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Pnkj Dixit
💝 प्रेम के सम्बन्ध में भरोसा, विश्वास,अपनापन निरर्थक शब्द है। प्रेम त्याग, समर्पण की आत्मीय अनुभूतियों का नाम है। प्रेम का तात्पर्य केवल किसी का होना है न कि किसी को अपना बनाने की होड़ करना। प्रेम मौन है;जो कि मूक होकर भी स्पष्ट बोलता है। ०१/१२/२०२२ 🌷👰💓💝 ...✍️ कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit 💝 प्रेम के सम्बन्ध में भरोसा, विश्वास,अपनापन निरर्थक शब्द है। प्रेम त्याग, समर्पण की आत्मीय अनुभूतियों का नाम है। प्रेम का तात्पर्य केवल क
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
सुनो प्रियतम मेरे🌹 (तीन भाग का भाग ---3) ओ.. प्रियतम मेरे तुम साँझ सवेरे रजनी मैं अकेले मैं गीत प्रिय तुम भाव मेरे निरर्थक शब्द अकेले नाथ मैं हृदय तुम धड़कन मेरी प्राण व्यर्थ अकेले सुनो.. प्राणेश्वर मेरे अंगीकार करो मुझको निष्प्राण देह अकेले 🌹 सुनो प्रियतम मेरे🌹 (भाग ---3) ओ प्रियतम मेरे तुम साँझ सवेरे
Sangeeta Patidar
'हिन्दी काव्य कोश' एवं उनकी टीम का सहृदय बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार 🙏🙏 😇😇😊😊 संगीता पाटीदार जी अपने उम्दा लेखन से, शुरू से ही न केवल हिन्दी काव्य कोश बल्कि देश भर के अनेकों रचनाकारों तथा पाठकों का दिल जीत रही हैं। संग
Parasram Arora
ज़ब सारा अस्तित्व बिना अर्थ के हो सकता हैँ ये चाँद तारे बिना किसी उदेश्य ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर रहे हैँ फूल बिना किसी कारण जंगल मे खिल सकते हैँ ज़ब फिर परमात्मा के होने न होने पर क्यों प्रश्न चिन्ह इतने लगाए जा रहे हैँ फिरमेरी इस निरर्थक कविता मे अर्थ ढूँढने के लिए क्यों इतना सर खपाया जा रहा हैँ निरर्थक कविता
Parasram Arora
सुबह सवेरे दो व्यक्तियों द्वारा. आपस मे सुप्रभात का आदान प्रदान मानसिक और भावनात्मक तल पर स्वास्थ्यदाई कहा जा सकता है. क्योंकि दो नज़रे मिली है दो मुस्कराहते खिली हैँ दो ताज़ा ऊर्जाओं का विनिमय हुआ है लेकिन ज़ब कोई जीवित इकाई सामने मौजूद ही न हो तो यह खाली पतीले मे कड़छी चलाने जैसी निरर्थक कवायद ही कही जायेगी ©Parasram Arora निरर्थक कवायद.......
Parasram Arora
जो सुना वो बूझा नहीं होगा जिस शब्द मे अर्थ नहीं वो शब्द निरर्थक होगा ©Parasram Arora निरर्थक ti
Parasram Arora
इतनी अर्थ हीनता .....इतनी सघन ऊब ...के बावजूद हम कैसे जी लेते है ...जीवन. है लेकिन. जीने का भाव नहीं है तभीतो आत्महीनता से पीड़ित लोग पद खोजते है ..और आत्म दरिद्रता से ग्रसित लोग धन सम्पदा के पीछे दौड़ दौड़ कर. थकते है गिरते है लहूलुहान होते है निरर्थक जीवन
Pushpendra Pankaj
गरीब अपने दम पर कुछ करे फिर भी उस पर दूसरों से सहायता लेने /अनुचित तरीके को प्रयोग करने का आरोप लगाया जाता है •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• धनी/समर्थ के मामले में परिस्थितियां उलट हैं । •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• सब समाज के अपने बनाए पैमाने हैं ••••••••••••••••••••••••••••••• ©Pushpendra Pankaj गरीब के निरर्थक प्रयास
kanta kumawat
बिना अनुभव का ज्ञान निरर्थक है ©kanta kumawat बिना अनुभव का ज्ञान निरर्थक है।