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Singer Chandradeep Lal Yadav
Singer Chandradeep Lal Yadav
Ravendra
Pinki
तुम्हें ही नहीं हुई होगी मोहब्बत हमसे, मुर्शद ! हमे तो आज भी , तुमसे बेहिसाब मोहब्बत है.....!! 💟 One side love 💟 ©Pinki one side love es bat pr to sb चाय बनवा कर भेज दों😁😁Bhardwaj Only Budana Sethi Ji poonam atrey अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''! Brijesh Mau
Devesh Dixit
कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कहना तो पड़ रहा है। काश हम कुत्तों का शौचालय भी होता, सरकार का ध्यान हमारी ओर भी होता। शौचालय में हम भी जाते, इधर उधर न धक्के खाते। इंसानों ने तो बनवा लिए शौचालय, हम सब के लिए केवल औषधालय। वो भी केवल उन पालतू के लिए, हम सब तो फालतू हैं उनके लिए। बीमारी दुखारी जो कुछ भी है, वो सब उन पालतू के लिए है। कुछ भी तकलीफ हो अगर उन्हें, तुरंत औषधालय ले जाते उन्हें। हम कुत्ते सड़क पर रहने वाले, हमारे लिए तो सब जगह ताले। हमारी कौन खबर रखने वाला, यहां हर कोई हमें धमकाने वाला। जख्मी हो जाएं कभी अगर हम तो, कौन ले जाए औषधालय हम को। तड़प - तड़प कर रह जाते हैं, क्या करें हम सब सह जाते हैं। कुछ तो ख्याल हमारा रखा होता, शौचालय ही बनवा दिया होता। तो गंदगी न होती चारों तरफ, सफाई ही होती तब हर तरफ। बाद में एक कुत्ता बोला, उसने अपना मुंह खोला। अरे हमारी तो छोड़ो, अब उधर को देखो। वो पालतू भी यहीं को चला आ रहा है, हमारी तरह सड़क को गंदा कर रहा है। क्या इनके लिए भी नहीं है शौचालय, तो क्या ही बनेगा हमारे लिए शौचालय। चलो इससे हम सब पूछते हैं, इसकी समस्या को हम बूझते हैं। क्यों आया यह यहां हमारे बीच, पर मालिक रहा है उसको खींच। उसकी समस्या को देख चौंकने लगे, जानने के लिए उस पर भौंकने लगे। पालतू कुत्ता उन पर गुर्राने लगा, उन सबको अब धमकाने लगा। मुझे नहीं कोई भी कमी यहां, मालिक ऐसा मिलेगा कहां। बहुत खुश हूं मैं वहां पर, मेरा मालिक है जहां पर। फिर एक कुत्ता बोला उनमें से, कमी नहीं तो क्यों बंधा पट्टे से। हमारे इलाके में भटक रहा है, मार्ग को भी गंदा कर रहा है। क्या शौचालय नहीं तुम्हारा भी, जैसे नहीं बना कभी हमारा भी। तब वह कुछ कह नहीं पाया, उनका ही समर्थन वह कर पाया। कुत्तों को समझ में आ चुका था, व्यथा को सबकी जान चुका था। जो नहीं बनने वाला उनकी खातिर, फिर बुद्धि क्यों लगाएं अपनी शातिर। यूं हीं मार्ग को गंदा करते रहते हैं, ढूंढ कर खाना खाते हैं फिर सो जाते हैं। .............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कुत्तों_का_शौचालय कुत्तों का शौचालय एक बार कुत्तों ने अपनी सभा बुलाई, हर कुत्ते ने अपनी उसमें अर्जी लगाई। कहने में संकोच हो रहा है, पर कह
Ravendra
Lokendra Lodhi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली । पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।। सावन की है घटा निराली .... देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए । आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।। जिससे पाये मन खुशहाली , जग में फिर छाये हरियाली । सावन की है घटा निराली ... घर पक्के बिल्कुल बनवा लो ,लेकिन कुछ मिट्टी रखवा लो । बड़े नही तो कुछ छोटे ही , उनमें तुम पौधे उगवा लो ।। फिर उन्हें बुलाओ अपने घर ,दौड़ रहे जो आज मनाली । सावन की है घटा निराली .... खाली समय न व्यर्थ गवाएँ , आओ कुछ हम पेड़ लगाए । पास भूमि कहीं जब न अपनी, तो गलियों के साथ लगाएँ ।। स्वच्छ हवा औ छाया में हम , चाल चलें देखो मतवाली । सावन की है घटा निराली ..... सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली । पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।। ११/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली । पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।। सावन की है घटा निराली .... देख-देख अ
Sangeeta Kalbhor
1भगवंता.. तुम्ही आहात हो इथेचं.. माझ्यासोबत.. मी नयन बंद केले की तुम्ही असता माझ्यात माझ्या शब्दात.. हो आणि भगवंता.. तुम्हीचं तर दिलेयं हे सगळे ज्याला मी व्यर्थ माझे म्हणतेयं.. भगवंता .. सगळे तुमचेचं आहे हो.. अगदी मीही.. ह्या देहाला ,ह्या मनला आणि ह्या चराचराला अर्थ प्राप्त झालायं तो आपल्याचंमुळे आपल्या शिवाय.. काय आमची बिशाद पान ही हलवायची.. श्वास ही घ्यायची.. भगवंता... एक कराल का.... वृथा अभिमान हरवाल का.... मनाने ,देहाने आणि वाचेने आणि वचनाने अगदी खरे बनवा... बनवाबनवी नको थोडीही... क्लेश देणारी... आत्म्याला नाराज करणारी.. भगवंता.... भान हरपून आपल्या सेवेची सेवेकरी करुन घ्या ना मला... रहायचेयं आपल्या सेवेत... अखंड...श्वास असेतोपर्यंत..... भगवंता...मन निर्मळ बनवा... अगदी जलापरी.... जीवन देणारे...कल्याण करणारे आणि उभ्या हयातभर स्वगुण टिकवणारे.... एवढेचं भगवंता..... द्यावे आपण ..... मी माझी..... 09/05/2023मला ©Sangeeta Kalbhor #BudhhaPurnima 14..भगवंता.. तुम्ही आहात हो इथेचं.. माझ्यासोबत.. मी नयन बंद केले की तुम्ही असता माझ्यात