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sandy
आपण प्रवासाला निघतो. पहाटे निघायचे असेल तर तथाकथित ‘बाईच्या जातीला’ आदल्या रात्रीपासून पाणी किती प्यावे, हे ठरवावे लागते. वाटेत मूत्र विसर्ज
आपण प्रवासाला निघतो. पहाटे निघायचे असेल तर तथाकथित ‘बाईच्या जातीला’ आदल्या रात्रीपासून पाणी किती प्यावे, हे ठरवावे लागते. वाटेत मूत्र विसर्ज #story #nojotophoto
read moresandy
तेलकट चेहर्याची सावळ्या रंगाची हडकलेली एक लग्नाचं वय झालेली मुलगी माझ्या मित्राकडे फोटॊ काढून घ्यायला तिच्या घरच्यानी आणली होती. तशी पद्धत
तेलकट चेहर्याची सावळ्या रंगाची हडकलेली एक लग्नाचं वय झालेली मुलगी माझ्या मित्राकडे फोटॊ काढून घ्यायला तिच्या घरच्यानी आणली होती. तशी पद्धत #story #nojotophoto
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तेलकट चेहर्याची सावळ्या रंगाची हडकलेली एक लग्नाचं वय झालेली मुलगी माझ्या मित्राकडे फोटॊ काढून घ्यायला तिच्या घरच्यानी आणली होती. तशी पद्धत
तेलकट चेहर्याची सावळ्या रंगाची हडकलेली एक लग्नाचं वय झालेली मुलगी माझ्या मित्राकडे फोटॊ काढून घ्यायला तिच्या घरच्यानी आणली होती. तशी पद्धत #story #nojotophoto
read moreपूर्वार्थ
पुरुष का दर्द औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता उसके संघर्ष को नहीं देखता आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
मैं पुरुष हूँ विधाता की हूँ रचना,मैं नारी का अभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मन की बात मन में रख,ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ माँ की ममता,पिता का स्वाभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मैं जीवन में आया जबसे,अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम पिता के फटे जूते से लेकर,बहन की शादी के सपनों का आधार हूँ,मैं उम्मीदों का पहाड़ हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ! थकान हो गई तो क्या,पाँव रुक गए तो क्या मुझको चलना है हरदम,मैं बिटिया की गुड़ियों का खरीदार हूँ मैं आशाओं का मीनार हूँ हाँ मैं पुरूष हूँ! रो मैं सकता नहीं,कह मैं सकता नहीं डर अपना यह,मैं सह सकता नहीं ऊपर से बहुत अभिमानी,पर अंदर से निपट असहाय हूँ मैं परिवार का एतबार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! पत्नी की इच्छा,माँ के सपने बच्चों की ख्वाहिशें,पिता के गुस्से का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! आदर देता मैं हरदम,प्यार लुटाता हूँ हर इक कदम फिर भी कुछ हैवानों के कारण,मैं नफरत का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ ©पूर्वार्थ #पुरुष
Anoop Mohan
पुरूष के लिए स्त्री का स्पर्श उतना ही महत्वहीन हो जाता है,,, जितना दिन में दीपक का ; जब कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा छला जाता है ! #मैं पुरुष हूँ !! ©Anoop Mohan #पुरुष
Ankit yaduvanshi
असीमित दर्द , सूखी आंखें अनगिनत जिम्मेदारियां पारिवारिक अपेक्षाओं का बोझ दिल में नमी , होठों पर मुस्कान विभिन्न किरदारों में ढल जाता हूं हां , मैं पुरुष कहलाता हूं..! ©Ankit yaduvanshi #पुरुष
Geeta Sharma pranay
Expression Depression एक बात पुछनी थी मुझे अपने ही पुरूष-प्रधान देश के पुरुषों से... क्या स्त्री सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं, उसकी कोई भावना की कदर ही नहीं,, क्या स्त्री के हृदय -हृदय नहीं, सिर्फ एक माटी का खिलौना हैं जो कोई भी उसके साथ कुछ भी कर सकता हैं,,, पर! किसी के ह्रदय के साथ खेलना , ये कहाँ का पुरुषत्व हैं? यहीं हमारा पुरूष-प्रधान देश है, जो अब स्त्री की रक्षा सिर्फ उसके तन तक ही सीमित है , एक स्त्री सिर्फ उस पुरूष के लिए , उसका प्रेम प्राप्त करने के लिए कुछ भी बन जाती हैं,,, क्या वास्तव में पुरूष का ह्रदय सिर्फ स्त्री के तन को मैला करने के लिए होता हैं, क्या समाज में आज भी हर दायरा सिर्फ स्त्री के लिए हैं,, पुरूष स्त्री के साथ कभी भी कैसा भी व्यवहार कर सकता हैं, उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर सकता हैं, बस! उसका प्रेम स्त्री का प्रेम वासनायुक्त प्रेम हैं, उसके हिरदय में कभी पवित्र प्रेम जन्म नही लेता हैं??? पुरुष
पुरुष #कविता
read moreshishpal rajpurohit
तू अपना काम करता चल, 90% पुरुष ठंडा टिफिन खाते है सिर्फ इसलिए ताकि उनका परिवार गर्म खाना खा सके। पुरुष
पुरुष #बात
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