सुख दुख दो संगी साथी #nojoto# #aniljain#
Ek villain
मानव जीवन में सुख और दुख दोनों का मिश्रण होता है सुख के अवस्था में मनुष्य उसके मध्य में उन्मुक्त रहता है तो दुख क्या जरा सी दस्तक के बाद की कहानी पर विवेचना में जुट जाता है यह सच है कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं दोनों ही मनुष्य की अनुभूति का परिणाम है ©Ek villain सुख और दुख का निवारण
Ek villain
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार मनुष्य जीवन में सुख और दुख वास्तव में कार्यक्रम स्वभाव और गुणों के कारण होते हैं यह काल से तात्पर्य है परिवर्तनशील समय इसी प्रकार प्राकृतिक के गुण दमोह और सतोगुण से भी जिसमें पूर्व की प्रधानता मनुष्य के भीतर होती है उसी के अनुसार वह अपने कर्म करता है जैसे तंबुड़की प्रभाव में मनुष्य पशु की तरह व्यवहार करता है जैसे केवल स्वयं के खाने पीने तथा निंद्रा के अलावा कुछ नहीं सोचता और पशुओं की तरह उनकी पूर्ति के लिए कोई भी नैतिक कार्य करता है इसके फल स्वरुप उसे दुखी की प्राप्ति होती है इसी प्रकार के प्रभाव में मनुष्य की कामनाएं बढ़ जाती है इनका हुए हैं पूरे जीवन संघर्ष में रहता है इनकी पूर्ति में भी उसे कर्मफल के परिणाम स्वरुप को भोगना पड़ता है परम सुख को प्राप्त करता है वही कार्य समय मनुष्य के नियंत्रण में नहीं होता काल के अनुसार बहुत से लोग भी मिलते हैं परंतु मनुष्य के दुखों को अपने कर्म तथा स्वभाव द्वारा नियंत्रण में ला सकता है इसके लिए उसे अपने अंदर प्रकृति के द्वारा दिए हुए गुणों में परिवर्तन करने का प्रयास करना पड़ता है परंतु अक्सर देखने में आता है कि मनुष्य परिस्थिति का बहाना बनाकर स्वयं का समर्पण कर देता है जबकि मनोज से विवेक के द्वारा अपने गुणों में परिवर्तन कर सकता है और तमोगुण सतोगुण जा सकता है वह करता हुआ आनंद की प्राप्ति कर सकता है इसलिए मनुष्य को पड़ताल में अपने स्थान को ध्यान में रखते हुए अपने मित्र के गुणों की प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए ©Ek villain # सुख दुख का रहस्य #hills